बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल की फिल्मी अंदाज में की गई थीं हत्या

RAJNITIK BULLET
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(मो0 रिजवान)
प्रयागराज। बीते शुक्रवार 24 फरवरी की शाम 5 बजे जिस तरह सरेआम अधिवक्ता उमेश पाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस वारदात ने 18 साल पहले 25 जनवरी, 2005 की याद दिला दी, इसी जीटी रोड पर बीएसपी के तत्कालीन विधायक राजू पाल को बेखौफ अपराधियों ने दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
शहर पश्चिम के बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह अधिवक्ता कृष्ण कुमार पाल उर्फ उमेश पाल शुक्रवार 24 फरवरी को हाईकोर्ट से अपनी निजी कार से सुलेम सराय जीटी रोड स्थित घर जाते हैं जैसे ही उमेश पाल की कार जीटी रोड स्थित घर के दरवाजे पास गाड़ी रूकती है वैसे ही ऊपर घात लगाए बेखौफ अपराधियों द्वारा उमेश पाल व सुरक्षाकर्मी के ऊपर कार से उतरते ही चन्द सेकंड में उन पर ताबड़तोड़ गोलियों के साथ बम दागे जाते हैं। हमले में उमेश पाल के साथ सुरक्षा में तैनात 2 पुलिसकर्मी भी गंभीर रूप से घायल होते हैं। घटना को अंजाम देने वाले बेखौफ अपराधियों के भाग जाने के बाद आनन- फानन में घायल उमेश पाल व घायल पुलिसकर्मियों को शहर के स्वरूप रानी चिकित्सालय ले जाया जाता है। जहां इलाज के दौरान उमेश पाल की मृत्यु की पुष्टि पुलिस आयुक्त रमित शर्मा द्वारा की जाती है। घटना में घायल पुलिस कर्मी संदीप निषाद की भी इलाज के दौरान मौत हो जाती हैं। दूसरे पुलिसकर्मी राघवेंद्र की हालत गंभीर डाक्टरों की निगरानी में चल रहा है इलाज। पुलिस कर्मी संदीप निषाद की मृत्यु की खबर अधिकारियों द्वारा परिजनों को सूचित किया गया सूचना के बाद आजमगढ़ जिला से पिता संतराम निषाद के साथ परिवार के अन्य कई दोस्त रिश्तेदार पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे।
उमेश पाल के सुरक्षाकर्मी संदीप निषाद के पार्थिव शरीर को पुलिस लाइन ले जाया गया जहां उन्हें गार्ड आफ आनर दिया गया। मंडला आयुक्त, एडीजी, आईजी, पुलिस कमिश्नर और डीएम ने दिया कंधा। परिजन संदीप निषाद के पार्थिव शरीर को लेकर पैतृक गांव आजमगढ़ जनपद हुए रवाना। वहीं पोस्टमार्टम होने के दौरान उमेश के साथियों ने शवगृह और फिर उनके आवास पर नारेबाजी की और हंगामा किया। उन्होंने कानपुर के गैंगस्टर विकास दुबे और उसके सहयोगियों के खिलाफ की गई कार्रवाई के समान ही आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। पुलिस आयुक्त प्रयागराज रमित शर्मा, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त आकाश कुल्हारी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भी मुर्दाघर में उमेश पाल के नाराज परिजनों और समर्थकों को शांत कराया। व्यापारियों और स्थानीय लोगों को अशांति की आशंका के चलते सुलेम सराय और जयंतीपुर इलाकों के बाजार शनिवार को बंद रहे। दोपहर बाद वकील उमेश पाल का शव पोस्टमार्टम के बाद उनके आवास पर ले जाने के बाद सुलेम सराय इलाके में तनाव व्याप्त हो गया। सुबह से ही इलाके में भारी फोर्स तैनात कर दी गई। चायल से समाजवादी पार्टी की विधायक पूजा पाल जब शाम को वहां पहुंची तो उन्हें उमेश पाल के परिवार की महिलाओं की टिप्पणियों का सामना करना पड़ा। विधायक ने भी पलटवार किया लेकिन अन्य रिश्तेदारों ने जल्द ही उन्हें मना लिया।
भारी सुरक्षा के बीच दारागंज घाट पर उमेश पाल के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया गया।
