मुख्यमंत्री लघु सिंचाई योजनान्तर्गत उथले एवं मध्यम नलकूपों का निर्माण, कृषकों के लिए वरदान

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(राममिलन शर्मा) राय बरेली। जिलाधिकारी माला श्रीवास्तव ने कहा कि जनपद के पात्र कृषक लाभार्थियों को निजी सिंचाई हेतु मुख्यमंत्री लघु सिंचाई योजनान्तर्गत उथले व मध्यम नलकूपों का निर्माण कराया गया है। जिलाधिकारी ने कहा कि लघु सिंचाई विभाग द्वारा जनपद रायबरेली में वर्ष 2022-23 में विकास खंड सलोन की ग्राम पनाह नगर धरई के शिव बालक पुत्र जगमोहन एवं विकासखंड दीनशाह गौरा की ग्राम इस्माइल मऊ के शिव मोहन पुत्र राम सुरेश को मुख्यमंत्री लघु सिंचाई योजना के अन्तर्गत उथले नलकूप की बोरिंग का निर्माण कराया गया है। जिसकी गहराई 18 मीटर है। इससे पूर्व कृषकों के पास निजी सिंचाई का स्रोत उपलब्ध नहीं था, जिसके कारण समय से सिंचाई सुविधा उपलब्ध न हो पाने के कारण अधिक लागत में कम उपज हो पाती थी बोरिंग होने के पश्चात कृषकों द्वारा धान की खेती प्राप्त की गयी है। एवं वर्तमान में कृषक द्वारा गेहूं की फसल बोई गई है। सिंचाई के लिये कृषकों को दूसरे नलकूप से पानी लेने के लिये निर्भर नहीं होना पढ़ रहा है एवं सिंचाई स्रोत उपलब्ध होने से पूर्व की अपेक्षा 0.25 हे0 अधिक क्षेत्रफल पर कृषकों द्वारा गेहूं की खेती की जा रही है। इसी प्रकार वर्ष 2022-23 में विकासखण्ड जगतपुर के ग्राम धूता में मुख्य मंत्री लघु सिंचाई योजना के अन्तर्गत उथले नलकूप में रामपाल पुत्र गंगा की बोरिंग का निर्माण कराया गया, जिसकी भी गहराई 18 मीटर है। इससे पूर्व कृषक को फसल की सिंचाई के लिये किराये पर पानी लेने की आवश्यकता पड़ती थी एवं समय से पानी भी नहीं मिल पाता था जिससे फसल की उत्पादकता 25 प्रतिशत प्रभावित होती थी। वर्तमान में निजी सिंचाई का साधन उपलब्ध होने से पूर्व की अपेक्षा 0.25 हे0 अधिक क्षेत्रफल पर कृषक द्वारा धान की खेती की जा रही है एवं समय से सिंचाई होने से फसल की गुणवत्ता अच्छी है और किसान फसल को देखकर अधिक उत्पादन के लिये आशान्वित है।
जिलाधिकारी ने कहा कि लघु सिंचाई विभाग द्वारा वर्ष 2022-23 में ब्लाक राही के ग्राम बेला खारा में मुख्य मंत्री लघु सिंचाई योजना के अन्तर्गत मध्यम नलकूप में रमेश चन्द्र पुत्र बृजमोहन की बोरिंग का निर्माण कराया गया, जिसकी गहराई 60 मीटर है। इससे पूर्व कृषक के पास निजी सिंचाई का स्रोत उपलब्ध नहीं था, जिसके कारण समय से सिंचाई सुविधा उपलब्ध न हो पाने के कारण अधिक लागत में कम उपज हो पाती थी। इनके खेत में धान, गेहूं हरी सब्जी आदि की खेती की जा रही है। सुनिश्चित सिंचाई स्रोत उपलब्ध होने के कारण उत्पादन दो गुना हो गया है। उत्पादन क्षमता कम लागत में बढ़ जाने के कारण उसके जीवन स्तर एवं वित्तीय स्तर पर काफी सुधार हुआ है।

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