भारत अमेरिका टू प्लस टू वार्ता में द्विपक्षीय संबंधों प्रौद्योगिकी, रक्षा और वैश्विक मुद्दों पर समीक्षा की संभावना

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भारत अमेरिका द्विपक्षीय संबंधों को प्रगाड़य करने 2018 से टू प्लस टू वार्ता के दूरगामी सकारात्मक परिणाम आते रहे है
एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
वैश्विक स्तरपर भारत अमेरिका के बढ़ते प्रगाढ़य संबंधों पर पूरी दुनियां की नजरें लगी हुई है, क्योंकि हर देश आज समझ चुका है कि भारत को साथ लिए बिना वैश्विक मंचों पर कोई निर्णय लेना सटीक नहीं होगा।अब तो जी-20 में भारत की पहल पर अफ्रीकी संघ जिसमें 49 देश शामिल है को भी, जी 20 में 21 वां सदस्य बनाया गया है जिसके कारण भारत दक्षिण एशिया का लीडर बनकर उभर रहा है और जी-20 में मध्य पूर्व यूरोपीय आर्थिक गलियारा स्थापित करने को भी घोषणा की गईहैसर्वेविद्त है कि भारत अमेरिका पिछले कुछ वर्षों से अनेकों कार्य मिलकर रणनीतिक साझेदारी के तहत कर रहे हैं, अनेकों मुद्दों पर विदेश, रक्षा प्रौद्योगिकी मंत्री सहित दोनों देशों के प्रमुख समकक्ष वार्ता करते रहते हैं। जैसे वर्ष 2018 से भारत अमेरिका में टू प्लस टू वार्ता भी होती रही है इसी कड़ी में भारत के सबसे पवन पर्वों में से एक धनतेरस के दिन यानें 10 नवंबर 2023 को अमेरिकी विदेश, रक्षा मंत्री की भारतीय समकक्ष के साथ टू प्लस टू वार्ता का आयोजन किया गया है जिसके विस्तृत सकारात्मक दूरगामी परिणाम निकलने की संभावना है। द्दन तेरस का दिन सबसे शुभ माना जाता है क्योंकि पंच-पर्व दीपावली का पहला पर्व धन तेरस इस बार पराक्रम योग के साथ शुक्रवार, 10 नवम्बर को मनाया जाएगा। इस दिन शुक्र प्रदोष भी रहेगा, जिस कारण से शुक्र प्रदोष और द्दन त्रयोदशी का महासंयोग बन रहा है। साथ ही विष कुंभ योग भी है। त्रयोदशी तिथि 10 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 36 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 11 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 58 तक रहेगी। यदि प्रदोष काल, स्थिर लग्न यानि वृषभ लग्न के दौरान धनतेरस पूजा की जाये तो लक्ष्मीजी घर में ठहर जाती है।
चूंकि इस शुभ अवसर पर दोनों जिगरी दोस्त मिल बैठ करटू प्लस टू वार्ता कर रहे हैं, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जान कारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे भारत अमेरिका द्विपक्षीय संबंधों को प्रगाढ़य करने 2018 से टू प्लस टू वार्ता के दूरगामी सकारात्मक परिणाम आते रहे हैं। साथियों बात कर हम भारत अमेरिका के 10 नवंबर 2023 को टू प्लस टू वार्ता की करें तो, दोनो के बीच इस सप्घ्ताह टू प्घ्लस टू वार्ता होने जा रही है। दोनों देशों के बीच यह बातचीत ऐसे समय पर हो रही है जब चीन ने हिंद प्रशांत क्षेत्र में अपनी दादागीरी को तेज कर दिया है। एक अमेरिकी विशेषज्ञ के अनुसार, भारत और अमेरिका के बीच टू प्लस टू मंत्रिस्तरीय वार्ता दोनों देशों की वैश्विक साझेदारी के प्रति अटूट प्रतिबद्धता और स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत के लिए उनके साझा दृष्टिकोण की पुष्टि करने के वास्ते