वर्तमान प्रौद्योगिकी युग में शिक्षक की भूमिका सिर्फ किताबी शिक्षा तक सीमित नहीं बल्कि विद्यार्थियों को जीवन का व्यावहारिक ज्ञान सिखाना भी है

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एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया। वैश्विक स्तर पर भारत संस्कार मर्यादा गरिमा व शिक्षा सहित अनेक गुणों की खान के रूप में पहचाना जाता है, जो रेखांकित करने वाली बात है। इसीलिए आज हम देख रहे हैं की पूरी दुनियां के कोने-कोने में भारतीय बसे हुए हैं, वहां भी अपनी सफलता रूपी सुगंध के मोती बिखेर रहे हैं, कल के गुलामी की जंजीरों में जकड़े भारत के मोती आज विश्व के अनेकों विकसित व विकासशील देशों का नेतृत्व करने में अग्रसर है, जिसका सटीक उदाहरण हम ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक व वर्तमान में 5 नवंबर 2024 को अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव की उम्मीदवार कमला हैरिस सहित अनेको देश के प्रमुख व कंपनीयों के सीईओ भार तीय होने के रूप में देख स कते हैं, जिनकी सफलता के प्रमुख स्तंभों में से एक शिक्षा रूपी स्तंभ भी है, जिस शिक्ष क रूपी सार्थवान गुण प्रदान करते हैं, जिन्हें सलूट करने के लिए हम प्रतिवर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाते हैं, जो भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति व शिक्षा मंत्री सर्व सर्वपल्ली राधाकृष्णन को समर्पित है। शिक्षक दिवस हम प्रतिवर्ष मनाते हैं परंतु समय के चक्र के घूमते दौर में शिक्षा क्षेत्र सहित अनेक क्षेत्रों में बच्चियों के साथ दरिंदगी का बढ़ता स्तर भी रेखांकित करना जरू री है, जिसका कठोर कारा वास के साथ-साथ रचनात्म क सावधानी करना भी समय की मांग हो गई है, इसके लिए क्यों ना हम शुरुआत स्कूलों से ही करें? जहां बच्चों को स्नेह भरा व गंदी भावना के स्पर्श के बीच अंतर पहचानें के लिए जागरूक करें, ताकि यह संदेश उन तथाकथित अपराधियों व बुरी मानसिकता वालों के पास भी पहुंचे कि कुछ भी घटना करेंगे तो गले पड़ जाएगी, इसलिए इसकी शुरुआत शिक्षक दिवस से ही किए जाने का सुझाव मैं इस आर्टिकल के माध्यम से केंद्र व विभिन्न राज्यों की सरकारों के शिक्षा मंत्रालय को विनम्रता पूर्वक्ता सृजित कर रहा हूं। चूंकि शिक्षक दिवस 05 सितंबर 2024 को मना रहे हैं जिसमें शिक्षक समाज के स्तंभ होते हैं,बच्चों को ज्ञानवान और जिम्मेदार नागरिक बनाने में मदद करते हैं, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सह योग से इस आर्टिकल के मा ध्यम से चर्चा करेंगे वर्तमान प्रौद्योगिकी युग में शिक्षक की भूमिका सिर्फ किताबी शिक्षा तक सीमित नहीं बल्कि विद्या र्थियों को जीवन का व्यावहा रिक ज्ञान सिखाना भी आ वश्यक है।
साथियों बात अगर हम स्कूल में बच्चों को स्नेह भरे व गंदी भावना के स्पर्श के बीच अंतर पहचानें के लिए जाग रूक करने की करें तो, वर्तमान बदलते सामाजिक वैचारिक परिपेक्ष में शिक्षकों की विशेष जवाबदारी बढ़ गई है, क्योंकि पिछले दिनों से हमने प्रिंट इलेक्ट्रानिक व सोशल मीडिया पर बच्चों के साथ बढ़ते यौन शोषण की घटनाएं देख सुन व पढ़ रहे हैं, जिनमें बदला पुर महाराष्ट्र का केस सटीक उदाहरण है। हम देखते हैं कि ऐसी घटनाएं स्कूलों में या बच्चों के परिचित रिश्तेदार दोस्त या फिर अनजान व्यक्ति द्वारा घटित किया जा रहा जा रहा है। कई बार बच्चे किसी अपरिचित के झांसे व बह कावे में भी आ जाते हैं व इस प्रकार की घटनाओं के शि कार हो जाते हैं। इसलिए अब शिक्षकों की जवाबदारी जिम्मेदारी बढ़ गई है कि बच्चों को इसके लिए जन जागरण कर जागरूक करना बहुत जरूरी हो गया है, क्योंकि छोटे