एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया। वैश्विक स्तर पर पूरी दुनियाँ में प्रौद्योगि की विज्ञान से सराबोर होकर अपने -अपने स्तरपर सफल ता के परचम छू रहे हैं और अब हर देश प्रौद्यौगिकी व डिजिटाइजेशन से आछूता नहीं है, जिसका दर्जा बहुत बड़ा हो चुका है इसकी उपलब्धि यों के पीछे मानवीय मस्तिष्क का कमाल है जो सफलता के झंडा गाढ़ रहा है। वही आज के युग में तकनीकी प्रौद्योगि की व उसके सहारे पूरी दुनियाँ में कनेक्टिविटी भी बढ़ती जा रही है, इसके लिए राजनीति क क्षेत्र में बुद्धिजीवी सफल व पारदर्शी व्यक्तित्व की आ वश्यकता होती है,जो पूरी तरह समर्पित होकर निस्वार्थ भाव से नेतृत्व करें। परंतु लंबे समय से हम देखते आ रहे हैं कि प्रौद्योगिकी युग को गति देने वालों व सामाजिक राज नीतिक धार्मिक क्षेत्र में अपनी सेवा या योगदान देकर सम र्पित भाव से कार्य करने वालों की टांग खींचने का प्रचलन हाल के कुछ वर्षों में काफी बढ़ गया है। यह काम ऐसे लोगों द्वारा किया जाता है जो इन क्षेत्रों में अपने वर्चस्व को बनाकर रखना चाहते हैं, उनकी मंशा रहती है कि मुझसे कोई आगे ना बड़े व उस राजनीतिक सामाजिक धार्मिक संगठन कोमम अपने ढंग से ढालने की कोशिशों में लगे रहते हैं, जिसके चक्कर में वह अपने से प्रबुद्ध विशाल बुद्धिमान सक्रिय सेवक की टांग खींचनें में पूरी ताकत झोंक देते है। अधिकतम फोक स उस सही व सच्चे सफल इंसान के ऊपर कोई आरोप लगाकर उसकी रेपुटेशन यानें इज्जत की हत्या कर देते है, ताकि वह फिर सर नहीं उठा सके, ऐसे वाक्यात मैंने संगठनों में अत्यंत करीब से देखे हैं कि सफल स्वच्छ व सच्चे इंसान की कोई कमजोर कड़ी को रेखांकित कर उसकी टांग खींचने में पूरी ताकत झोंक लेते हैं, उसको व्हाट्सएप ग्रुप से रिमूव कर देते हैं क्योंकि एक सफल समझदार व्यक्ति हमेशा अपने ऊपर फेके गए कटाक्ष रूपी पत्थरों से अपनी नीव मजबूत बनाते हैं। इसलिए आज हम मीडियामें उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, सामाजिक राजनीतिक धार्मिक क्षेत्र में मुझसे कोई आगे ना बड़े व संगठन को अ पने ढंग से ढालने की कोशिशों में टांग खिंचाई होती है।
साथियों बात अगर हम सफलता की सीढ़ी पर चढ़ रहे व्यक्ति की टांग खींचकर गिराने की करें तो, कई बार लोग कई कारणों से सफलता की सीढ़ियां चढ़ रहे व्यक्ति की टांग खींचते हैं। यह व्यव हार ईष्र्या, असुरक्षा या परिव र्तन के डर से उत्पन्न हो स कता है। कुछ व्यक्तियों को किसी और की सफलता से खघ्तरा महसूस हो सकता है और वे अपने बारे में बेहतर महसूस करने के लिए इसे कमजोर करना चाहते हैं। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि यह व्यवहार उस व्यक्ति का प्रतिबिंब नहीं है, जो सफलता प्राप्त कर रहा है, बल्कि यह उन लोगों की असुरक्षाओं और प्रेरणाओं का प्रतिबिंब है जो उनकी टांग खींच रहे हैं। ईष्र्या और अभिमान, इसके अलावा कम आत्मसम्मान भी इसमें शामिल हो सकता है। जब लोग अपने जीवन में दुखी होते हैं तो वे कई बार दूसरों की सफलता को खतरे के रूप में देखते हैं। दूसरे व्यक्ति को अपने लक्ष्य तक पहुँचने का जश्न मनाने के बजाय यह उनकी अपनी सभी असुरक्षाओं और कथित विफलताओं को सामने और