पंजाब में किसानों ने कांग्रेस नेताओं के खिलाफ किया प्रदर्शन, जानिए इसकी असल वजह ?

RAJNITIK BULLET
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Aug 10, 2021 

जहां पहले केवल भाजपा नेताओं को किसानों के विरोध का सामना करना पड़ रहा था, वहीं अब कांग्रेस नेताओं को भी राज्य भर में प्रदर्शनकारियों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है।

नयी दिल्ली। जहां पहले केवल भाजपा नेताओं को किसानों के विरोध का सामना करना पड़ रहा था, वहीं अब कांग्रेस नेताओं को भी राज्य भर में प्रदर्शनकारियों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है। यह 15 जून को शुरू हुआ, जब आनंदपुर साहिब के कांग्रेस सांसद भरता कलां और बाजिदपुर गांवों में कुछ विकास परियोजनाओं का उद्घाटन करने के लिए नवांशहर गए और दोआबा किसान यूनियन (डीकेयू) ने उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। तब कांग्रेस विधायक हरदयाल सिंह कंबोज को 27 जून को पटियाला के गांव बुधनपुर में विरोध का सामना करना पड़ा और 28 जून को कांग्रेस सांसद तिवारी को नवांशहर में फिर से काले झंडे दिखाए गए, जब वे सिविल अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट का उद्घाटन करने आए थे। नवांशहर से कांग्रेस विधायक अंगद सैनी को भी उसी दिन किसानों के गुस्से का सामना करना पड़ा था। वहां कीर्ति किसान यूनियन (केकेयू) के कार्यकर्ता धरना प्रदर्शन कर रहे थे।

 कैबिनेट मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू को 14 जुलाई को अंतिम समय में जालंधर के धनोवली गांव का दौरा रद्द करना पड़ा, जब उन्हें पता चला कि किसान उस स्थान पर पहुंच गए हैं, जहां उन्हें एक डिस्पेंसरी का उद्घाटन करना था। केकेयू और भारती किसान यूनियन (राजेवाल) के कार्यकर्ता इस विरोध का हिस्सा थे। सबसे पहले उन्हें 20 जुलाई को शहीद-ए-आजम भगत सिंह के पैतृक गांव खटकर कलां में विरोध का सामना करना पड़ा। केकेयू, दोआबा किसान यूनियन (डीकेयू) के कार्यकर्ता वहां विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। फिर 22 जुलाई, 24 जुलाई, 5 अगस्त और 6 अगस्त को उन्हें, तरनतारन, चमकोर साहिब, मोगा और जालंधर में इसी तरह के विरोध का सामना करना पड़ा। इन विरोधों का नेतृत्व किसान मजदूर संघर्ष समिति (केएमएससी), केकेयू और बीकेयू (राजेवाल) ने किया था।

बीकेयू के महासचिव जगमोहन सिंह ने कहा कि हमारा एकमात्र निर्देश भाजपा नेताओं के खिलाफ विरोध करना है, कांग्रेस सहित किसी अन्य पार्टी के खिलाफ विरोध करने के लिए कोई निर्देश नहीं हैं। उन्होंने कहा कि कभी-कभी संदेश जमीन पर ठीक से नहीं पहुंचता है और अपनी बैठकों में हम एसकेएम के निर्देशों के बारे में चीजें स्पष्ट कर देंगे, उन्होंने कहा कि एसकेएम के विरोध को अनुशासित तरीके से देखा जाना चाहिए।

किसान नेताओं ने कहा कि 8 महीने सड़कों पर बैठने के बाद प्रदर्शनकारियों में हताशा का स्तर बढ़ रहा है, अब वे विभिन्न मोर्चों पर राज्य सरकार की विफलता के लिए भी उसे घेरेंगे। वे सत्तारूढ़ कांग्रेस के झूठे वादों से भी थक चुके हैं और स्थानीय स्तर पर अपनी योजना के अनुसार विरोध कर रहे हैं। बीकेयू महासचिव सतनाम सिंह साहनी ने कहा कि जमीनी स्तर पर किसानों का मानना है कि कोई भी राजनीतिक दल उनके बचाव में नहीं आएगा और विरोध ही उन पर दबाव बनाने का एकमात्र तरीका है, जिसके कारण उन्होंने कांग्रेस के खिलाफ विरोध करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में अन्य दलों के नेताओं को भी इसी तरह के विरोध का सामना करना पड़ सकता है।

उन्होंने यह भी कहा कि किसान कृषि संकट से उबारने के लिए ठोस योजना चाहते हैं। साहनी ने यह भी कहा कि कुछ लोग व्यक्तिगत हिसाब चुकता करने के लिए किसान संघ के झंडों का इस्तेमाल कर रहे हैं। किसानों ने कहा कि सिद्धू ने पहले कभी उनके मुद्दे का समर्थन नहीं किया और न ही कभी किसी किसान के घर गए, बल्कि अब वोट के लिए उनका समर्थन करने का दावा कर रहे हैं।

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