बच्चों को आसानी से गलत मानसिकता का शिकार बनाया जा रहा है। इसलिए बच्चों को अब स्नेहा से स्पर्श करने व गंदी भावना से स्पर्श के बीच अंतर पहचान के लिए जागरूक करना जरूरी है, इसकी साहसिक शुरुआत बिहार की खुशबू नामक मैडम ने टीचिंग स्टाइल से बच्चों को गुड टच एंड बेड टच का पाठ पढ़ाने की शुरुआत की है जो पूरे देश में सराही गई है, व एक मिसाल बनकर उभरी है। मेरा मानना है कि यह पहल गांव से लेकर मेट्रो सिटी तक हर स्कूल में एक अधिकृत शिक्षक द्वारा जाग रूकता अभियान के माध्यम से की जानी चाहिए, जिसमें केंद्र व राज्य के शिक्षा विभा ग द्वारा पूरा सहयोग किया जाना चाहिए। जिसमे सुनिश् िचत करें कि बच्चे को अलग- अलग तरह के स्पर्श सिखाएँ और अच्छे और बुरे स्पर्श के बीच अंतर करना सिखाएँ। अच्छे स्पर्श में सिर या पीठ पर थपथपाना, दोस्तों के साथ हाथ मिलाना, हाई-फाइव और गले मिलना शामिल है। इसके विपरीत बैड टच का मतलब है ऐसा स्पर्श जिस से बच्चे या किशोर असहज, असुरक्षित, आहत आदि मह सूस करते हैं।
साथियों बात अगर हम शिक्षा देने का अधिकारी बन कर राष्ट्र चरित्र को निर्माण करने में सहयोग करने वाले शिक्षक से 10 गुणों की अपेक्षा की करें तो,
(1) आइडियल पर्सन – शिक्षक की जिम्मेदारी होती है राष्ट्र चरित्र का निर्माण करने हेतु बच्चों में अच्छे गुणों और शिक्षा को बढ़ावा देना। स्कूल से ही देश का भविष्य निकलता है। इसलिए जरू री है कि प्राथमिक स्कूल का शिक्षक खुद चरित्रवान हो ताकि उसे देखकर बच्चे उसे आदर्श मानने लगे। विद्यार्थियों के ऊपर उसकी एक अमिट छाप पड़नी चाहिए। स्कूल में बच्चे सिर्फ पढ़ाई के लिए नहीं भेजे जाते हैं बिल्क इस लिए भी भेजे जाते हैं कि उन का व्यक्तित्व निर्माण हो सके वे भोंदू या संकोची बनकर ही नहीं रह जाएं।
(2) सर्वगुण संपन्न – एक शिक्षक को सिर्फ अपने ही सब्जेक्ट का ज्ञान नहीं होना चाहिए उसे स्कूल में पढ़ाए जा रहे सभी सब्जेक्ट का ज्ञान होने से साथ ही उसके सामान्य ज्ञान का स्तर ऊंचा होना चाहिए, क्योंकि आज कल के बच्चे शिक्षक से ज्या दा ज्ञान रखने लगे हैं ऐसे में अब शिक्षकों के सामने अप ने विद्यार्थियों से ही चुनौति मिलने लगी है। इसीलिए ज्ञान को निरंतर अपडेट करने की जरूरत हमेशा बनी रहेगी, क्योंकि आज के छात्र पहले की तुलना में कहीं ज्यादा जान ते हैं। अब उनके हाथों में मो बाइल है और गुगल है।
3) आदेश नहीं निर्देश दें रू एक अच्छा शिक्षका कभी भी अपने विद्यार्थियों से आदे शात्मक भाषा में बात नहीं करता बल्कि वह विनम्रतापूर्वक निर्देश देता है और जब जरू रत होती है तो वह फटकार भी प्यार से लगा देता है। उ सके व्यवहार अपने विद्यार्थि यों से मित्रता का होता है। शिक्षक और विद्यार्थी के बीच अनुशासन जरूरी है, लेकिन अब समय बदल गया है। अब मित्रता भी जरूरी है जिससे आपको स्टेडेंट्स को समझने और समझाने दोनों में आसा नी होगी। इससे अंतर्मुखी विद्यार्थी भी खुल सकेगा और डर दूर होगा।
(4) समानता का भाव – एक अच्छा टीचर वही होता है जो अपने सभी विद्यार्थियों से समान व्यवहार करता है और सभी के आत्मविश्वास को बढ़ाने का कार्य करता है। कई बच्चे हैं तो दूसरे बच्चों की भांति पढ़ने में तेज नहीं होते हैं। इसके कई कार ण हो सकते हैं परंतु शिक्षक को उन कारणों के बारे में न सोचते हुए यह सोचना चाहिए कि आज यदि कमजोर बच्चों पर ध्यान नहीं दिया गया तो ये बच्चे भविष्य में अपने जीवन में संघर्ष ही करते रहेंगे। माता पिता भले ही ध्यान दें या नहीं लेकिन टीचर को हर बच्चों को विशेष ध्यान देना चाहिए।
