(आशीष अवस्थी) नई दिल्ली। सभी शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) को खराब वायु वाले दिन में अनिवार्य रूप से समय पर सार्वजनिक स्वास्थ्य चेतावनी जारी करना चाहिए, जिससे जोखिम ग्रस्त समूहों को वायु प्रदूषण के गंभीर स्वास्थ्यगत प्रभावों से बचाने में सहायता मिल सके, इस मांग लेकर अपने तरह की पहली कंपेन में समूचे भारत के नागरिक संगठनों और जागरुक नागरिकों ने हिस्सेदारी की।
खराब वायु वाले दिन वे हैं जब किसी स्थान पर प्रदू षण मापक सूचकांक -एयर क्वालिटी इंडेक्स( एक्यूआई) सुरक्षित सीमा से अधिक हो जाता है और खराब, बहुत खराब या खतरनाक एक्यूआई स्तर पर पहुंच जाता है।
यह ऑनलाइन कंपेन (ीजजचेरूध्ध्इसनमेापमे.रींजां.वतहध्) ‘नीले आसमान के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छ वायु दिवस’ 7 सितंबर को आरंभ हुआ। इसकी शुरुआत के दूसरे वर्ष 2021 में विषय ‘स्वस्थ वायु,स्वस्थ पृथ्वी’ है जो वायु प्रदूषण के स्वास्थ्यगत पहलू पर जोर देता है, खासकर कोविड-19 महामारी के माहौल में।
स्वच्छ वायु के साझा उदेश्य से कार्यरत संगठनों, व्यक्तियों व संस्थानों के राष्ट्रीय सहयोगी नेटवर्क ‘क्लीन एयर कलेक्टिव’ के संयोजक बृकेश सिंह ने बताया कि नागरिकों के नेतृत्व में यह कंपेन दक्षता- विहिन व दस लाख से अधिक आबादी वाले 132 महा नगरों में आनलाइन आवेदन के माध्यम से चलाया जा रहा है। दक्षता-विहिन महा नगर वे हैं जो केन्द्रीय पर्या वरण मंत्रालय द्वारा निर्धारित वायु गुणवत्ता मानदंड को पूरा नहीं करते।
श्री सिंह ने कहा कि “स्थानीय नगर निकायों (यूएलबी) द्वारा जिस दिन वायु गुणवत्ता गंभीर रूप से खराब हो और नागरिकों के लिए अस्वस्थकर हो, उस दिन सार्वजनिक स्वास्थ्य को लेकर चेतावनी जारी की जानी चाहिए। यह राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्ययोजना( एनसीएपी) के अंतर्गत अनिवार्य है, जिसे सभी 132 दक्षता-विहिन महानगरों में लागू किया जाना है। उन्होंने कहा कि नागरिक समूह एनसीएपी के अंतर्गत सूचीबध्द विभिन्न महानगरों के लिए समयबध्द कार्य योजना से अवगत हैं और इसे सरकार को बताना चाहते हैं।”
इस आनलाइन आवेदन का उपयोग करते हुए नागरिक अपने महानगर में स्वच्छ- वायु कार्ययोजना का समुचित कार्यान्वयन का प्रयास कर सकते हैं और इस कंपेन के हिस्से के रूप में भारत के सभी दक्षता-विहिन महानगरों के नागरिक समूहों को प्रोत्साहित किया जा रहा है कि संबंधित नगर निगम आयुक्तों से मिलकर और लिखकर जब वायु गुणवत्ता खराब हो तब स्वास्थ्य चेतावनी जारी करने की मांग करें।
आवेदन को सोशल मीडिया और वाट्सअप समूहों में बड़े पैमाने पर प्रचारित किया जा रहा है और अभी ही 20 से अधिक संगठनों जो दिल्ली, पंजाब, झारखंड, बिहार, तमिलनाडु और दूसरे राज्यों में फैले हैं, ने कंपेन का न केवल सक्रियता से समर्थन किया है, बल्कि इसे अधिक नागरिक समूहों के पास ले जा रहे हैं।
डाक्टरों की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बताते हुए डॉ अरविंद कुमार, मैनेजिंग ट्रस्टी, लंग केयर फाउंडेशन चेस्ट सर्जन, इंस्टीच्यूट ऑफ चेस्ट सर्जरी, मेदांता, द मेडिसिटी ने कहा कि “ डाक्टर विभिन्न माध्यमों जैसे टीवी, रेडियो, सोशल मीडिया इत्यादि से स्वास्थ्य चेतावनी देने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उच्च वायु प्रदूषण स्तर के संसर्ग में रहने पर होने वाले नुकसान से बचाव का महत्वपूर्ण औजार स्वास्थ्य चेतावनी बन सकता है, वह लोगों को बाहरी गति विधियां साफ दिनों में करने के लिए भी प्रोत्साहित कर सकते हैं। इसप्रकार, लोगों को स्वच्छ वायु के महत्व को समझने में भी सहायक हो सकती हैं।”
श्री कुमार ने कहा कि वायु प्रदूषण की वजह से स्वास्थ्य आपातकाल अच्छी तरह स्थापित सत्य है जिससे इनकार करने की गुंजाइश अब नहीं रह गई है क्योंकि लंग केयर फाउंडेशन के ताजा शोध के निष्कर्षों ने वायु प्रदूषण के साथ ओबे सिटी, अस्थमा और एलर्जिक रोगों के संबंध को रेखांकित किया है।