उमेश पाल का पार्थिव शरीर सुलेम सराय इलाके में ले जाया जाता है उसके बाद वहां से भारी पुलिस बल की मौजूदगी में दारागंज घाट पर दाह संस्कार किया जाता है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार अपराधियों द्वारा उमेश पाल को 7 गोलियां मारी गईं थीं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में 7 गोली मारे जाने का जिक्र,
6 गोली उमेश पाल के शरीर को पार कर गईं थीं।
एक गोली उमेश पाल के शरीर के अंदर मिली है।
शरीर में कुल 13 इंजरी की बात सामने आई है।
सभी गोलियां पिस्टल से मारी गईं-पोस्टमार्टम रिपोर्ट।
इस घटना के बाद पूरे शहर में सनसनी फैल गई। उमेश पाल के परिवार के लोगों का आरोप है कि राजू पाल को मरवाने वाले माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ ने ही उमेश पर हमला कराया है। जानकारी के मुताबिक राजू पाल हत्याकांड के कई ऐसे गवाह थे जो कोर्ट में गवाही के दौरान मुकर गए। लेकिन उमेश पाल ही एक ऐसे मुख्य गवाह थे जो पूर्व सांसद बाहुबली अतीक अहमद के खिलाफ डट कर खड़े थे। साल 2007 में उमेश पाल का अपहरण कर लिया गया था। अपहरण करने वालों ने उन्हें राजू पाल हत्याकांड में गवाही न देने के लिए कहा था। इस मामले में उमेश पाल ने प्रयागराज के धूमनगंज थाने में एफआईआर भी दर्ज कराई थी। उमेश पाल प्रयागराज के धूमनगंज इलाके के रहने वाले थे और वहीं से पढ़ाई की। ग्रेजुएशन करने के बाद वकालत भी की। मौजूदा समय में वकालत करने के साथ-साथ जमीन के कारोबार का काम भी कर रहे थे। इसी जमीन के कारोबार के चलते एक समय पूजा पाल और उमेश पाल के रिश्ते में खटास भी आई थी। उमेश पाल, राजू पाल की रिश्तेदारी में आते थे, लेकिन उमेश लोगों की निगाह में राजू पाल की हत्या के बाद आए क्योंकि इस हत्याकांड में उमेश पाल मुख्य गवाह के तौर पर जाने जाते थे। धूमनगंज इलाके में उमेश पाल की हत्या के बाद लोगों को मंजर पूरी तरीके से याद आ गया जब 25 जनवरी साल 2005 के हत्याकांड के बाद 26 जनवरी को शहर के कई इलाकों में दंगे का माहौल देखने को मिला। हालांकि तब की कानून व्यवस्था पूरी तरीके से फेल मानी जाती थी, वक्त के साथ प्रदेश की सरकार भी बदली और कानून व्यवस्था को लेकर सरकार अब दम भरती है, लेकिन बीच सड़क पर फिल्मी अंदाज में हुई इस हत्या के बाद प्रदेश के कानून व्यवस्था पर भी बड़ा सवाल उठने लगा है। प्रयागराज में चली गोलियों की गूंज प्रदेश की विधानसभा में भी गूंजा नेता सदन के सामने आरोप-प्रत्यारोप मरते रहें सरकार व विपक्ष के नेता। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त तेवर भी नजर आए उन्होंने कहा प्रयागराज में जिस तरीके से गोली कांड हुआ है जिसमें पुलिस का एक जवान भी शहीद हुआ या दुखद घटना है ऐसे माफियाओं को मिट्टी में मिलाने का काम करेगी योगी सरकार। घटना से जुड़ा सीसीटीवी फुटेज सामने आने के बाद राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल और उसके गनर की हत्या के मामले में धूमनगंज थाना में 24 फरवरी की देर रात शनिवार को उमेश पाल की पत्नी जया पाल की शिकायत पर अतीक अहमद भाई अशरफ, पत्नी शाइस्ता परवीन, दो बेटों, साथी गुड्डू मुस्लिम, गुलाम एवं नौ अन्य साथियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 147, 148, 149, 302, 307, 506, 120 बी, 34, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, 1908 की धारा 3 और आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम, 1932 की धारा 7 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
शूटरों की धरपकड़ में क्राइम ब्रांच और जिला पुलिस के साथ स्पेशल टास्क फोर्स की भी कई टीमें लगाई गईं हैं। सीसीटीवी फुटेज से भी बदमाशों का हुलिया निकाला गया है। अतीक अहमद के गुर्गों की तलाश में लागतार अलग-अलग जगहों पर छापेमारी हो रही है। देर रात तक पुलिस ने कई संदिग्ध लोगों को पकड़ा है।

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