(5) रोचकपूर्ण अध्यापन – शिक्षा देने का कार्य तो हर कोई शिक्षक करता है परंतु उसी शिक्षक को बच्चे जींदगी भर याद रखते हैं जो अपने कार्य को रोचकढंग से करता है। रोचकता से ही बच्चों का ध्यान पढ़ाई में लगा रहता है और वे किसी तरह के ज्ञान को जल्दी ग्रहण कर लेते हैं। हर बार कुछ नया करते रहना चाहिए। आपका प्रेजेंटे शन महत्व रखता है। इसके लिए विनोद प्रिय होना जरूरी है।
(6)अनुभव बांटे – शिक्षक का कार्य सिर्फ कोर्स की किताबें पढ़ाते रहना नहीं होता उसे अपने जीवन के अनुभव भी बांटना चाहिए। इससे आप उनके साथ बेहतर तालमेल बैठा पाएंगे। एक बेहतर शिक्षक वही होता है जो अपने विद्यार्थी को जीवन में अच्छे बुरे की पहचान, उज्जवल भविष्य के लिए जरूरी बातें, व्यवहार और मानवता की सीख दे।
(7) कोई विद्यार्थी अध्या पक क्यों नहीं बनना चाहता, आजकल के बच्चों से यदि पूछा जाए कि तुम क्या बनना चाहोगे तो क्लास रूम में शा यद एक ही बच्चा कहे कि मैं अध्यापक बनना चाहूंगा। ऐसे बहुत से सर्वेक्षण हुए हैं, जिन में शीर्ष दस पेशों में अध्यापन आठवें – नौवें क्रम में आता है। ऐसा क्यों है यह अध्यापक को समझना चाहिए।
आजकल देखा गया है कि सरकारी स्कूल और प्राइ वेट स्कूल और उनके टीचरों में कितना अंतर आ गया है। अच्छे और गुणी शिक्षक मिल ना मुश्किल होते जा रहे हैं। शिक्षा में अच्घ्छे, प्रतिबद्ध और गुणी शिक्षकों की जरूरत है क्योंकि शिक्षा का पेशा एक ऐसा पेशा है, जिस पर अन्य सभी पेशे निर्भर हैं।
(8) उदाहरण और कहा नियां अच्छा शिक्षक वह होता है जो अपनी बात को उदाह रण और कहानियों के साथ प्रस्तुत करें। इससे बच्चे जल्दी से सीख जाते हैं और लंबे समय तक याद भी रख लेते हैं।
(9) समय और अनुशासन का पाबंद रूअच्छे शिक्षक को समय औरअनुशासन का पा बंद रहना चाहिए क्योंकि उसे देखकर ही बच्चे भी समय से सभी कार्य करने लगते हैं और अनुशासन में रहेत हैं। वह समय पर विद्यालय में जाएं, प्रार्थना सभा में उपस्थित हो तथा क्लास प्रारंभ होते ही कक्षा में जाएं और क्लास समाप्ति के तुरंत बाद क्लास छोड़े दें। साथ ही वह अपनी छोटी छोटी हरकतों से बच्चों को अनुशासन का पाठ पढ़ाएं। (10) आत्म-सम्मान, शिक्षक में आत्म सम्मान नहीं है तो उसे देखकर विद्यार्थी क्या सीखेंगे? एक अच्छा और प्रभाव शाली अध्यापक वह है जो विद्यार्थियों, प्रधानाध्यापक तथा अन्य के सामने किसी भी ग लत बात के लिए झुकता नहीं हो। किसी प्रकार का अन्याय सहन करता नहीं हो और किसी भी गलत बात से सम झौता नहीं करता है। जो अ ध्यापक अपने कर्तव्यों और अधिकारों के प्रति सचेत रहता है वही अपने आत्मसम्मान की रक्षा कर पाता है।
साथियों बात अगर हम प्रतिवर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाने की करें तो, शिक्षक दिवस पूरे भारत में उत्साह के साथ मनाया जाता है।
हर साल 5 सितंबर को देश में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। यह दिन भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डाॅ. सर्वपल्ली राधा कृष्णन के जन्मदिन के उप लक्ष्य में मनाया जाता है।
डाॅ. राधाकृष्णन एक महान शिक्षाविद् और दार्शनिक थे। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अहम योगदान दिया था। इस दिन, छात्र अपनेशिक्षकों के प्रति आभार और सम्मान व्यक्त करते हैं। शिक्षक समाज के स्तंभ होते हैं, जो बच्चों को ज्ञानवान और जिम्मेदार नाग रिक बनने में मदद करते हैं। वे अपने अथक प्रयासों से छात्रों के जीवन को आकार देते हैं और उन्हें सफलता की ओर प्रेरित करते हैं।
05 सितंबर शिक्षक दिवस का दिन, उनको श्रद्धांजलि अर्पित करने और शिक्षकों के योगदान को याद करने का दिन है। इनका जन्म 5 सितंबर, 1888 को तमिल नाडु के तिरुतनी में हुआ था।

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