केंद्र में लाता है। उनके अहंकार को ठेस पहुँच ती है और इससे ईष्र्या उत्पन्न होती है। ऐसे लोग हैं जो उन भावनाओं को अपने तक ही सीमित रखेंगे, लेकिन फिर ऐसे लोग भी हैं जो इसे इस हद तक ले जाएंगे कि बाधाएं खड़ी करेंगे या दूसरे व्यक्ति की सफलता या खुशी में तोड़ फोड़ करने की कोशिश करेंगे। यह वास्तव में बहुत दुखद है क्योंकि जिसे वे खतरा मानते हैं वह वास्तव में एक बेहतर इंसान बनने के लिए उनकी प्रेरणा हो सकती है। यह सब इस बारे में है कि हम किसी चीज को कैसे देखते हैं और हम उस जानकारी का उप योग कैसे कर सकते हैं। क्या हम इसका उपयोग दोहरी नकारात्मकता पैदा करने के लिए करना चाहते हैं या अपने जीवन में कुछ सकारात्मक लाने के लिए करना चाहते हैं। हमें जीवन में परिस्थितियाँ और बाधाएँ दी जाती हैं जिन से हमें पार पाना होता है ले किन अंततः वहाँ रहना हमारी पसंद है। सफल लोग बस ऐसे कदम उठाना चुनते हैं जिनसे सफलता मिल सके। इसका मतलब यह नहीं है कि वे अपने सभी सपने हासिल कर लेंगे, लेकिन अगर वे आगे बढ़ रहे हैं तो उन्हें पता है कि रुके रहने से हमेशा बे हतर है। इससे एक जहरीली मानसिकता पैदा हो सकती है जो उनकी अपनी नकारात्म कता पर विचार करती है। यह एक दौड़ में होने जैसा है और हम दूसरों को अपने से आगे निकलते हुए देखते हैं लेकिन हम स्थिर खड़े रह ते हैं। जब तक हम हमेशा बढ़ते रहेंगे, हमको दूसरों को नीचे गिराने की जरूरत मह सूस नहीं होगी। आशा है कि हम वह व्यक्ति होंगे जो रास्ते में गिरे हुए लोगों को उठा सकते हैं। कई बार लोग कई कारणों से सफलता की सीढ़ि यां चढ़ रहे व्यक्ति की टांग खींचते हैं। यह व्यवहार ईष्र्या, असुरक्षा या परिवर्तन के डर से उत्पन्न हो सकता है। कुछ व्यक्तियों को किसी और की सफलता से खतरा महसूस हो सकता है और वे अपने बारे में बेहतर महसूस करने के लिए इसे कमजोर करना चाहते हैं। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि यह व्यवहार उस व्यक्ति का प्रतिबिंब नहीं है जो सफलता प्राप्त कर रहा है, बल्कि यह उन लोगों की असुरक्षाओं और प्रेरणाओं का प्रतिबिंब है जो उनकी टांग खींच रहे हैं। इस दुनियाँ में किसी भी दो लोगों के पास सटीक क्षमता और रवैया न हीं है। कुछ महत्वाकांक्षी और वास्तविकता प्रेमी होते हैं जबकि अन्य केवल दबंग और चापलूसी प्रेमी होते हैं। तो, निश्चित रूप से, जब ऐसे लोग किसी समय टकराते हैं, तो बाद वाले को एहसास होता है कि दुनिया श्उसकी घड़ीश् के अनुसार काम नहीं करती है और ऐसे लोग अपने सामने आने वाली वास्तविकता को सहन नहीं कर सकते हैं।
इसलिए दुनिया को अपने अनुसार ढालने की कोशिश में वे उन लोगों को नीचे गिराने की कोशिश करते हैं जिन्हों ने अपनी निष्पक्ष मेहनत से प्रसिद्धि अर्जित की है। लेकि न ऐसे संकीर्ण दिमाग कभी भी वास्तविक सफलता की गहराई को नहीं समझ सकते हैं और यह भी कि कड़ी मेह नत से अर्जित गौरव को नफ रत के सस्ते कृत्यों से कभी कम नहीं किया जा सकता है। यह अधिकांश मनुष्यों के लिए भी सत्य है। जब दूसरे लोग जीवन में आगे बढ़ते हैं तो उन्हें ईर्ष्या महसूस होती है। वे यह सुनिश्चित करने के लिए कई चीजें करते हैं कि उनका विकास सुचारू रूप से न हो। मैं निश्चित