सरकारी कर्मचारीयों को अपनी चल अचल संपत्तियों का ब्यौरा पोर्टल पर डालने की, यूपी सरकार नियमावली 1956 नियम 2, 4 माॅडल को हर राज्य ने सख्ती से अपनाना समयकी मांग

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एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया। वैश्विक स्तर पर दुनियां के हर देश में चाहे वह लोकतांत्रिक होया अलोक तांत्रिक उनकाशासन क्रमशः सरकार या राजा द्वारा किया जाता है। दोनों ही स्थिति यों में संचालन एक प्रक्रिया के तहत होता है। सामान्यतः लोक तांत्रिक देशों में अपने संविधान कानून नियम विनि यम इत्यादि एक पूरी प्रक्रिया की चेन होती है, जिसके आ धार पर सरकारें अपना शासन चलती है। भारत जैसे सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में भी संविधान और केंद्र व राज्य स्तरपर अनेक कानून नियम विनियम अनुसार शासन प्रशा सन चलता है, बस फर्क इत ना है कि केन्द्र या कोई राज्य पारदर्शिता व जवाबदेही बढ़ाने के लिए कानूनों व नियमों विनियमो का सख्ती से पालन करता है तो कोई चलने दो वाले जुमले पर चलता है।
पिछले कुछ वर्षों से हम यूपी राज्य में देख रहे हैं कि बुलडोजर व कुछ दिनों से यूपी नजूल संपत्ति (लोक प्रयोज नार्थ प्रबंधन व उपयोग) अध्या देश 2024 व अभी यूपी सर कारी कर्मचारी नियमावली 19 56 नियम 2,4 की सख्ती से चपरासी से लेकर बाबू तक और शिक्षक से लेकर अधि कारियों तक में हड़कंप मचा हुआ है, क्योंकि हर सरकारी कर्मचारियों को अपने व परिवार की संपत्ति को मानव संपदा पोर्टल पर 31 अगस्त 2024 तक अपलोड करना है, अन्य था अगस्त माह का वेतन नहीं मिलेगा व 1 जनवरी 2024 के बाद की विभागीय चयन समिति की बैठक में उनकी पदोन्नति या प्रमोशन पर भी विचार नहीं किया जाएगा।
हालांकि सरकार ने अपने पिछले आदेश में संपत्तियों की डीटेल जमा करने के लिए एक टाइम पीरियड भी दिया था।अब सरकार की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि 06 जून 2024 को जारी शासनादेश में पोर्टल पर जान कारी देने के लिए 30 जून 2024 की तारीख दी गई थी, इस आदेश में ये भी कहा गया था कि ब्योरा नहीं दिए जाने पर अनुशासनिक कार्य वाही की जाएगी। राज्य सर कार के कार्मिक विभाग ने 11 जुलाई को चल-अचल संपत्ति ब्योरा देने के लिए निर्धारित समयावधी 31 जुलाई 2024 तक बढ़ा दी थी, इसके बाव जूद भी पोर्टल पर कुछ कर्म चारियों ने जानकारी साझा नहीं की थी जिसके बाद येफैसला लिया गया है मेरा मानना है कि बुलडोजर, स ख्त नजूल संपत्ति अध्यादेश व सख्त यूपी सरकार नियमा वली 1956 का अनुकरण व सख्ती केंद्र वह हर राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों ने गंभीर ता से कर इस माॅडल को अप नाना समय की मांग है।
हालांकि हर राज्य की सरकारी नियमावली जरूर है, परंतु उनके भ्रष्टाचार, पारि वारिक संपत्ति को पोर्टल पर अपलोड करने के नियमों पर अति सख्ती करने की जरूरत है हालांकि बुलडोजर मॉडल अब कई राज्यों ने अपनाया है जिसका अपडेट दिनांक 21 अगस्त 2024 को एमपी के छतरपुर में पुलिस पर पथराव में शामिल एकआरोपी के 20 हजार स्क्वायर फिट में बने आलीशान बंगले को नेस्तना बूद किया गया तथा अयोध्या रेप कांड आरोपी के मकान पर भी बुलडोजर सहित अनेक राज्यों में यह सराहनीय पहल जारी है, अब जरूरत है सभी राज्यों के सरकारी कर्मचारीयों व शिक्षकों की चल अचल संपत्तियों को एक सार्वजनिक पोर्टल पर डालने का आदेश जारी हो ताकि पूरी आम जन ता उसे देख सके, जिससे भ्रष्टाचार में काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। चूंकि यूपी सरकारी कर्मचारि यों