राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फूले जी के जन्म दिवस को शिक्षक सम्मान समारोह के रूप में मनाया गया

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(राजेश कुमार)
मुरादाबाद। आज पंचायत भवन में पहली बार ओबीसी, एससी एसटी, कम्युनिटी मंडल मुरादाबाद (जाति मुक्त भारत ब्ंेजम थ्तमम पदकपं) के तत्वावधान में भारत की प्रथम शिक्षिका राष्ट्रमाता सावित्री बाई फूले जी के जन्म दिवस को शिक्षक सम्मान समारोह’ के रूप में मनाया गया। कार्यक्रम में राष्ट्रमाता प्रथम शिक्षिका सावित्रीबाई फूले जी के चित्र पर पुष्पांजलि डा. कौशल पंवार, निदेशक, मानविकी विद्यापीठ, इंदिरा गांधी मुक्त विश्व विद्यालय, नई दिल्ली के अलावा अंजलि सैनी, डा. नौमी, प्रिया यादव एवं अंजना निमेष शिक्षिका द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। पंचायत भवन में मंडल मुरादाबाद के अलावा अन्य जनपदों के शिक्षक शिक्षिका भी उपस्थित हुए। इस अवसर पर शिक्षक शिक्षकों द्वारा भी माता सावित्रीबाई फुले के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। पुष्पांजलि के समय कार्यक्रम संचालिका डा. पूजा किरण के द्वारा सावित्रीबाई फुले जी के संदर्भ में लिखी गई कविता का पाठ किया गया । 
कार्यक्रम के विषय ’सावित्रीबाई फुले का शिक्षा में योगदान विषय’ पर अपने व्याख्यान में प्रधानाध्यापिका अंजली सैनी ने कहा कि दलित और पिछड़ों के लिए प्रथम शिक्षिका सावित्रीबाई फुले किसी देवी से कम नहीं है वह साक्षात देवी हैं जिन्होंने वंचित वर्ग को शिक्षा के खास करके बालिकाओं की शिक्षा के लिए भविष्य के द्वार खोलें। वर्तमान परिस्थितियों में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर दलित और पिछड़े वर्ग की महिलाओं ने पदों को सुशोभित कर रही हैं लेकिन अभी महिलाओं की स्थिति उस स्तर की नहीं है जहाँ वंचित वर्ग की महिलाओं को होना चाहिए क्योंकि जिन परिस्थितियों में सावित्रीबाई फुले ने वंचित वर्ग की शिक्षिकाओं को पढ़ाने का कार्य प्रारंभ किया उस समाज में एक मानसिकता से ग्रसित व्यक्तियों द्वारा उन पर कीचड़ एवं गोबर फेंका जाना इसके बावजूद भी अपने पथ से न डिगना सावित्रीबाई फुले इसका साक्षात उदाहरण हैं, पूरे महाराष्ट्र में आपके द्वारा बहुत सारे स्कूल खोले गए स्कूल ही नहीं खोले गए वृद्ध आश्रम भी खोले गए इसके साथ ही कन्या भ्रूण हत्या जैसे अपराधों को रोकने के लिए सतत प्रयास किया गया। आप सत्यशोधक समाज की मुखिया भी रहीं और अपने पद का दायित्व निर्वहन करते हुए एक सशक्त मार्गदर्शन वंचित वर्ग के समाज का किया गया। सभागार में उपस्थित ऐसी महान प्रथम शिक्षिका जिसने वंचित वर्ग की बालिकाओं में ही नहीं बालकों में भी शिक्षा की अलख जगाई ऐसी ज्ञान की देवी सावित्रीबाई फुले जी को यह सभागार हृदय से नमन करता है और संकल्प लेता है कि हम उनके संकल्पों पर चलकर अपने आस-पड़ोस गांव एवं शहर में वंचित वर्ग के बालक बालिकाओं को शिक्षा की मुख्यधारा में शामिल कराने का प्रयास करेंगे यदि ऐसा किया जाता है तो निश्चित ही परिवार विकास के साथ ही राष्ट्र विकास में वंचित वर्ग की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
कार्यक्रम के द्वितीय विषय ’अशासकीय एवं शासकीय शिक्षण संस्थाओं में वर्तमान में शिक्षकों की स्थिति’ पर अंजना निमेष ने बोलते हुए कहा कि हमारे देश में प्राथमिक विद्यालयों से लेकर उच्च शिक्षा तक के संस्थानों में एस सी, एस टी एवं ओ बी सी समाज के लिए पर्याप्त नहीं है। सभी स्तरों के संस्थानों में बहुत अधिक संख्या में शिक्षकों शिक्षिकाओं के पद रिक्त हैं। इसके लिए हमारे जन प्रतिनिधियों एवं सामाजिक संगठनांे को महत्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए। 
अन्य वक्ता नीलम ने समाज में शिक्षकों की महत्व पूर्ण भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है क्योंकि शिक्षा के बिना देश का विकास संभव नहीं है। 
तृतीय विषय- ’जाति उन्मूलन में शिक्षकों की भूमि का’ पर डा. नौमी प्रिया ने अपने संबोधन में कहा कि देश में आज भी जातिवाद विद्यमान है, आजादी के बाद भी जाति गयी नहीं है। आज संवैधानिक व्यवस्था होने के बाद भी वंचित वर्ग को शादी में घोड़ी पर चढ़ने नहीं दिया जाता, माननीय न्यायालय को आदेश देने पड़ते हैं, वंचित वर्ग के छात्र को घड़े से पानी पीने पर मार दिया जाता है, इस व्यवस्था को बदलने में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। समाज में समता की भावना आनी चाहिए। 
कार्यक्रम की अध्यक्ष ’डा कौशल, निदेशक, मानविकी विद्यापीठ, इंदिरा गांधी मुक्त विश्व विद्यालय, नई दिल्ली’ ने कहा कि हम जातिवादी व्यवस्था को शिक्षा को तोड़ने में शिक्षा एवं शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका है, वर्तमान में हमें अपने अधिकारों के लिए लड़ना होगा, यदि माता सावित्रीबाई फुले जी ने संघर्ष न किया होता है तो आप और हम इन पदों पर न होते, महिला आज भी आर्थिक, पितृसत्तात्मक को झेलना पड़ता है, हमारे देश में बहुत महिलाएं हुई है जैसे अहिल्या बाईहालकर, उदो देवी, आदि ने महिलाओं के उत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित किया, हमें उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लेना है, तभी हम जाति व्यवस्था को तोड़कर देश से जाति मुक्त भारत की कल्पना साकार कर सकेंगे। 
कार्यक्रम में मुख्य रूप से चंदन सिंह रैदास, कुलदीप तुरैहा, राजू प्रजापति, प्रीतम सिंह, विनीत कुमार, महेंद्र प्रताप सिंह, डा. पूर्णिमा पाल, जगत सिंह, रूप सिंह, श्री मलखान सिंह, योगराज सिंह, मुकेश कुमार, एडवोकेट राजेंद्र सिंह सैनी, श्री परम पाल सिंह आदि का रहा। अध्यक्षता डा. कौशल पंवार, निदेशक, मानविकी विद्यापीठ, इग्नू रही। कार्यक्रम का संचालन डा. पूजा किरण, राजेंद्र सिंह सैनी, वंश बहादुर, डा. हरनंदन प्रसाद ने संयुक्त रूप से किया।

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