(राजेश कुमार सिंह)
मुरादाबाद। उत्तर प्रदेष में माध्यमिक शिक्षा विभाग में गत वर्ष में नवीन राजकीय हाईस्कूल और इंटरमीडिएट कालेज खोले गए हैं यह कालेज तो खोल दिए गए हैं परंतु शासन स्तर से इन विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई है। जिसके कारण इन विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं की पढ़ाई प्रभावित हो रही है इन विद्यालयों में हाईस्कूल स्तर पर 6 पद प्रत्येक विषय के होते हैं परंतु विषय वार किसी भी नवीन राजकीय हाई स्कूल में शिक्षक नहीं हैं जैसे हिंदी का एक पद गणित का एक पद, विज्ञान का एक पद, सामाजिक विज्ञान का एक पद, गृह विज्ञान का एक पद, अंग्रेजी का एक पद इन पदों के हिसाब से प्रत्येक विषय को पढ़ाने वाले शिक्षक होने चाहिए। प्रधानाचार्य का एक पद होता है जो कि इन्हीं शिक्षको में से वरिष्ठता के अनुसार प्रधानाचार्य का दायित्व सौंप दिया जाता है इंटरमीडिएट स्तर पर जो नवीन इंटर कालेज खोले गए हैं उनमें भी शिक्षकों का अभाव है केवल नाम के लिए इंटर कालेज हैं। इन कालेजों में दूसरे विद्यालयों से शिक्षकों को अटैचमेंट करके काम चलाया जा रहा है। एक इंटर कालेज में लगभग 24 शिक्षकों के पद होने चाहिए जिनमें 14 पद टीजीटी स्तर के तथा 10 पद पीजीटी पब्लिक प्रवक्ता स्तर के होने चाहिए परंतु शासन स्तर से सभी इंटर कालेज तथा हाई स्कूल स्तर पर विद्यालय तो खोले गए हैं परंतु अधिकतर में पदों का सृजन नहीं हुआ है इन विद्यालयों में यदि छात्र छात्राएं प्रवेष ले लेते हैं तो वे अपनी प्रतिभा के अनुसार पढ़ाई नहीं कर पाते हैं जिससे उनके भविष्य की चिंता किसी को भी नहीं है। राजकीय माध्यमिक विद्या- लयों में पठन-पाठन के साथ -साथ हाईस्कूल स्तर पर प्रयोग होने चाहिए परन्तु अधिकतर विद्यालयों में प्रयोगशाला ही नहीं है जिन विद्यालयों में प्रयोगशाला है भी तो उनमें छात्रों को प्रयोगशाला में प्रयोग ही नहीं कराये जाते हैं क्योंकि विज्ञान पढ़ने वाले छात्रों को पढ़ाने के लिए विषयाध्यापक ही नहीं हैं।
इसके साथ-साथ प्रयोग शाला में उपकरण भी नहीं हैं क्योंकि इसमें शासन स्तर से विज्ञान उपकरण खरीदने के लिए बजट ही नहीं मिलता है। अध्यापक प्रयोग भी थ्योरी की तरह पढ़ाते हैं यह विद्यालयों एवं शिक्षकों की मजबूरी है।
इण्टरमिडियट स्तर पर विज्ञान वर्ग में भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, एवं जीव विज्ञान के विषयों के पढ़ाने वाले पहले तो अध्यापकों की कमी है यदि अध्यापक हैं भी तो प्रयोगशालाओं में प्रयोग कराने के लिए उपकरण, रासायनिक पदार्थ (प्रायोगिक सहायक सामग्री) उपलब्ध नहीं होते हैं। जिससे छात्र उन उपकरणों के नाम तक नहीं जानते हैं। जब फाइनल एग्जाम के प्रयोग होते हैं तो केवल खाना पूर्ति ही होती है, यही हाल कृषि विज्ञान एवं भूगोल पढ़ने वाले छात्रों का भी हैं।
हाईस्कूल स्तर पर केवल दो कक्षायें चलती हैं कक्षा-९9 एवं 10 इन दो कक्षाओं में जितने भी हाईस्कूल स्तर के राजकीय विद्यालय हैं उनमें छात्र संख्या बहुत है अर्थात् किसी हाईस्कूल स्तर के विद्यालय में कक्षा 9 एव 10 में 30 छात्र किसी में 25 छात्र और किसी में 20 छात्र होते हैं। शासन स्तर से इन विद्यालयों पर छात्र हित में ध्यान दिया जाना चाहिए। जिससे इन छात्रों का भविष्य उज्ज्वल हो सके।
उत्तर प्रदेश में राजकीय माध्यमिक विद्यालयों की सच्चाई
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