को अपनी चल अचल संपत्तियों के विवरण मानव संपदा पोर्टल पर 31अगस्त 2024 तक देने के आदेश से हड़कंप मचा हुआ है व ब्योरा नहीं डालने पर वेतन व प्रमो शन नहीं मिलेगा, जिसमें सर कारी कर्मचारियों में पारदर्शि ता व जवाबदेही बढ़ाने का प र्याय मानव संपदा पोर्टल है, जिससे भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी इसलिए आज हम मी डिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे सर कारी कर्मचारियों को अपनी चल अचल संपत्तियों का ब्यौ रा पोर्टल पर डालने की यूपी सरकार की नियमावली 195 6 नियम 2,4 माॅडल को हर राज्य ने सख्ती से अपनाना समय की मांग है।
साथियों बात अगर हम शासकीय कर्मचारियों के पास अणखुट खजाने की करें तो, एक बार माननीय पीएम ने भी एक जनसभा में कहा था कि सरकारी कर्मचारियों की किसी बड़ी सिटी में कितने फ्लैट हैं, उसका पता अब चल जाएगा। मेरा मानना है कि वर्तमान व रिटायर्ड शासकी य कर्मचारियों के पास बहुत संपदा हो सकती है, क्योंकि कुछ समय पूर्व मेरी बात एक रिटायर्ड शिक्षक से हुई थी तो उन्होंने अनायास ही मुझे जो बात बताई तो मैं बहुत आश्चर्यचकित हो गया, उन्हों ने कहा कि मैं और मेरी पत्नी दोनों अभी रिटायर्ड हैं व दोनों को 30-30 हजार रुपए पेंश न आता है, मेरे चार मकान है एक में हम रहते हैं बाकी तीन किराए पर दिए हुए हैं जिनका 60 हजार रुपया मही ना किराया आता है,व मेरा लड़का सरकारी अस्पताल में सर्जन है जिसकी तनख्वाह करीब डेढ़ लाख रुपये प्रति माह है, मां लक्ष्मी की कृपा है और मैं आरक्षण व सरकारी सुविधाओं का पूरा लाभ भी रहता हूं, अब बताइए एक रि टायर्ड शिक्षक को इतना कुछ होने के बाद भी वह आरक्षण व अन्य सरकारी सुविधाओं को इंजाॅय भी कर रहा है और शासन चुपचाप बैठा है। इसलिए ही मेरामानना है कि यूपी माॅडल को हर राज्य ने अपनाना समय की मांग है।
साथियों बात अगर हम यूपी मुख्य सचिव द्वारा 17 अगस्त 2023 को जारी एक पत्र की करें तो मुख्य सचिव ने 17 अगस्त 2023 को सभी प्रमुख सचिवों, अपर मुख्य स चिवों सचिवों महानिदेशकों निदेशकों और विभागाध्यक्षों को पत्र जारी कियाइस पत्रमें सरकारी आचरण नियमावली 1956 के नियम 2 और 4 का पालन करने का निर्देश दिया गया था, जिसमें सभी अधि कारियों और कर्मचारियों को 31 दिसंबर 2023 तक अपनी चल और अचलसंपत्ति का विवरण देने के लिए कहा गया था। पत्र में यह भी स्पष्ट किया गया था कि अगर कोई कर्मचारी अपने संपत्ति का वि वरण जमा नहीं करता है, तो 1 जनवरी 2024 के बाद होने वाली विभागीय चयन समिति की बैठक में उनकी पदोन्नति पर विचार नहीं किया जाएगा और उनकेखिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उसके बाद समय सीमा को कई बार बढ़ाया गया- 30 जून और फिर 31 जुलाई लेकिन फिर भी अगस्त महीने में 74 फीसदी कर्मचा रियों ने अपनी जानकारी नहीं दी है, इसके लिए अब 31 अगस्त तक की आखिरी डेड लाइन दी गई है। एक पेपर की रिपोर्ट के मुताबिक, 17 लाख 88 हजार 429 सरका री कर्मचारी हैं। इसमें से के वल 26 प्रतिशत कर्मचारियों ने ही अपनी संपत्ति का ब्योरा दिया है। यानी 13 लाख से अधिक कर्मचारियों ने अभी तक अपनी संपत्ति का ब्योरा नहीं दिया है। हालांकि, पहले भी कई बार समय सीमा बढ़ा ई जा चुकी है, लेकिन ताजा निर्देश उन लोगों के लिए अल्टीमेटम है,जो विवरण जमा करने में विफल रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव ने स्पष्ट रूप से कहा है कि 31 अगस्त तक संपत्ति का विवरण देने वालों को ही अगस्त महीने का वेतन दिया जाएगा, जब कि अन्य सभी का वेतन रोक दिया जाएगा। नवीनतम आ देश में