(शमशाद सिद्दीकी)
लखनऊ। अन्तर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के क्रम में दिनांक 01 अगस्त, 2023 को नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान, लखनऊ के सारस प्रेक्षागृह में समारोह आयोजित किया गया। इस समारोह के मुख्य अतिथि डा0 अरूण कुमार, मा0 राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), वन, पर्यावरण, जन्तु उद्यान एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेष रहे। इस अवसर पर श्री मनोज सिंह, अपर मुख्य सचिव, वन, पर्यावरण, जन्तु उद्यान एवं जल वायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेष शासन, श्री सुधीर कुमार शर्मा, प्रधान मुख्य वन संरक्षक और विभागाध्यक्ष, उत्तर प्रदेष, श्री अनुपम गुप्ता, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक, नोडल अद्दिकारी, उत्तर प्रदेष, श्री संजय श्रीवास्तव, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक, योजना एवं कृषि वानिकी उत्तर प्रदेष, श्री संजय सिंह, (सेवानिवृत्त) प्रद्दान मुख्य वन संरक्षक, वन्य जीव, उत्तर प्रदेष एवं श्रीमती अदिति शर्मा, निदेषक प्राणि उद्यान, लखनऊ के साथ वन विभाग एवं प्राणि उद्यान के अधिकारी/कर्मचारी उप स्थित रहे। सर्वप्रथम निदेषक प्राणि उद्यान द्वारा समारोह में आये मुख्य अतिथि एंव अन्य अतिथियों का पुश्पगुच्छ देकर स्वागत किया गया। मुख्य अतिथि द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर समारोह का शुभारम्भ किया गया, तत्पष्चात प्राणि उद्यान के उप निदेषक, डा0 उत्कर्ष शुक्ला ने सभी अति थियों का स्वागत किया गया तथा प्राणि उद्यान में रह रहे बाघों का संक्षेप में जानकारी दी गयी। उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्राणि उद्यान में 12 बाघ हैं जोकि प्राणि उद्यान की शान हैं।
श्री संजय सिंह, (सेवा निवष्त्त) प्रधान मुख्य वन संर क्षक, वन्यजीव, उत्तर प्रदेष ने अपने सम्बोधन में बाघों की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि बाघ यदि किसी टूरिस्ट जोन में चला जाए तो सबसे पहले उसे फोटोषूट का सामना करना पड़ेगा। जानकारी देते हुए कहा कि बाघ बहुत ही संघर्शमय जीवन व्यतीत करता है, कभी-कभी उसे तीन- तीन दिन तक षिकार न मिलने की दषा में भूखा रहना पड़ता है। मानव वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए विभाग ने स्थानीय लोगों से संवाद स्थापित करने का कार्य प्रारम्भ किया है, जोकि पं्रषसनीय है। मानव अपने अन्दर सह अस्तित्व की भावना रखते हैं इसी लिए सभी को फिर चाहे वह वन्य जीव ही क्यों न हो, अंगीकष्त कर लेते हैं। उन्हांेने कान्हा नेषनल पार्क की एक घटना का जिक्र करते हुए बताया कि किस प्रकार मादा टाइगर अपने शावकों का ध्यान रखती है, इस प्रकार बाघ हिंसक होने के साथ-साथ काफी समझदार भी होते हैं। उन्होंने मुख्य अतिथि महोदय को सम्बोधित करते हुए कहा कि शासन द्वारा जो महत्वपूर्ण कदम उठाये जा रहे हैं वह विभाग और प्रदेष के लिए अत्यन्त आवष्यक हैं और यह कदम बाघों को संरक्षित करने में सहायक सिद्ध होंगे।
समारोह में राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड की पूर्व सदस्या एवं वन्यजीव विषेशज्ञ श्रीमती प्रेरणा बिन्द्रा जी आॅनलाइन माध्यम से लन्दन से जुड़ी एवं अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेष में बढ़ती बाघों की संख्या के लिए उत्तर प्रदेष सरकार एवं वन विभाग के सभी अधिकारी बधाई के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि विष्व के कई देषों में बाघ समाप्त हो चुके हैं, ऐसे में भारत में बाघों की बढ़ती संख्या गर्व की बात है। उन्होंने बाघ संरक्षण में प्रदेष के वन अधिकारियों व फ्रन्टलाइन स्टाफ के विभिन्न योगदानों का विस्तार से उल्लेख किया।
