चीन अमेरिका से सीधा टकराव के मूड में है, तो भारत टैरिफ का जवाब टैरिफ से देने के पक्ष में नहीं जो विपक्षीय व्यापार समझौते में कारगर सि( होगा

RAJNITIK BULLET
0 0
Read Time11 Minute, 4 Second

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी – गोंदिया। वैश्विक स्तरपर दुनियाँ के हर देश को ट्रंप के राष्ट्रपति चुने जाने से किसी न किसी रूप में चाहे वह आर्थिक, अवैध नागरिकता समस्या, टैरिफ, अमेरिकी फर्स्ट इत्यादि अनेकों एक्शन से दुनियाँ में तहलका मचा हुआ है। अभी 7 अप्रैल 2025 कोई हमने दुनियाँ के शेयर बाजारों को लहुलुहान होते हुए देखें। दुनियाँ भर की इकोनॉमीज में बवाल मचा हुआ है। ट्रंप ने मैक्सिको और कनाडा को आश्चर्यजनक रूप से कुछ महीनो की छूट देकर दुनियाँ को तो बहुत चैंका दिया परंतु चीन से टैरिफ वाॅर छेड़ा है, वहीं 2 अप्रैल में वह भारत के खिलाफ भी टैरिफ लगा चुके हैं। इस बीच अमेरिका में आने वाले महीनों में मंदी की आशंका गहराती जा रही है। अगर इन दोनों का पेच ज्यादा गहराता है तो भारत के सबसे ज्यादा बढ़ने वाला बिजनेस पर गंभीर नकारात्मक असर पढ़ सकता है। परंतु मेरा मानना है कि इन सब एक्शन से हालांकि अनेकों देशों पर नेगेटिव असर होगा, तो अमेरिका भीइससे अछूता नहीं रहेगा क्योंकि वहां भी मंदी के बादल छाए हुए हैं। अमेरिका द्वारा टैरिफ बढ़ाने से एक बड़ा वर्ग बाधित होगा। अन्य देशों से आने वाली वस्तुओं पर टैक्स बोझ बढ़ने से महंगी हो जाएगी, जबकि घरेलू वस्तुएं आलरेडी ही महंगी है, तो सबसे पहले उसका उपयोग या उपभोग होगा, जिसका असर अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर जरुर पड़ेगा जो रेखांकित करने वाली बात है। दूसरी और हमनें देखें कि 7 अप्रैल 2025 को पूरे विश्व के शेयर बाजार लहुलुहान हुए, पर चीन ने रणनीतिक रूप से सरकारी कंपनियों बैंकों के माध्यम से शेयर मार्केट पर इतना असर नहीं पड़ने देने में कामयाब हुआ। आज यह मुद्दा हम इसलिए उठा रहे हैं, क्योंकि सोमवार को अमेरिकी विभाग द्वारा पुष्टि की यह 104 पर्सेंट टैरिफ मंगलवार (08 अप्रैल 2025) की आधी रात से लागू हो गया है इसके जवाब में उधर चीन ने भी 34 पेर्सेंट टैरिफ बढ़ाकर अब 84 पेर्सेंट कर दिया है जो 10 अप्रैल 2025 से लागू कर दिया गया है। भारत में खासकर आईटी क्षेत्र में इसका अधिक असर पड़ेगा, हालांकि अन्य क्षेत्रों में भी असर पड़ने की पूरी संभावना है, इसलिए भारत को चाहिए कि एक रणनीतिक व्यवस्था के तहत सभी पहलु ओं को ध्यान में रखकर निर्णय लेने की आवश्यकता है। भारत को अमेरिका से राजनीतिक संबंधों को मजबूत करने, अच्छे व्यापारिक संबंध बनाए रखनें, विवादों से बचने, विजन 2047 को रेखांकित कर सटीक निर्णय लेने की आवश्यकता है। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सह योग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे,टैरिफ वार – ट्रंप ने चीन पर 104 पर्सेंट टैरिफ ठोका-चीन ने यूएस से लड़ाई में भारत से मदद मांगी। दुनियाँ भर की अर्थव्य वस्था में उथल-पुथल मची – टैरिफ वार तमाम देशों के लिए मुसीबत बंनाँ। साथियों बात अगर हम दुनियाँ भर में ट्रेडवार बढ़ने की आशंका की करें तो, अमेरिका के राष्ट्रपति ने चीन से आयातित सामानों पर 104 पर्सेंट टैरिफ लगाकर अमेरिका-चीन ट्रेड वाॅर को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। यह कदम चीन के 34 पर्सेंट जवाबी टैरिफ के बाद आया है, जिसे ट्रंप ने अनुचित व्यापार प्रथाओंश् का जवाब बताया इस टैरिफ से अमेरिकी उपभोक्ताओं पर महंगाई का बोझ बढ़ सकता है, कंपनियां संकट में आ सकती हैं, और वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में आ सकती है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन को बड़ा झटका देते हुए 104 पर्सेंट अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की है, यह टैरिफ मंगलवार आधी रात से प्रभावी हो गया है। जिसके बाद यूएस चाइना ट्रेड वाॅर बढ़ गया है। 