विश्व को अंतर्राष्ट्रीय अपराधों से सचेत रहने के प्रति जागरूक करना समय की मांग

RAJNITIK BULLET
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एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया। वैश्विक स्तरपर एक दो दशक से जिस तरह संगठित अपराधों की संख्या में अंतरराष्ट्रीय राष्ट्रीय, राज्य स्तरीय व स्थानीय समूह की गतिविधियों में वृद्धि हुई है इसे गंभीरता से रेखांकित करना समय की मांग है। संगठित अपराधों को अगर हम वर्तमान परिपेक्ष में देखें तो जांच एजेंसियों द्वारा आजकल अपराध की थ्योरी को अन्तर्राष्ट्रीय एंगल से जांच करने की थ्योरी भी अपनाई जाती है जिस तरह से वर्तमान में सिद्धू मूसेवाला केस, रूस-यूक्रेन मानवीय अधिकार हनन अपराध चर्चा में आया था क्योंकि उसने घोषणा की थी कि वह यूक्रेन में रूस द्वारा किए गए संभावित युद्ध अपराध की जांच शुरू करेगा, युद्ध अप राध के लिए विशिष्ट अन्त- र्राष्ट्रीय मानक मौजूद हैं, अनेक केसों की तार विदेशों तक जुड़ा हुआ है। एक आपराधिक संगठन को हम गिरोह, माफिया, भीड़, सिंडीकेट, अंडरवर्ल्ड या गैंग्लैंड भी कहा जा सकता है, जिसमें अनेक अपराध जैसे सफेदपोश अपराध, वित्तीय अपराध, राजनीतिक अपराध, युद्ध के अपराध सहित अनेक परिभाषित अपराधों को शामिल किया जा सकता है जो अंतरराष्ट्रीय कनेक्टेड होते हैं इसीलिए आज हम ऐसे अपराधों और न्याय पर चर्चा करेंगे जो अंतरराष्ट्रीय श्रेणी में आते हैं उनके पीड़ितों को न्याय दिलाने, दुनिया भर में हो रहे गंभीर अपराधों पर रोक लगाने विश्व को अंतर्राष्ट्रीय अपराधों से सचेत रहने के प्रति जागरूक करने के संबंध में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में उपलब्ध जानकारी के आधार पर अंतरराष्ट्रीय न्याय दिवस 17 जुलाई 2022 के उपलक्ष में इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे।
साथियों बात अगर हम पारंपरिक और वर्तमान युग की करें तो, आज के लोकतांत्रिक युग में पारंपरिक अर्थ में राजा नहीं रहे। उनका स्थान शासक वर्ग नें ले लिया है। एक से अधिक व्यक्तियों का समूह राजा का स्थान ले चुका है। सिद्धांततः राजा के अधिकार उन्हें मिल चुके हैं, और राजा के कर्तव्यों का निर्वाह भी उन्हीं के जिम्मे है। अधिकारों के मामले में तो वे काफी आगे हैं, किंतु दायित्वों के क्षेत्र में उनका कार्य चिंताजनक है। उन्होंने दण्ड की प्रक्रिया को पेचीदा, समया साध्य, अपराधी के प्रति नरमी वाला बना डाला है, इसलिए दिन प्रतिदिन अपराध बढ़ रहे हैं।
सर्वो दण्डजितो लोको दुर्लभो हि शुचिर्नरः
दण्डस्य हि भयात्सर्वं जगद्भोगाय कल्पते
(सर्वः दण्डजितः लोकः दुर्लभः हि शुचिः नरः दण्डस्य हि भयात् सर्वम् जगद् भोगाय कल्पते।)
भावार्थः यह संसार दण्ड के द्वारा ही जीते जाने योग्य है, अर्थात् दण्ड के द्वारा ही इसे नियंत्रण में रखा जा सकता है। ऐसा व्यक्ति दुर्लभ है जो स्वभाव से ही साफ सुथरा एवं सच्चरित्र हो, न कि दण्ड के भय से। दण्ड के भय से ही वह व्यवस्था बन पाती है जिसमें लोग अपनी संपदा का भोग कर पाते हैं। साथियों बात अगर हम अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के ढांचे की करें तो, संयुक्त राष्ट्र से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का मुख्यालय द हेग में है।इस न्यायालय में 6 भाषाओं (अंग्रेजी, फ्रेंच, रसियन, स्पेनिश, अरेबिक, चाइनीज) में सुनवाई होती है, लेकिन काम अंग्रेजी और फ्रेंच में ही होता है। इसके सदस्य देशों की संख्या 123 है। 17 जुलाई 1998 को इसकी स्थापना हुई थी, इसने 1 जुलाई 2002 से कार्य करना प्रारंभ कर दिया।