श्री सुधीर कुमार शर्मा, प्रधान मुख्य वन संरक्षक और विभागाध्यक्ष, उत्तर प्रदेष ने अपना उद्बोधन विष्व बाघ दिवस की शुभकामनाऐं देते हुए कहा कि हमारे मा0 मुख्य मंत्री जी की प्रेरणा से ही हम 35 करोड़ वृक्षारोपण का लक्ष्य पूरा कर पा रहे हैं। 30 करोड़ पौधों का रोपण हो चुका है और शेष 05 करोड़ पौधों का रोपण स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त के दिन पूर्ण कर लिया जायेगा। मा0 मुख्यमंत्री जी को प्रकृति से अत्यधिक लगाव है और वह चाहते हैं कि इस कार्य में जन सहभागिता हो। इसी का परिणाम हैं कि मा0 प्रधा नमंत्री जी ’’मन की बात’’ कार्यक्रम में 35 करोड़ पौधों के रोपण के लिए मा0 मुख्य मंत्री जी को बधाई दी। यह हमारे लिए गर्व की बात है। उन्होने मुख्य अतिथि महोदय एवं अपर मुख्य सचिव महोदय को धन्यवाद देते हुए कहा कि आपके कुषल निर्देषन में विभाग ने यह उपलब्धि प्राप्त की है। पूरे विष्व में कुल बाघों की संख्या की तुलना मंे 80 प्रतिषत बाघों की संख्या भारत में है। राजा- महाराजाओं के समय बाघ का षिकार करना एक खेल के रूप मंे प्रचलित था और आज यह एक अपराध की श्रेणी में है, जैसे ही हमने प्रकृति से छेड़-छाड़ प्रारम्भ की वन्यजीवों की संख्या कम होने प्रारम्भ हो गयी। हमें प्रयास करना होगा कि विकास के नाम पर प्रकृति से छेड़- छाड नहीं करनी चाहिए। बाघ हैं तो हमारे पास सब कुछ है और यदि बाघ नहीं है तो इस प्रकृति को नुकसान पहुंचना निष्चित है। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि हमारे पास वन क्षेत्र 6 प्रतिषत तथा वनावरण 9 प्रतिषत के आस-पास है, उसके बावजूद हमारे प्रदेष में वन्यजीवों का संरक्षण संतोषजनक है। उन्होंने कहा कि विभाग पड़ो सी राज्य एंव पड़ोसी देषों से समन्वय स्थापित कर कार्यों को आगे बढ़ाना होगा जिससे हम और अधिक अच्छा कार्य सकें। दुधवा नेषनल पार्क बाघों के मामले में चैथे स्थान पर है, इसके लिए सभी को बहुत-बहुत बधाई। मानव वन्य जीव संघर्ष को रोकने एवं वन्यजीवों के संरक्षण हेतु जन सहभागिता अत्यन्त आवष्यक है। मनोज सिंह, अपर मुख्य सचिव, वन, पर्यावरण एवं जल वायु परिवर्तन विभाग उत्तर प्रदेष शासन ने अपने उदबो धन में डा0 अरूण कुमार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), वन, पर्यावरण, जन्तु उद्यान एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेष का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आपके कुषल निर्देषन में एंव मुख्य मंत्री की पे्ररणा से अभी हाल ही में 30 करोड़ वृक्षारोपण करने का जो रिकार्ड स्थापित किया है, उसके लिए सभी अधिकारी एवं कर्मचारी बद्दाई के पात्र हैं। वायु प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए धनराषि प्राप्त हो गयी है और हम इस पर कार्य कर रहे हैं। राहत विभाग से भी धनराषि प्राप्त हुई है जिससे जंगल से सटे ग्रामीण क्षेत्रों में तार से बाढ़ की जायेगी। उन्हांेने कहा कि विभाग तभी आगे बढ़ेगा जब हम एक टीम के रूप में कार्य करें। उन्होंने अभ हाल ही में दुधवा टाइगर रिजर्व में 3 बाघों की मष्त्यु होने का जिक्र करते हुए कहा कि बाघों में भी अपने वर्चस्व को लेकर संघर्ष होते हैं जिसमें कभी-कभी बाघों की मष्त्यु भी हो जाती है। उन्होंने स्कूली बच्चों को सम्बोधित करते हुए कहा कि बाघ हमारे जीवन के लिए