तौर पर इस बात से सहमत होऊंगा कि सभी इंसान ऐसे नहीं होते। लेकिन जब हम अपने आस-पास के लोगों से बुरी तरह प्रभावित होते हैं, तो पूरी दुनिया को काले रंग में रंगना स्वाभाविक है। लोग समझते हैं कि दूसरों का स्तर गिराकर वे महान हैं। वो लोग यह नहीं समझते कि महान बनने के लिए अपनी लाइन बढ़ानी पड़ती है, अपनी लाइन घिसानी नहीं पड़ती। लेकि न लोग इस बात को नहीं समझते और हमेशा लोगों की टांग खींचते रहते हैं एक दयालु और अच्छा इंसान होने के दुष्प्रभाव यह है कि इस दुनिया में हमारे माता-पिता के अलावा कोई भी हमारी प्रगति या हमारी दयालुता से खुश नहीं होगा। यही बुनि यादी मनोविज्ञान है। सफल लोग बस ऐसे कदम उठाना चुनते हैं जिनसे सफलता मिल सके। जब तक हम हमेशा बढ़ते रहेंगे, हमको दूसरों को नीचे गिराने की जरूरत मह सूस नहीं होगी। आशा है कि हम वह व्यक्ति होंगे जो रास्ते में गिरे हुए लोगों को उठा सकते।
साथियों बात अगर हम टांग खींचने को गंभीरता से नहीं, लेने की करें तो, जब कोई मेरी टांग खींचता है तो मैं इसे गंभीरता से क्यों लेता हूं? मुझे क्या करना चाहिए? जब कोई हमारी टांग खींच रहा है और हम यह अच्छी त रह से जानते हैं, तो यह स्पष्ट है कि जो कुछ भी किया गया है वह केवल मनोरंजन के लिए है। इसे गंभीरता से लेने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है। ऐसा हो सकता है कि हमको यह पसंद न हो कि दूसरे लोग हमारे बारे में क्या बातें कहते हैं, लेकिन फिर हमको यह समझना होगा कि उनका हमको ठेस पहुँचाने का कोई इरादा नहीं है और यह बस लापरवाही से कहा गया है। ऐसी स्थितियों में सबसे अच्छी बात यह है कि ऐसी बातों को गंभीरता से न लें और उन्हें जाने दें। यदि हमको सही लगता है तो हम लापरवाही से भी प्रतिक्रिया दे सकते हैं अन्यथा बुरा मत मानना। इस दुनिया में किसी भी दो लोगों के पास सटीक क्षमता और रवैया नहीं है। कुछ महत्वाकांक्षी और वास्तविक ता प्रेमी होते हैं जबकि अन्य केवल दबंग और चापलूसी प्रेमी होते हैं। तो, निश्चित रूप से, जब ऐसे लोग किसी समय टकराते हैं, तो बाद वाले को एहसास होता है कि दुनिया उसकी घड़ी के अनु सार काम नहीं करती है और ऐसे लोग अपने सामने आने वाली वास्तविकता को सहन नहीं कर सकते हैं। इसलिए दुनिया को अपने अनुसार ढालने की कोशिश में वे उन लोगों को नीचे गिराने की कोशिश करते हैं जिन्होंने अपनी निष्पक्ष मेहनत से प्रसि द्धि अर्जित की है। लेकिन ऐसे संकीर्ण दिमाग कभी भी वास्तविक सफलता की गह राई को नहीं समझ सकते हैं और यह भी कि कड़ी मेहनत से अर्जित गौरव को नफरत के सस्ते कृत्यों से कभी कम नहीं किया जा सकता है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि सफल व्यक्ति के प्रतिस्पर्धी उसकी कमजोर कड़ी रेखांकित कर टांग खीं चने में अपनी ताकत झोंक देते हैं सामाजिक राजनीतिक धा र्मिक क्षेत्रों में मुझसे कोई आगे ना बढ़े की कोशिशों में टांग खिंचाई होती है। मानवीय जीवों में एक दूसरों की टांग खिंचा ई का प्रचलन तेजी से बढ़ा।
कुछ व्यक्तियों को किसी और की सफलता से अपने वर्चस्व खोने के खतरे व ईष्र्या, असुरक्षा से यह उत्पन्न हो सकता है

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