(राममिलन शर्मा) रायबरेली। राष्ट्रीय क्षय (टीबी) उन्मूलन कार्यक्रम (एन टीईपी) के तहत निजी क्षेत्र में टीबी रोगियों का नोटिफि केशन बढ़ाने के लिए सात से 14 दिसंबर तक चलने वाले विशेष अभियान के अंतर्गत शुक्रवार को जिला छह रोग अधिकारी डाॅ. अनुपम सिंह की अध्यक्षता में समस्त निजी चिकित्सकों की बैठक बुलाई गई तथा उनसे अपील की गई की समस्त पद्धति के निजी चिकित्सकों द्वारा इस अभियान के दौरान इलाज पर चल रहे क्षय रोगियों की सूचना विभाग को दी जाए
इसी क्रम में आई एम ए अध्यक्ष डाॅ.बृजेश सिंह तथा सिमहन्स हाॅस्पिटल के डाॅ. मनीष चैहान से मुलाकात कर आईएमए के पटल से समस्त निजी चिकित्सकों को कोई संदेश दिया गया कि क्षय रोग के उन्मूलन के लिए चलाए जा रहे अभियान में ज्यादा से ज्यादा क्षय रोगियों को नोटि फाई कर विभाग को सूचना निक्षय पोर्टल के माध्यम से दी जाए।
इस मौके पर जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि यह अभियान इसलिए चलाया जा रहा है जिससे कि अधि क से अधिक क्षय रोगियों को खोजकर उनका इलाज शुरू किया जा सके द्य इसमें सभी पद्धति के चिकित्सकों की भूमिका अहम है। सभी निजी चिकित्सकों को आवश्यक रूप से अपने यहाँ इलाज करा रहे टीबी रोगियों की सूचना निक्षय पोर्टल पर देना है क्यों कि भारत सरकार के राज्य पत्र संख्या – 28015ध्2ध्2012 के आदेशनुसार समस्त क्षय रोगियों की सूचना सरकार को दिया जाना आवश्यक है इस का उल्लंघन भारतीय दंड संहिता की धारा 269 व 270 के तहत दंडनीय अपराध है। इसके साथ ही निक्षय पोर्टल पर टीबी रोगियों का पंजीक रण होने के बाद टीबी के इ लाज को लेकर सरकार द्वारा जो सुविधायें दी जा रही हैं, वह उसका लाभ ले पाएंगे।
डाॅ. अनुपम सिंह ने टीबी के लक्षणों के बारे में बताया कि टीबी के लक्षण है- दो सप्ताह या उससे अधिक समय तक खांसी आना, शाम के समय बुखार का बढ़ना, रात में पसीना आना, भूख कम लगना, लगातार वजन में कमी आना, खांसी के साथ खून आना और लागातार सीने में दर्द होना। उन्होंने आयुष चिकित्सकों से कहा कि वह अपने यहाँ आने वाले लोगों को इन लक्षणों के बारे में जागरूक करें।
इस मौके पर डाॅ0 रमेश श्रीवास्तव अध्यक्ष होम्योपैथी संघ, डाॅ. एस यू खान अध्यक्ष नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन (नीमा) रायबरेली, डाॅ. राजीव सिंह, जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी डी. एस. अस्थाना, अभय मिश्रा, मनीष श्रीवास्तव, एनटीईपी टीम एवं एचएलएफटीटी- संस्था का नाम ठीक की जिए टीम आदि मौजूद रहे।
आयुष चिकित्सकों को टीबी को लेकर किया गया संवेदीकृत
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