बहुत ही आवष् यक हैं क्योंकि बाघ हमें प्रति रोधक क्षमता सिखाता है। बाघ को बहुत ही प्रतिकूल परिस्थितियों में रहना पड़ता है परन्तु प्रतिकूल परिस्थितियों में भी वह अपनी क्षमता को खोता नहीं है। बाघों की 75 प्रतिषत संख्या हमारे देष में हैं और इस पर हमें गर्व होना चाहिए। मानव वन्यजीव संघ र्ष को समाप्त करने के लिए हमारे पास नई तकनीकी व्यव स्था होनी चाहिए। हमें षिका र और षिकारी के बीच की दूरियां तय करनी होंगी। वन्य जीवों के लिए चारागाह एंव अन्य प्राकष्तिक भूमि का संर क्षण करना होगा। प्रधान मुख्य वन संरक्षक, वन्यजीव उत्तर प्रदेष को भी नयी तकनीक और नये उपकरणों के साथ आगे बढ़ना होगा। हमारे पास वन भूमि कम है फिर भी वन्यजीवों अधिक संरक्षित है। मुख्य अतिथि महोदय को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमारा विभाग केवल प्रदेष मंे ही नहीं अपितु देष में सर्वश्रेष्ठ विभाग बने, ऐसा प्रयास हम करते रहेंगे। मुख्य अतिथि महोदय द्वारा डिजिटर नवीन तम बाघ गणना का बटन दबाकर लोकार्पण किया गया।
मुख्य अतिथि महोदय द्वारा अपने सम्बोधन में कहा कि बाघ हमारे पर्यावरण, खेती, जंगल, नदियों आदि के लिए जरूरी हैं। बाघ हैं तो हमारे खेत हैं, पेड़-पौधे हैं, जंगल हैं, नदियां हैं और अगर बाघ नहीं है तो उक्त में से हमारा कुछ भी नहीं है। इस प्राणि उद्यान को मैं आज से नहीं वरन् सन् 1966 से जानता हूं और कई बार इस प्राणि उद्यान का भ्रमण भी कर चुका हूँ। यह प्राणि उद्यान आने वाले 02 वर्षों में कुकरैल स्थानान्तरित हो जायेगा। कुकरैल में एक नाइट सफारी भी बनायी जा रही है जो कि भारत की पहली नाइट सफारी होगी और वह भी उत्तर प्रदेष के लखनऊ में। मानव वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए हमें नई तकनीक, कैमरा आदि सभी का उपयोग करना होगा ताकि बाघ आने की पूर्व में ही सूचना मिल जाए और स्थानीय लोग सतर्क हो जाएं जिससे मानव वन्यजीव संघर्ष की स्थिति ही न बनें। वन्यजीवों के साथ हमें सह अस्तित्व की भावना बनाये रखनी होगी तभी वह सुरक्षित एवं संरक्षित हो सकेंगे। मुख्य अतिथि महोदय द्वारा विभाग में कर्मचारियों की कमी को भी दूर किये जाने का आष्वा सन दिया। मानव वन्यजीव संघर्ष से निपटने के लिए एक कार्ययोजना तैयार करने के निर्देष भी दिए जिससे इससे निजात मिल सके। अन्त में मुख्य अतिथि महोदय द्वारा सभी को विष्व बाघ दिवस की कामनायें देते हुए कहा कि आइए हम अपने बाघों को संरक्षित करने में सहयोग करें।
विष्व बाघ दिवस के क्रम में आयोजित ’’सेव द टाइगर’’ शीर्षक पर आधारित चित्र कला प्रतियोगिता में विजेता प्रतिभागियों को मुख्य अतिथि महोदय द्वारा प्रषस्ति पत्र एंव ट्राॅफी प्रदान की गयी। विष्व बाघ दिवस समारोह में दुद्दवा टाइगर रिजर्व, पीली भीत टाइ गर रिजर्व, अमानगढ़ टाइगर रिजर्व एंव प्राणि उद्यान के 10 कर्मचारियों को बाघ संर क्षण कार्य में उत्कष्ष्ट योग दान देने हेतु मुख्य अतिथि महोदय द्वारा उन्हंे प्रषस्ति पत्र एंव स्मष्ति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। कार्य क्रम के अन्त में निदेषक, नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान, लखनऊ द्वारा समारो ह में आये मुख्य अतिथि एवं अन्य अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया गया तथा सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट कर आभार व्यक्त किया।
अन्तर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान में समारोह आयोजित किया गया
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