21वीं सदी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विकास और तबाही दोनों का टूल बन सकता है

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एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
वैश्विक स्तरपर सर्वविदित है कि मानवीय सुख सुविधा ओं को प्राप्त करने में जहां एक और सुख सुविधाओं का अंबार होता है तो वहीं दूसरी ओर जलवायु परिवर्तन के नतीजो जैसा भयंकर तबाही का आलम भी होता है जो हम सदियों से देखते आ रहे हैं। परंतु मानव जाति है कि सिर्फ अपने वर्तमान सुख सुविधाओं में ही रमी रहती है, भविष्य में आने वाली हमारी पीढ़ियों के बारे में ध्यान नहीं देते हैं, अब समय आ गया है कि हमें अपनी इस सोच को रेखांकित करना होगा क्योंकि आज तकनीकी और प्रौद्योगिकी चार कदम आगे बढ़कर आर्टि फिशियल इंटेलिजेंस की ओर दुनियां बढ़ गई है, जिसमें विकास की अपार संभावनाएं हैं तो तबाही की भी काफी संभावनाएं आ सकती है जो हमें वर्तमान डीपफेक के रूप में नजर आ रही है, इसके अलावा साइबर सिक्योरिटी, डाटा थेफ्ट और सबसे बड़ी बात यह है कि आतंकवादियों के हाथ में एआई टूल्स आ जाने से बहुत बड़ा खतरा उत्पन्न हो जाएगा जिसका विश्व के सभी देशों को मंथन करना जरूरी हो गया है। इसलिए ही एआई पर वैश्विक साझेदारी करना,तकनीक का आदान-प्रदान, विचार विमर्श करना जरूरी हो गया है, इसलिए ही 29 देशों का एआई पर वैश्विक साझेदारी शिखर सम्मेलन 12-14 दिसंबर 2023 को भारत में शुरू हो गया है, जिसका उद्घाटन माननीय पीएम ने 12 दिसंबर 2023 को किया जिसका उद्देश्य एआई के निरंतर विकसित हो रहे क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग और ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा मिल सके क्योंकि एआई विकास और तबाही दोनों का टूल बन सकता है, इसलिए आज हम मीडिया व पीआईबी में उपलब्ध जान कारी के सहयोग से इस आर्टि कल के माध्यम से चर्चा करेंगे, भारत को विकास की नई ऊंचाइयों तक ले जाने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का अहम रोल होगा।
साथियों बात अगर हम दिनांक 12 दिसंबर 2023 को माननीय पीएम द्वारा एआई शिखर सम्मेलन के उद्घाटन की करें तो, आज नई दिल्ली के भारत मंडपम में ग्लोबल पार्टनरशिप आन आर्टिफिशि यल इंटेलिजेंस (जीपीएआई) शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया। उन्होंने ग्लोबल एआई एक्सपो का भी अवलोकन किया। जीपीएआई 29 सदस्य देशों के साथ एक बहु-हित धारक पहल है, जिसका लक्ष्य एआई से संबंधित प्राथमिक ताओं पर अत्याधुनिक अनुसं धान और व्यावहारिक गतिवि धियों का समर्थन करके एआई पर सिद्धांत और व्यवहार के बीच अंतर को पाटना है। भारत 2024 में जीपीएआई का लीड चेयर है।
साथियों बात अगर हम एआई शिखर सम्मेलन को जानने की करें तो, यह अनुसं धान संगोष्ठी है, वार्षिक जीपी एआई शिखर सम्मेलन के हिस्से के रूप में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकीमंत्रालय (एमईआईटीवाई) आईआईटी मद्रास में सेंटर फार रिस्पा न्सिबल एआई (सीईआरएआई) के सहयोग से एक शोध संगोष्ठी का आयोजन कर रहा है। संगोष्ठी, जिसका विषय है सार्वजनिक क्षेत्र के अनु प्रयोगों में जिम्मेदार एआई को आगे बढ़ाना, जिम्मेदार एआई पहल पर सहयोग करने के लिए भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर के शिक्षाविदों और शोद्द कर्ताओं के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है। जून 2020 में स्थापित ग्लोबल पार्टनरशिप आन आर्टिफिशि यल इंटेलिजेंस (जीपीएआई) एक अभूतपूर्व बहु-हितधारक पहल है। भारत 2020 में जीपीएआई के संस्थापक सदस्यों में से एक है।एआई के क्षेत्र में सिद्धांत और व्यव हार के बीच अंतर को पाटने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ, जीपीएआई एआई से संबंद्दित प्राथमिकताओं पर अत्याधु निक अनुसंधान और व्यावहा रिक गतिविधियों का समर्थन करता है।