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ( सीपीसीबी) के पूर्व अतिरिक्त निर्देशक दिपंकर साहा ने बताया कि एक्यूआई का निर्माण जन-जागरुकता के लिए की गई और समझ दारी बढ़ने से लोगों में अधिक सतर्कता आएगी और आखिरकार स्वास्थ्य के जोखिमों में अधिक कमी आएगी।
श्री साहा के अनुसार, नगर निकायों (यूएलबी) को जब किसी क्षेत्र में एक्यूआई सुरक्षित स्तर को पार कर जाए, तब निश्चित रूप से स्वास्थ्य चेतावनी जारी करनी चाहिए ताकि जनता अपने बचाव के लिए समुचित उपाय कर सके। उन्होंने कहा कि “इसे यथासंभव स्थानीय स्तर पर किया जाना चाहिए ताकि यह अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच सके। एनसीएपी ने अपना फोकस ठीक ही स्थानीय निकाय स्तर पर रखा है। हमें निश्चित ही सबों को शामिल करना चाहिए और इस संयुक्त प्रयास में सबकी भागीदारी सुनिश्चित करना चाहिए ताकि हम स्वच्छ वायु में सांस ले सकें।”
यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के इनर्जी पॉलिसी इंस्टीच्युट (ईपीआईसी) द्वारा हाल में जारी वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक -2019 ने उजागर किया है कि वायु प्रदूषण लगभग 40 प्रतिशत नागरिकों की जीवन-प्रत्याशा में 9 वर्ष से अधिक की कमी ला सकता है।
आईआईटी कानपुर में सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर एसएन त्रिपाठी जो एनसीएपी की संचालन समिति के सदस्य हैं, के अनुसार, सभी 132 दक्षता- विहिन महानगरों में नगर निकायों( यूएलबी) की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन्हें निगरानी नेटवर्क के बढ़ाने और विस्तार देने की प्रेरणा देता है, आंकड़ा तैयार करने और प्रसारित करने का ढ़ांचा (वेबसाइट, स्थानीय मीडिया और रेडियो) खड़ा करने और महानगर को समुचित तरीके से व्यवस्थित करने (बेहतर ट्रैफिक और कचरा प्रबंधन) के लिए प्रोत्साहित करता है।
श्री त्रिपाठी ने कहा कि नगर-निकायों (यूएलबी) को इन ढ़ांचों (फ्रेमवर्क) के अनुसार वित्तीय संसाधनों का आवंटन भी करना है जो उन्हें 15 वीं वित्त आयोग के अंतर्गत प्रदान की गई है और एनसीएपी बजट में है।
उन्होंने कहा कि “उन्हें वायु गुणवत्ता के विभिन्न स्तरों से संबंधित स्वास्थ चेतावनी जारी करने पर ध्यान देने की जरूरत है और उन चेतावनियों को नागरिकों के पास प्रतिदिन पहुंचाना चाहिए ताकि जागरुकता बेहतर हो सके।”
अभी भारत में निरंतर एक्यू निगरानी के 280 केंद्र हैं जो 2019 के मुकाबले 50 प्रतिशत अधिक है और रिपोर्टों के अनुसार अगर एनसीएपी ने कणीय (पार्टिकुलेट) उत्सर्जन में 2024 तक 30 प्रतिशत कटौती करने के अपने लक्ष्य को हासिल कर लिया तो यह औसत नागरिक के जीवन को कई वर्षों तक बढ़ाने में सफल हो सकता है।
स्वास्थ्य चेतावनी के माध्यम से खराब होती वायु गुणवत्ता के आंकड़ों को सार्वजनिक करना समय की जरूरत है जिसे वैज्ञानिकों द्वारा संचालित एक सर्वभारतीय अध्ययन ने रेखांकित किया है, इस अध्ययन में पता चला कि खराब वायु गुणवत्ता और कणीय उत्सर्जन (पार्टिकुलेट मैटर) (पीएम)2.5 के उच्चतर उत्सर्जन वाले इलाके में कोविड-19 का संक्रमण और उससे मृत्यु की संभावना अधिक है।
नागरिकों के कंपेन के लिए बना पोर्टल झटका.ओआ रजी की कंपेन डाय रेक्टर दिव्या नारायण ने कहा कि महामारी ने हम सभी को अपने और अपने परिजनों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए यथासंभव अधिक से अधिक जानकारी बटोरने के लिए मजबूर कर दिया है। उन्होंने कहा कि “इसीतरह हमें वायु और स्वास्थ्य पर उसके प्रभाव के बारे में अधिक से अधिक जानकारी आसानी से उपलब्ध करने की मांग करने की जरूरत को स्वीकार करना चाहिए जिसे हम सांस के रूप में ग्रहण करते हैं। यह कोविड- 19 के संदर्भ में अब अधिक महत्वपूर्ण है ताकि हम अपने स्वास्थ्य पर खराब वायु के प्रभावों को जानकर उसके बारे में समुचित फैसले कर सकें।”
खराब वायु (एक्यूआई) वाले दिनों में स्वास्थ्य चेतावनी जारी करने की मांग लेकर देशव्यापी नागरिक अभियान
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