भारत-बंगलादेश संबंधः सहयोग की नई बुलंदियों पर

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(संजय चैधरी) बिजनौर। भारत और बंगलादेश के बीच संबंधों की बुनियाद इनके इतिहास, संस्कृति, भाषा, द्दर्म निरपेक्ष के सांझे मूल्यों, लोकतंत्र तथा दोनों देशों के बीच अनगिनत समानताओं पर खड़ी है। इन दोनों देशों के बीच संबंधों की गर्मी उस वक्त और उभरकर आई जब इसी वर्ष 21 जनवरी को भारत ने ‘कोविशील्ड -वैक्सीन’ की 20 लाख खुराके ढाका में उपहारस्वरूप भेजी और बंगलादेश की पुणे स्थित सीरम इंस्टीच्यूट ऑफ इण्डिया (ैप्स्) के साथ 3 करोड़ डैक्सीन की खुराक के लिए व्यावसायिक अनुबंध करवाने में मदद की। भारत ने यह कदम बंगलादेश द्वारा इस सीरम-इंस्टीच्यूट से कोविशील्ड के वैक्सीन उप लब्ध करवाने के निवेदन के प्रत्युत्तर में उस वक्त उठाया जब चीन द्वारा विकसित ‘कोरोना’ के वैक्सीन की क्षमता पर सवाल उठ रहे थे। इसके अलावा, चीन ने ढाका से इस वैक्सीन (साईनोवेक्स) को विकसित करने में आए खर्च के भुगतान की मांग की थी। इस वैक्सीन की 30 लाख खुराकें व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए ढाका में पहले ही पहुंचाई जा चुकी हैं।
इसके साथ-साथ, भारत -बंगलादेश मैत्री उस समय पुनः परिलक्षित हुई जब इस वर्ष (2021) की ‘गणतंत्र -दिवस परेडश् में बंगलादेश सशस्त्र सेनाओं के 122 -सदस्यीय सैन्यदल ने भारतीय सैनिकों के साथ मिलकर राजपथ पर परेड में भाग लिया। बंगलादेशी सैन्यदल में उनकी थलसेना के जवान, नौसेना के नाविक और वायुसेना के हवाई योद्धा शामिल थे। यह बंगलादेश के भारत के साथ परस्पर संबंधों की प्रगाढ़ता और उसके द्वारा अपनी आजादी के 50 वर्षों के मौके पर मनाए जाने वाले उत्सव की झलक दर्शाता है। बंगलादेश के इस सैन्यदल के ज्यादातर सैनिक उन विशिष्ट यूनिटों से चुने गए थे जिन्हें अपने भारतीय साथियों के साथ सन् 1971 का बंगलादेश का स्वतंत्रता – युद्ध लड़ने व जीतने का गौरव प्राप्त है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि बंगलादेश भारत की सहायता से एक ऊर्जा से भरे राष्ट्र के रूप में उभरा है जहां निरंकु शता व अत्याचार का खात्मा हो चुका है। इस बंगलादेशी सैन्यदल ने महान ‘मुक्ति योद्धाओं’ के रूप में अपने पुरखों की विरासत को आगे बढ़ाया जिन्होंने निरंकुश ताकतों द्वारा किए गए अत्याचार और नरसंहार के खिलाफ लड़ाई लड़ी जिसके कारण ‘बंगलादेश’ का जन्म हुआ। बंगलादेशी सैन्यदल द्वारा हमारी गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने व वैक्सीन-कूटनीति, दोनों की ही पूरे देश के लोगों ने ऐसे वक्त में खूब तारीफ की जब चीन, भारत के पड़ोसी देशों को अपनी ओर मिलाने की कोशिश कर रहा है।

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