एक मंच के रूप में काम करेगी। यह बैठक इस सप्ताह नयी दिल्ली में आयोजित की जाएगी। विदेश मंत्रालय ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रक्षा मंत्री लॉयड आस्टिन अपने भारतीय सम कक्ष विदेश मंत्री एस. जय शंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ इस सप्ताह पांचवीं टू प्लस टू मंत्रिस्तरीय वार्ता के लिए भारत जाएंगे। मंत्रालय ने कहा कि ब्लिंकन और ऑस्टिन अन्य वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों के साथ द्विपक्षीय एवं वैश्विक चिंताओं एवं हिंद-प्रशांत में जारी गतिविधियों पर चर्चा करेंगे। एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट के साउथ एशिया इनिशिएटिव्स की निदेशक ने कहा कि एक जटिल और लगातार विकसित हो रहे वैश्विक परिदृश्य की पृष्ठभूमि में यहसंवाद अमेरिका और भारत की वैश्विक साझेदारी और एक स्वतंत्र एवं मुक्त हिंद -प्रशांत के लिए उनकी साझा दृष्टि के प्रति अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि करने के मंच के रूप में काम करेगा। दोनों पक्ष हिन्द प्रशांत क्षेत्र सहित रक्षा उपकरणों के विकास से संबंद्दित संयुक्त उपक्रमों पर भी बातचीत करेंगे। इसके अलावा लड़ाकू विमानों के लिए इंजन , एम क्यू प्रीडेटर ड्रोन और सेमीकंडक्टर विनि र्माण के बारे में चल रही बात चीत को भी आगे बढाया जायेगा। दोनों देशों के बीच मंत्री स्तरीय टू प्लस टू संवाद वर्ष 2018 से हो रहा है। दोनों देश भारतीय पीएम और अमेरिकन राष्ट्रपति के बीच गत जून और सितम्बर में हुए विचार विमर्श के आधार पर भारत- अमरीका साझीदारी के भविष्य के रोडमैप पर बातचीत करेंगे। इसके अलावा समसामयिक क्षेत्रीय मुद्दों तथा क्वाड जैसे मंचों पर सहयोग बढाने के बारे में भी चर्चा की जायेगी। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि इस मौके पर दोनों देशों के मंत्रियों के बीच द्विपक्षीय वार्ता भी होगी।
साथियों बात अगर हम टू प्लस टू वार्ता के उद्देश्यों की करें तो, उन्होंने कहा, आगामी पांचवी अमेरिका- भारत टू प्लस टू मंत्रिस्तरीय वार्ता एक मजबूत साझेदारी को गहरा करने का वादा करती है जिसमें खासकर रक्षा सहयोग के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति देखी गई है। इस सप्ताह भारत में होने वाली टू प्लस टू मंत्रिस्तरीय वार्ता में दोनों देशों के शीर्ष अधिकारी शामिल होंगे। हिंद -प्रशांत एक जैव-भौगोलिक क्षेत्र है, जिसमें हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर सहित पश्चिमी और मध्य प्रशांत महा सागर शामिल है।
अमेरिका, भारत और कई अन्य विश्व शक्तियां संसाधन संपन्न क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधि की पृष्ठभूमि में एक स्वतंत्र, खुले और संसाधन संपन्न हिंद-प्रशांत को सुनि श्चित करने की आवश्य कता पर चर्चा कर रही हैं। इज राइल-हमास संघर्ष पर भारत क्वाड देशों के साथ कहीं अधिक जुड़ा हुआ है, जो गंभीर अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों पर समान विचारधारा वाले भागीदारों के साथ भारत के गहरे जुड़ाव का संकेत है। उन्होंने कहा, इसके अलावा अमेरिका भारत-कनाडा विवाद मामले में अंतरराष्ट्रीय सम झौतों