मुसलमानों के धार्मिक, शैक्षिक, समाजिक और आर्थिक उत्थान में मुफ्ती-ए-आजम हिन्द ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई -मुफ्ती सलीम नूरी

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(मो0 रिजवान) बरेली, उत्तर प्रदेश। दरगाह आला हजरत पर आला हजरत फाजिले बरेलवी के छोटे साहिबजादे मुफ्ती आजम ए हिन्द हजरत अल्लामा मुस्तफा रजा खान अलैहि0 का 41 वा एक रोजा उर्स का आगाज हुआ। कोविड 19 की गाइड लाइन के अनुसार उर्स की सभी तकरीबात दरगाह प्रमुख हजरत मौलाना सुब्हान रजा खान (सुब्हानी मियां) की सरपरस्ती व सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रजा कादरी (अहसन मियां) की सदारत में अदा की गई। बाद नमाज ए फज्र आगाज कुरआन ख्वानी से हुआ। इसके महफिल ए मिलाद में नातख्वा आसिम नूरी व हाजी गुलाम सुब्हानी ने नात व मनकबत का नजराना पेश किया।
अपनी तकरीर में मुफ्ती मुहम्मद सलीम नूरी साहब ने कहा कि जमाना तो अब और आज समाज से पिछड़ेपन को दूर करने की बात कर रहा है,पिछडा वर्ग आयोग बनाया जा रहा है और समाज से पिछड़ेपन को दूर करने के अभियान अब चलना शुरु हुए हैं परन्तु हजरत मुफ्ती-ए-आजम हिन्द ने तो मुस्लिम समुदाय के पसमांदा तथा अति पिछडे वर्ग के धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक उत्थान के लिये आज से कई दशक पहले ही अहम भूमिका निभाई थी। जिसके परिणामस्वरूप विशेषकर भारत-नेपाल के पिछड़ेपन से ग्रस्त बहुत से मुस्लिम छेत्रों मे आज शैक्षिक, धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक तरक्की दिखायी दे रही है।
किसी भी कौम और समुदाय का सब से बडा पिछड़ापन दीनी व दुनियावी स्तर पर उसकी जिहालत है और उसका अशिक्षित होना है। पसमांदा समाज से जिहालत के इसी अंधेरे को दूर करने के लिए मुफ्ती-ए- आजम हिन्द ने विशेष तौर पर भारत और नेपाल के पसमांदा इलाकों के देशव्यापी दौरे किये। उनको सही, सच्ची, हक्कानियत से भरपूर शिक्षा प्रदान की, उनको मुरीद करके और अपने गले लगाकर उनके आत्मविश्वास और आत्मसम्मान को जगाया, उनको शिक्षित और दीक्षित करके उन्हे सर्वसमाज और पसमांदा समाज सब का इमाम बनाया। खानकाही और रुहानी व सुफी व्यवस्था की सब से बडी उपाधि ष्सनदे इजाजतो खिलाफत ष् प्रदान कर के इन पिछडेवर्गीय मुसलमानो को सर्वसमाज के बराबर लाकर खड़ा कर दिया।
मुफ्ती-ए-आजम हिन्द के भारत-नेपाल, पाक, अफ्रीका आदि देशों में ज्यादातर मुरीद, शागिर्द, शिष्य और खलीफा पसमांदा मुस्लिम समाज से संबन्धित हैं।
मुफ्ती-ए-आजम हिन्द अगणों, पिछडों, अमीरों और गरीबों मे कोई भेद-भाव नही करते थे। वह सब को एक ही निगाह से देखते थे। शरीअत जिसके साथ जो बर्ताव और व्यवहार करने का हुक्म देती उसके साथ वैसा ही व्यवहार, बर्ताव और सुलूक करते। वह मानवता के प्रतीक के रुप में शैक्षिक, धार्मिक और सामाजिक स्तर पर अति पिछडे मुस्लिम के लिये एक सच्चे हादी व रहनुमा थे। उन्होंनें कभी भी बातिल के आगे सर ना झुकाया, कभी बुराई का साथ ना दिया। वह सच्चे और उनकी तालीमात सच्चीं। हमें भी उनके आदर्शों और उनकी तालीमात को अपनाकर सामाजिक, आर्थिक और जातीय भेदभाव का खातमा करना चाहिए और अपने समाज से धार्मिक, सां- स्कृतिक, आर्थिक, व्यापारिक और शैक्षिक पिछड़ेपन को दुर करने के प्रयास करना चाहिए। मुफ्ती- ए-आजम हिन्द की जीवनी से हमे यही शिक्षा मिलती है। दरगाह के मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया उलेमा की तकरीर बाद नमाज ए ईशा (रात 9 बजे) शुरू होगी। देर रात एक बजकर 40 मिनट कुल शरीफ की रस्म अदा होगी।
इस मौके पर मौलाना एजाज अंजुम, मुफ्ती आकिल, मुफ्ती अफरोज, मुफ्ती अनवर अली,सय्यद फैजान रजा, हाजी जावेद खान,जहीर अहमद, शाहिद खान, परवेज नूरी, ताहिर अल्वी,औररंगजेब नूरी, अजमल नूरी, मंजूर खान, शान, आलेनबी, इशरत नूरी, साजिद,सय्यद माजिद, मुजाहिद बेग, सय्यद एजाज, गौहर खान, सुहैल रजा, तारिक सईद, नफीस खान, शारिक बरकाती, यूनुस गद्दी, जोहिब रजा, जावेद रजा खान, आशु रजा आदि लोग मौजूद रहे।

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