प्रारंभ में 15 सदस्य देशों के साथ शुरू किए गए, जीपीएआई ने 28 सदस्य देशों और यूरोपीय संघ को शामिल करने के लिए अपनी सदस्यता का उल्लेखनीय रूप से विस्तार किया है। विशिष्ट प्रतिभागी संगोष्ठी में इंजीनियरिंग और सार्वजनिक नीति क्षेत्रों के प्रतिष्ठित विद्वानों और चिकि त्सकों की भागीदारी है। न्यूयार्क यूनिवर्सिटी आक्स फोर्ड यूनिवर्सिटी, इंस्टीट्यूट आफ इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रा निक्स इंजीनियर्स, कार्नेगी मेलॉन यूनिवर्सिटी और पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट आफ मेडि कल एजुकेशन एंड रिसर्च, चंडीगढ़ जैसे प्रसिद्ध संस्थानों के प्रतिनिधि चर्चा में योगदान देंगे। कान्फ्रेंस शार्टलिस्ट ट्रैक के लिए कागजात की मांग 24 जुलाई, 2023 को जारी की गई थी।
36 से अधिक देशों के शोधकर्ताओं से जबरदस्त प्रतिक्रिया प्राप्त हुई थी। सबमिशन में विभिन्न विषयों को शामिल किया गया, जिनमें जिम्मेदार एआई सिद्धांत, एल्गोरिदमिक जवाब देही, और स्पष्टीकरण, जिम्मे दार एआई आकलन और बहुत कुछ शामिल हैं। शिक्षा जगत उद्योग और सरकार के सदस्यों वाली एक प्रतिष्ठित समिति द्वारा आयोजित एक कठोर समीक्षा प्रक्रिया के बाद, संगोष्ठी में शामिल करने के लिए 11 प्रस्तुतियाँ चुनी गईं आर्टिफि शियल इंटेलिजेंस (एआई) के क्षेत्र में असाधारण काम करने वाले विश्व के दिग्गज इस सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। तीन दिनों तक चलने वाले इस शिखर सम्मेलन के दौरान, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और वैश्विक स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल, आर्टिफिशियल इंटेलि जेंस और डाटा गवर्नेंस जैसे विषयों पर कई सत्र आयोजित किएजा रहे हैं।
जीपीएआई एक बहुपक्षीय पहल है जिसके हित धारकों का उद्देश्य इससे जुड़े प्राथ मिकता वाले क्षेत्रों में अत्याद्दु निक शोध और अनुप्रयोग संबंद्दी गतिविधियों को बढ़ावा देकर आर्टिफिशियल इंटेलि जेंस के सिद्धांत और व्यवहार के बीच की दूरी को पाटना है। शिखर सम्मेलन में देशभर से 50 से अधिक जीपीएआई विशेषज्ञ और 150 से अधिक वक्ता भाग ले रहे हैं। इसके अलावा इंटेल, रिलायंस जियो, गूगल, मेटा, एडब्ल्यूएस, योटा, नेटवेब,पेटीएममाइक्रोसॉफ्ट मास्टरकार्ड, एनआईसी, एस टीपीआई, इमर्स, जियो हैप्टिक, भाषिनी आदि समेत दुनिया भर के शीर्ष एआई गेमचेंजर्स विभिन्न कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं. इसमें युवा एआई पहल के तहत विजेता छात्र और स्टार्ट-अप भी अपने एआई माडल और समाधान प्रदर्शित करेंगे। भारत सरकार की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि शिखर सम्मेलन में ऐसे मुद्दों पर चर्चा होगी जिनमें एआई का इस्तेमाल सामाजिक परिवर्तन को सक्षम करने और स्वास्थ्य देखभाल, पहुंच, जलवायु परिवर्तन, टिकाऊ कृषि समेत वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए होगी।इसके अलावा जलवायु कार्रवाई के लिए एआई पर भी एक सत्र का आयोजन होगा। एआई और सतत कृषि के नाम से भी एक सत्र का आयोजन होगा। इस सत्र का उद्देश्य स्थिति अध्ययन और सफल आर्टिफिशियल इंटेलि जेंस तैनाती माडल के उदाह रणों पर चर्चा करके ग्लोबल साउथ में टिकाऊ कृषि के लिए एआई इनोवेशन का लाभ उठाने के अवसरों की पहचान करना है।