का पालन करने के महत्व पर जोर देते हुए कनाडा की जांच में फिर से भारत के सहयोग का आह्वान कर सकता है। यह कूटनीतिक उलझन एक चुनौती पैदा कर सकती है, लेकिन यह इस बात की याद भी दिला सकता है कि विशिष्ट मुद्दों पर मतभेद से द्विपक्षीय संबंध पटरी से नहीं उतरेंगे। उन्होंने कहा, इन चुनौतियों से परे संवाद का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के दायरे का विस्तार करना है। यह केवल रक्षा के बारे में नहीं है बल्कि इसमें जलवायु, ऊर्जा, स्वास्थ्य, आतंकवाद विरोधी, शिक्षा और लोगों से लोगों के बीच संबंद्द भी शामिल है। आगे कहा, वर्तमान में रक्षा क्षेत्र में प्रौद्यो गिकी हस्तांतरण और सह- उत्पादन पर ध्यान केंद्रित है, जो सैन्य क्षमताओं को बढ़ावा देने में नवाचार के महत्व को रेखांकित करता है। क्रिटि कल एंड इमर्जिंग टेक्नोलाजी पर पहल (आईसीईटी) के एजेंडे में होने की उम्मीद है, जो भारत-अमेरिका रक्षा त्वरित पारिस्थितिक तंत्र (इंडस-एक्स) के माध्यम से नवाचार को बढ़ावा देने वाला है। चीन विवादित दक्षिण चीन सागर के लगभग पूरे हिस्से पर दावा करता है, जबकि ताइवान, फिलीपीन, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम सभी इसके कुछ हिस्सों पर दावा करते हैं। बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य प्रतिष्ठान बनाए हैं। चीन का पूर्वी चीन सागर में जापान के साथ भी क्षेत्रीय विवाद है। उन्होंने कहा कि बातचीत एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है, जहां यूक्रेन में संकट और इजराइल हमास संघर्ष की छाया मंडरा रही है। आगे कहा कि ये संघर्ष सीधे तौर पर अमेरिका-भारत संबंधों से जुड़े नहीं हो सकते हैं, लेकिन वे एक ऐसी पृष्ठभूमि बनाते हैं जो दोनों देशों की रण नीतिक गतिशीलता और वैश् िवक परिप्रेक्ष्य को प्रभावित करती है। उन्होंने कहा कि वार्ता के दौरान इन संकटों पर चर्चा होने की संभावना है। गौरतलब है कि अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर पहले ही कह चुके हैं कि, विदेश मंत्री ब्लिंकन दो से दस नवंबर तक तेल अवीव (इस्राइल), अम्मान (जार्डन), अंकारा (तुर्किए), टोक्यो (जापान), सिओल (कोरिया गणराज्य) और नई दिल्ली (भारत) का दौरा करेंगे। अमे रिकी रक्षा मंत्रालय ने भी कहा था कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र की अपनी नौवीं यात्रा के तहत रक्षा मंत्री ऑस्टिन भी ब्लिंकन के साथ अगले सप्ताह भारत आएंगे। अपनी भारत यात्रा के बाद आस्टिन दक्षिण कोरिया और इंडोनशिया के लिए रवाना होंगे। मंत्रिस्तरीय वार्ता के बाद ब्लिंकन और आस्टिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत अमेरिका जिगरी दोस्तों की धनतेरस 2023 के दिन टू प्लस टू वार्ता।धनतेरस 2023 के दिन भारत अमेरिका साथ-साथ – प्रौद्यो गिकी, रक्षा व विकास पर टू प्लस टू बात। भारत अमेरिका टू प्लस टू वार्ता में द्विपक्षीय संबंधों प्रौद्योगिकी, रक्षा और वैश्विक मुद्दों पर समीक्षा की संभावना है। भारत अमेरिका द्विपक्षीय संबंधों को प्रगाड़य करने 2018 से टू प्लस टू वार्ता के दूरगामी सकारात्मक परिणाम आते रहे हैं।

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