कहा गया है कि अनु पालन न करने पर पदोन्नति भी प्रभावित होगी। बता दें कि मानव संपदा पोर्टल पर संपत्ति का विवरण देने की व्यवस्था पहली बार की जा रही है, इसलिए शुरुआती क ठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए कर्मचारियों को पोर्टल पर विवरण देने का एक और मौका देते हुए इसकी अंतिम तिथि 31 अगस्त कर दी गई है। साथियों बात अगर हम राज्य सरकार के इस सराह नीय कदम की तारीफ की करें तो, राज्य सरकार ने इस कदम को उचित ठहराते हुए कहा है कि इससे पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी। मंत्री ने कहा, इस उपाय का उद्देश्य सरकार के भीतर पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाना है।
मुख्यमंत्री और पीएम के नेतृत्व में भ्रष्टाचार के प्रति ह मारी जीरो टाॅलरेंस नीति है। विपक्ष ने इस कदम की आ लोचना की है और कहा है कि कई बार समय सीमा बढ़ाए जाने से पता चलता है कि राज्य सरकार अपने आदेश को लागू करने में विफल रही है। एक पार्टी के प्रवक्ता ने कहा उन्होंने इसे 2017 में क्यों नहीं लाया? अब सरकार बैकफुट पर है, इसलिए वे ऐसा कर रहे हैं। उन्हें एहसा स हो गया है कि उनके सभी कर्मचारी भ्रष्ट हैं। यह एक अनुवर्ती है, वे इसे लागू करने में सक्षम नहीं थे। सभी श्रेणी के अधिकारियों और कर्मचा रियों के लिए चल और अचल संपत्ति का ब्योरा देना अनिवार्य है।जबकि प्रदेश की सरकार भ्रष्टाचार को लेकर फुल आॅन एक्शन मोड में है। इस बीच सीएम अपने अधिकारियों और कर्मचारियों पर भी सख्ती बर तने में परहेज नहीं कर रहे।
साथियों बात अगर हम यूपी बेसिक शिक्षा अधिकारी के एक आदेश की करें तो,यूपी में एक बेसिक शिक्षा अधिका री ने अपने विभाग के सभी कर्मियों और शिक्षकों को अपनी चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा देने का आदेश जारी किया है। उन्होंने विभाग के लिए एक लेटर जारी करते हुए कहा है कि अगर 24 अगस्त तक ब्यौरा नहीं दिया गया तो पत्र एक्शन लिया जा सक ता है अपने आदेश में शासना देश का हवाला देते हुए कहा कि यूपी सरकार की ओर से मानव सम्पदा पोर्टल पर राज्य कर्मचारियों को चल-अचल सम्पति का विवरण दर्ज कराए जाने के निर्देश दिए गये हैं। इस शासनादेश को देखते हुए विभाग के सभी अधिकारि यों कर्मचारियों को निर्देशित किया जाता है कि आप मानव सम्पदा पोर्टल पर चल-अच ल सम्पति का विवरण जिला समन्वयक एमआईएस से 24.08.2024 तक पोर्टल में फीड करवा दें।आदेश में आगे कहा गया है कि अपनी चल अचल सम्पति का विवरण मानव सम्पदा पोर्टल पर फीड कराये जाने के बाद सभी अधिकारी कर्मचारी इसका प्रमाण-पत्र सेल्फ अटेस्ट करके कार्यालय में जमा करवा दें। अगर वि भाग का कोई भी अधिकारी कर्मचारी अपनी सम्पति का पूरा ब्योरा नहीं देता या फिर दिए गए वक्त में उसे फीड नहीं करवाता तो उस अधि कारी कर्मचारी का अगस्त म हीने का वेतन उसे नहीं दिया जाएगा। अतः अगर हम उप रोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि सरकारी कर्मचा रियों को अपनी चल अचल संपत्तियों का विवरण मानव संपदा पोर्टल पर 31 अगस्त 2024 तक अपलोड के आदेश से हड़कंप मचा-ब्योरा नहीं तो वेतन व प्रमोशन भी नहीं। सरकारी कर्मचारी में पारद र्शिता व जवाबदेही बढ़ाने का पर्याय मानव संपदा पोर्टल- भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी।
सरकारी कर्मचारीयों को अपनी चल अचल संपत्तियों का ब्यौरा पोर्टल पर डालने की, यूपी सरकार नियमाव ली 1956 नियम 2,4 माॅडल को हर राज्य ने सख्ती से अपनाना समय की मांग है।

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