एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
वैश्विक स्तरपर मानवीय जीवन प्रणाली को सुचारू रूप से निर्बाध जीवन जीने के लिए जल सबसे महत्वपूर्ण कारक है जिसके बिना इस सृष्टि में 84 लाख योनियों के जीवन की कल्पना तक नहीं की जा सकती, इसीलिए जल की दीर्घकालीन रूपरेखा पर अभी से काम करना हर देश के लिए जरूरी ही नहीं बल्कि एक अनिवार्य विजन बन गया है, क्योंकि वर्तमान जलवायु परिवर्तन के चक्र में फंसी दुनिया के लिए जल सुरक्षा अवसंरचना शासन उप योगिता दक्षता और गुणवत्ता पर मंथन कर, हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए समा धान कारक रणनीतिक बना कर जल को अति सुरक्षा रैंक में लेकर उसे बचाना है। चूंकि दिनांक 5 – 6 जनवरी 2023 को भारत के मध्यप्रदेश के भोपाल में जल पर अखिल भारतीय राज्य मंत्रियों का प्रथम सम्मेलन विजन वाटर /2047 पर चर्चा सत्र कार्य क्रम रखा गया है, इसलिए आज हम पीआईबी में उपलब् ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे कि जल की सुरक्षा उपयोगिता दक्षता प्रशा सन अवसंरचना और गुणों तथा पर मंथन मानवीय जीवन को सुरक्षित करने अत्यधिक जरूरी है। साथियों बात अगर हम भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए भारत परिकल् पना प्रलेख भारत/2047 की करें तो, भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के सम्बंधमें पीएम की परिकल्पना के अनुरूप, केंद्र सरकार कार्य योजना और भारत परिकल्पना प्रलेख/2047 को तैयार करने के लिये चर्चा कर रही है। भारत/2047 के अंग के रूप में जल सुरक्षा की चुनौतियों के समाधान के मद्देनजर पीएम ने 5 पी का मंत्र दिया था, जिसमें पालिटि कल विल (राजनीतिक इच्छा शक्ति), पब्लिक फाइनेंसिंग (लोकवित्त), पार्टनरशिप (साझेदारी), पब्लिक पार्टी- सिपेशन (जन भागीदारी) और परसुयेशन फार सस्टेनेबिलिटी (निरंतरता के लिये प्रेरणा) शामिल है। आने वाले वर्षों में ऊंचाइयां हासिल करने के भारत के प्रयासों में भारत का जल सेक्टर महत्त्व पूर्ण भूमिका निभायेगा। कार्य- योजना को आगे बढ़ाने के लिये जल शक्ति मंत्रालय जल पर राज्यमंत्रियों के पहले अखिल भारतीय वार्षिक सम्मेलन का आयोजन कर रहा है, जिसका विषय वाटर विजन/2047 है। इसका आयोजन पांच और छह जनवरी, 2023 को भोपाल, मध्यप्रदेश में किया जा रहा है। इस दो दिवसीय सम्मेलन का प्रमुख उद्देश्य है राज्यों के विभिन्न जल हितधारकों से इंडिया/2047 और 5 पी के लिये विचार प्राप्त करना। ऐसा करना इस लिये अभीष्ट है क्योंकि जल राज्य का विषय है। इसके साथ ही राज्यों के साथ संलग्नता व साझेदारी में सुधार करना तथा जल शक्ति मंत्रालय की पहलों व योजनाओं को राज्यों के साथ साझा करना भी उक्त कार्यक्रम का लक्ष्य है। साथियों इस सम्मेलन की अंर्तदृष्टि को बढ़ाने के उद्देश्य से एक पूर्ण सत्र का भी आयोजन किया जायेगा, जो वटर विजन/ 2047 को केंद्र में रखते हुये सम्मेलन का एजेंडा निर्धारित करेगा। सम्मेलन में पांच विषयगत सत्र होंगे, जल की कमी, जल की अधिकता और पहाड़ी इलाकों में जल सुरक्षा या बेकार चले जाने वाले पानी/ गंदे पानी को दोबारा इस्तेमाल करने सहित जल उपयोगिता दक्षताय जल प्रशासनय जलवायु परिवर्तन का करने में सक्षम जल