साथियों बात अगर हम न्यायालय की जरूरत की करें तो अपराध की दुनिया पर लगाम लगाने के लिए न्यायालय की जरूरत पड़ती है। इसी को ध्यान में रखते हुए विश्व में न्याय दिलाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय की स्थापना हुई थी।
प्रतिवर्ष आज ही के दिन 17 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय न्याय दिवस मनाया जाता है। इसे आमतौर पर अंत र्राष्ट्रीय अपराध न्याय दिवस भी कहा जाता है। इसी दिन अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय की स्थापना हुई थी। इसे मनाने का मुख्य उद्देश्य विश्व को अंतर्राष्ट्रीय अपराधों के प्रति जागरूक करना है।
साथियों बात अगर हम अंतरराष्ट्रीय अपराध न्याया- लय के क्रियाकल्प की करें तो, अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय एक स्थाई और स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय न्यायिक आर्गेनाइजेशन है, जो अंतर- राष्ट्रीय मानवीय और मानव अधिकारों के सबसे गंभीर उल्लंघन के आरोपियों को दंडित करने में सक्षम है। जिसमें नरसंहार का अपराध, अपराधों का युद्ध और मानवता के खिलाफ अपराध शामिल है। अंतरराष्ट्रीय अपराधिक न्यायालय स्थापना तब हुई जब, राज्यों ने रोम में एक कानून को अपनाया इस की प्रतिमा को अंतरराष्ट्रीय अपराधिक न्यायालय के संवि धि के रूप में जाना जाता है। आईसीसी राष्ट्रीय अदालतों की जगह नहीं लेता है। लेकिन यह तब उपलब्ध होता है जब कोई देश जांच करने में सक्षम नहीं होता और अपराधियों पर यह मुकदमा चला सकता है। साथियों बात अगर हम अंतरराष्ट्रीय न्याय दिवस मनाने के उद्देश्यों की करें तो, यह दिवस इसलिए मनाया जाता है क्योंकि न्याय का समर्थन करने वाले और पीड़ितों के अधिकार को बढ़ावा देने के लिए लोगों के बीच जागरूकता और एकजुट करना बहुत आवश्यक है। यह दुनिया भर के लोगों को महत्वपूर्ण और गंभीर मुद्दों पर ध्यान देने के लिए आकर्षित करता है। यह लोगों को कई अपराधों से भी बचाता है और उन लोगों को यह चेतावनी देता है कि जो राष्ट्र की शांति सुरक्षा और भलाई को खतरे में डालते हैं,उनके ऊपर अंतरराष्ट्रीय न्याय काम करता है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय दिवस हर साल 17 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय अपराधिक न्यायालय के महत्व को बताने और दुनिया भर में हो रहे गंभीर अपराधों को रोक लगाने एवं ध्यान देने के लिए मनाया जाता है। साथियों बात अगर हम अंतरराष्ट्रीय न्यायालय को अंतिम उपाय मानने की करें तो, अंतिम उपाय की अदालत के रूप में सेवा करने के इरादे से, आईसीसी मौजूदा राष्ट्रीय न्यायिक प्रणालियों का पूरक है और अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग तभी कर सकता है जब राष्ट्रीय अदालतें अनिच् छुक हों या अपराधियों पर मुकदमा चलाने में असमर्थ हों। इसमें सार्वभौमिक क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र का अभाव है और यह केवल सदस्य राज्यों के भीतर किए गए अपराधों, सदस्य राज्यों के नागरिकों द्वारा किए गए अपराधों, या संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा न्यायालय को संदर्भित स्थितियों में अपराधों की जांच और मुकदमा चला सकता है। अतः अगर हम उपरोक्त विवरण का अध्ययन कर उसकाविश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि अंतर्राष्ट्रीय न्याय दिवस 17 जुलाई 2022 पर यह विशेष है। सर्वो दण्डजितो लोको दुर्लभो हि शुचिर्नरः दण्डस्य हि भयात्सर्वं जगद ्भोगाय कल्पते विश्व को अंतरराष्ट्रीय अपराध के प्रति जागरूक करना समय की मांग दुनिया भर में हो रहे गंभीर अपराधों पर रोक लगाने पीड़ितों के अधिकार को बढ़ावा देने न्याय को मजबूत करने न्यायिक सेवाओं को रेखांकित करना जरूरी है।

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