साथियों बात अगर हम एआई शिखर सम्मेलन में माननीय पीएम के संबोधन की करें तो, उन्होंने एआई के नकारात्मक पहलुओं की ओर ध्यान खींचते हुए कहा कि भले ही इसमें 21वीं सदी में विकास का सबसे मजबूत उपकरण बनने की क्षमता है, लेकिन यह इसके विनाश में भी अपनी भूमिका निभा सकता है। डीपफेक, साइबर सुरक्षा, डेटा चोरी और आतंक वादी संगठनों द्वारा एआई उपकरणों पर हाथ डालने की चुनौतियों की ओर इशारा करतेहुए उन्होंने जवाबी उपायों की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने भारत की जी20 अध्यक्षता के दौरान जिम्मेदार मानव-केंद्रित एआई शासन के लिए एक रूपरेखा बनाने के भारत के प्रस्ताव पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जी-20 नई दिल्ली घोषणा ने एआई सिद्धांतों के प्रति सभी सदस्य देशों की प्रतिबद्धता की पुष्टि की है। उन्होंने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर समझौतों और प्रोटो काल की तरह एक साथ काम करने व एआई के नैतिक उप योग के लिए एक रूपरेखा तैयार करने पर जोर दिया, जिसमें उच्च जोखिम वाले या सीमांत एआईउपकरणों का परीक्षण और विकास शामिल है। पीएम ने दृढ़ विश्वास प्रति बद्धता, समन्वय और सहयोग की आवश्यकता पर जोर देते हुए पूरी दुनिया से इस दिशा में एक क्षण भी बर्बाद न करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, हमें वैश्विक ढांचे को एक निश्चित समय-सीमा के भीतर पूरा करना होगामानवता की रक्षा के लिए ऐसा करना बहुत जरूरी है। एआई को एक विश्वव्यापी अभियान बताते हुएउन्होंने सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने एआई उपकरणों के परीक्षण और प्रशिक्षण के लिए डेटा सेट, किसी भी उत्पाद को बाजार में जारी करने से पहले परीक्षण की अवधि जैसे कुछ प्रश्न सुझाए, जिन्हें एआई की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए हल करने की आव श्यकता है। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या किसी सूचना या उत्पाद को एआई जनरेटेड के रूप में चिह्नित करने के लिए एक साफ्टवेयर वाटर मार्क पेश किया जा सकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी प्रणाली को टिकाऊ बनाने के लिए उसे परिवर्तनकारी, पारदर्शी और विश्वसनीय बनाना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, इसमें कोई संदेह नहीं है कि एआई परिवर्तनकारी है लेकिन इसे अधिक से अधिक पारदर्शी बनाना हम पर निर्भर है।
उन्होंने कहा कि इस्तेमाल किए जा रहे डेटा को पारदर्शी और पूर्वाग्रह से मुक्त रखना एक अच्छी शुरुआत होगी। यह भी कहा कि सभी देशों को यह आश्वस्त करना जरूरी है कि एआई की विकास यात्रा में कोई भी पीछे नहीं रहेगा। एआई पर भरोसा तभी बढ़ेगा जब संबंधित नैतिक, आर्थिक और सामाजिक पहलुओं पर ध्यान दिया जाएगा।
उन्होंने कहा, ऐसा करने का एक तरीका अप-स्किलिंग और री-स्किलिंग को एआई ग्रोथ कर्व का हिस्सा बनाना है। वैश्विक दक्षिण में डेटा सुरक्षा और आश्वासन भी कई चिंताओं को दूर करेंगे।
संबोद्दन का समापन करते हुए, उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि जीपीएआई शिखर सम्मेलन विचारों के आदान- प्रदान का एक उत्कृष्ट अवसर और प्रत्येक प्रतिनिधि के लिए सीखने का एक महत्वपूर्ण अनुभव साबित होगा। अंत में कहा,अगले दो दिनों में, आप एआई के विभिन्न पहलुओं पर गौर करेंगे। मुझे उम्मीद है कि इसके लागू होने के फलस्वरुप, निश्चित रूप से एक जिम्मेदार और टिकाऊ भविष्य के निर्माण का मार्ग प्रशस्त होगा।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि आर्टिफिशियल इंटे लिजेंस पर वैश्विक साझेदारी शिखर सम्मेलन 12-14 दिसंबर 2023 पर विशेष। 21वीं सदी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विकास और तबाही दोनों का टूल बन सकता है भारत को विकास की नई ऊंचाइयों तक ले जाने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का अहम रोल होगा।

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