अधोरचना, और जल गुणवत्ता। पहला विषय गत सत्र जल की कमी, जल की अधिकता और पहाड़ी इलाकों में जल सुरक्षा पर, दूसरा विषय गत सत्र बेकार चले जाने वाले पानी/गदले पानी को दोबारा इस्तेमाल करने सहित जल उपयोगिता दक्षता पर होगा, जिसमें मैदानी स्तर पर समुदायों की भागीदारी को सफल बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जायेगा। तीसरा विषयगत सत्र जल प्रशासन पर है, जिसका मकसद है केंद्र की पहल पर विभिन्न राज्यों को साथ लाना, ताकि जल सेक्टर में भिन्नता को समाप्त किया जा सके। चैथे विषयगत सत्र में देश में जलवायु परिवर्तन के मौजूदा परिदृश्य का समाधान करना तथा जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करने के लिये जरूरी उपाय करना है। पांचवां सत्र जल की गुणवत्ता पर होगा, जिसमें पेयजल, सतह पर मौजूद जल और भूजल की गुणवत्ता की समस्याओं पर विचार किया जायेगा। विषयगत सत्रों को इस तरह तैयार किया गया है कि हम 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की बड़ी परिकल्पना को पूरा करने के लिये एकरूपता में बंधकर काम कर सकें। साथियों बात अगर हम वाटर मैनेजमेंट की करें तो, इलेक्ट्रानिक मीडिया के अनुसार पूरे देश और प्रदेश में वाटर मैनेजमेंट बहुत जरूरी है। 25 साल की आबादी के हिसाब से प्लान बनाया जा रहा है। गांव में महिलाएं बेहतर तरीके से प्रबंधन संभा लती है। जल समिति बनाई जाएंगी। महिलाओं को वाटर टेस्ट करने के लिए भी कहा जाएगा। भारत किसी भी पड़ोसी देश का पानी का हिस्सा नदियों से कम नहीं करता, लेकिन चीन से आने वाली नदियां भारत के लिए चुनौती हैं। चीन जिस तरह काम कर रहा है, उससे चुनौ ती बढ़ रही है। हमें तक नीक अपग्रेड करना होगी। परंपरागत जल प्रबंधन की योजनाओं के साथ काम कर ना होगा। वाटर विजन- 2047 के लिए भोपाल में सभी राज्यों के जल संसाधन मंत्री जुटे हैं। वे भविष्य के लिए पानी का एक्शन प्लान बनाएं हैं। इसके तहत 5 व 6 जनवरी को जल समिट हुआ। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री ने प्रेस में बताया कि समिट में पानी से जुड़े सभी मुद्दों पर चर्चा कर देशव्यापी प्लान बनाए जाए गा। इसमें राज्यों के जल बंटवारे के विवाद के हल से लेकर वाटर मैनेजमेंट तक शामिल है। यह राज्यों के मंत्रियों का पानी पर पहला अखिल भारतीय सम्मलेन है, इसमें होने वाला संवाद आने वाले 25 साल का रोडमैप तैयार करेगा। इसके बाद केंद्रीय स्तर पर वाटर मैनेज मेंट को लेकर प्लान बनेगा। केंद्रीय मंत्री ने मप्र की योज नाओं को लेकर भी स्थिति जानी। समिट में मप्र से जुड़े जल मामलों को लेकर भी मंथन होगा। देश में फसलों का ट्रेंड बदला है, तो अब वाटर मैनेजमेंट का ट्रेंड भी बदलना होगा। हम उत्पादन में शीर्ष पर पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं, तो उसी हिसाब से पानी का इंतजाम भी करना होगा। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि वाटर विजन/ 2047, पहला वार्षिक सम्मेलन 5- 6 जनवरी 2023 भारत परिकल्पना प्रलेख/2047 के अंतर्गत पहला अखिल भारतीय वार्षिक सम्मेलन वाटर विजन/2047 जल की सुरक्षा उपयोगिता दक्षता प्रशासन अवसंरचना और गुणवत्ता पर मंथन के लिए पहला वाटर विजन 2047 सराहनीय प्रयास है।