2 अप्रैल को अमेरिकी प्रेसिडेंट द्वारा टैरिफ की घोषणा करने के बाद चीन ने भी जवाबी 34 पर्सेंट का टैरिफ लगाया था। इसके बाद ट्रंप ने चीन को धमकी दी थी कि वह यदि इस जवाबी टैरिफ को वापस नहीं लेते हैं तो उनके खिलाफ अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। अब ट्रंप प्रशासन ने वैसा ही किया है जैसी उन्होंने धमकी दी थी। बढ़ गई है ट्रेड वाॅर की आशंका, अमेरिका-चीन के बीच चल रहे इस टैरिफ युद्ध के कारण दुनियाँ में ट्रेड वाॅर की आशंका बढ़ गई है। चीन के द्वारा लगातार यह कहा जा रहा है कि वह अमेरिका के सामने नहीं झुकेंगे। ट्रंप प्रशासन के द्वारा लगाए गए इस भारी टैरिफ के बाद चीन भी बड़ा ऐलान कर दिया है। मीडिया न्यूज के अनुसार, कई रिपोर्टों में कहा गया है कि व्हाइट हाउस ने चीन पर 104 पर्सेंट अतिरिक्त टैरिफ लगा या है, जो आधी रात से प्रभावित हो गया है, क्योंकि चीन ने संयुक्त राज्य अमेरिका पर अपना 34 पर्सेंट प्रतिशोधत्मक टैरिफ वापस नहीं लिया है। अपने सोशल मीडिया प्लेट फाॅर्म ट्रुथ सोशल पर ट्रंप ने एक पोस्ट में चीन की आलोचना करते हुए कहा कि बीजिंग ने गलत काम किया, वे घबरा गए, ऐसा कुछ जो वे बर्दाश्त नहीं कर सकते। उन्होंने कहा था कि चीन ने टैरिफ पर बात चीत करना चाहिए, लेकिन इसके बजाय वह घबराहट में काम कर रहा है। 50 पर्सेंट अतिरिक्त टैरिफ लगाने की दी थी धमकी, अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन पर अतिरिक्त 50 पर्सेंट की टैरिफ लगाने की धमकी दी थी। फरवरी महीने में ट्रंप प्रशासन ने 20 पर्सेंट का टैरिफ चीन पर थोपा था। उसके बाद 2 अप्रैल को 34 पर्सेंट का अतिरिक्त टैरिफ लगाया गया। अब फिर से 50 पर्सेंट का नया टैरिफ लगाया है। बता दें कि साल 2018 में ट्रंप के पहले कार्यकाल में भी अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ की जंग शुरू हुई थी, जिसका मकसद चीन पर दबाव डालकर उस की व्यापार नीतियों में बदलाव लाना था। अब 2025 में ट्रंप के दोबारा सत्ता में आने के बाद यह टकराव फिर से तेज हो गया है, इसके साथ ही दुनियाँ में ट्रेड वाॅर की आशंका भी बढ़ गई है।
साथियों बात अगर हम चीन ने यूएस से लड़ाई में भारत से मदद की अपील की करें तो, भारत में चीन की एंबेसी के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि वैश्विक व्यापार और विकास के लिए सभी देशों को बहुपक्षीयता का समर्थन करना चाहिए और एकतरफा फैसलों और संरक्षणवाद का विरोध करना चाहिए। उनके अनुसार, इस तरह के टैरिफ युद्ध का कोई विजेता नहीं होता। जहां चीन अमेरिका से सीधा टकराव ले रहा है, वहीं भारत फिलहाल टैरिफ का जवाब टैरिफ से देने के पक्ष में नहीं दिख रहा है। भारत और अमेरिका के बीच एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते की दिशा में बातचीत चल रही है, जो दोनों देशों के लिए फायदेमंद हो सकता है। चीन ने इस संकट के बीच भारत की ओर उम्मीद से देखा है, भारत में चीन की एंबेसी की प्रवक्ता ने कहा कि चीन और भारत दोनों विकासशील राष्ट्र हैं और ऐसे में अमेरिका के टैरिफ जैसे कदम ‘वैश्विक दक्षिण’ देशों के विकास के अधिकार को छीनने की कोशिश हैं। उन्होंने कहा कि भारत और चीन को एकजुट होकर इन चुनौतियों का मुका बला करना चाहिए। आगे यह भी कहा कि वैश्विक व्यापार और विकास के लिए सभी देशों को बहुपक्षीयता का समर्थन करना चाहिए और एकत रफा फैसलों और संरक्षणवाद का विरोध करना चाहिए। उनके अनुसार, इस तरह के टैरिफ युद्ध का कोई विजेता नहीं होता।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि टैरिफ वार – ट्रंप ने चीन पर 104 पर्सेंट टैरिफ ठोका – चीन ने यूएस से लड़ाई में भारत से मदद मांगी। दुनियाँ भर की अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल मची-टैरिफ वार तमाम देशों के लिए मुसीबत बंनाँ। चीन अमेरिका से सीधा टकराव के मूड में है, तो भारत टैरिफ का जवाब टैरिफ से देने के पक्ष में नहीं जोविपक्षीय व्यापार समझौते में कारगर सिद्ध होगा।

Next Post

भारत के ट्रांसशिपमेंट के आदेश से बांग्लादेश का एक्सपोर्ट खर्च तीन गुना बढ़ सकता है - प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता पर घातक असर होगा

एडवोकेट […]
👉
preload imagepreload image