(इं. संजय शर्मा)
लखनऊ बुधवार, 03 मई। यूपी की राजधानी लखनऊ में अखबार छापने वाली प्रिंटिंग प्रेसों के गड़बड़झालों को उजागर करने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय में बीते साल 10 दिसम्बर को लखनऊ के राजाजीपुरम क्षेत्र निवासी कंसलटेंट इंजीनियर और ट्रांसपेरेंसी, एकाउंटे- बिलिटी एंड ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव फार रेवोल्युशन नाम की पंजीकृत संस्था के संस्थापक अध्यक्ष संजय शर्मा द्वारा दायर की गई एक आरटीआई अर्जी पर सूबे के मुख्य सूचना आयुक्त भवेश कुमार सिंह के कड़े रुख के बाद सीएम कार्यालय से लेकर लखनऊ के जिलाधिकारी कार्यालय तक हडकंप मच गया है।
जहाँ एक तरफ मुख्यमंत्री कार्यालय के अनुभाग 4 के अनुभाग अधिकारी और जनसूचना अधिकारी रमेश चन्द्र श्रीवास्तव ने बीती 14 अप्रैल को सूचना आयोग के सचिव को पत्र लिखकर मामले को सूचना कानून की धारा 6 की उपधारा 3 के तहत लखनऊ के जिला मजिस्ट्रेट को ट्रान्सफर करने की बात कहते हुए उनको आयोग में उपस्थिति से छूट की गुहार लगाई है तो वहीं दूसरी तरफ जिलाधिकारी लखनऊ ने आरटीआई अर्जी को सूचना कानून की धारा 5 की उपधारा 4 के तहत कलेक्ट्रेट लखनऊ के प्रभारी अधिकारी प्रेस को अंतरित करते हुए आदेशित किया है कि वे अपने पास रक्षित सूचना आरटीआई आवेदक संजय को उपलब्ध करायें।
संजय बताते हैं कि प्रिंटिंग प्रेसों को प्रेस एक्ट अधिनियम 25 सन 1968 ईस्वी के अंतर्गत लखनऊ के नगर मजिस्ट्रेट कार्यालय में पंजीकरण कराना अनिवार्य है। बकौल संजय उनको भ्रष्टाचार विरोधी हेल्पलाइन 7991479999 पर शिकायतें मिलीं थीं कि एक ही पते और एक ही प्रिंटिंग मशीन पर कई अलग-अलग नामों से प्रिंटिंग प्रेसों का पंजीकरण कराकर फर्जीबाड़ा किया जा रहा है जिसके बाद मामले की तह तक जाकर सच्चाई उजागर करने के लिए उन्होंने यह आरटीआई दायर करके लखनऊ में पंजीकृत मुद्रणालयों की कुल संख्या, पंजीकृत मुद्रणालयों के नामों और पतों की सूचना के साथ- साथ पंजीकृत मुद्रणालयों के स्वामियों द्वारा प्रेस एक्ट की धारा 4 अधिनियम 25 सन 1968 ईस्वी के तहत दिए गए घोषणा पत्रों की सत्यापित प्रतियाँ मांगीं थीं।
संजय का कहना है कि कलेक्ट्रेट लखनऊ के प्रभारी अधिकारी प्रेस द्वारा सूचनाएं सार्वजनिक करने के बाद प्रिंटिंग प्रेसों के फर्जीबाड़े के साथ-साथ विज्ञापन व अन्य सरकारी लाभ लेने के लिए फर्जी प्रसार संख्या दिखाकर मात्र फाइल कापी छापने वाले जेबी अखबारों का फर्जीबाड़ा भी उजागर होगा।
नोट- आरटीआई अर्जी, मुख्यमंत्री कार्यालय का पत्र और कलेक्ट्रेट लखनऊ का पत्र पब्लिक डोमेन में वेबलिंक ीजजचेरूध्ध्जंीतपतपदकपं.इसवहेचवजण्बवउध्2023ध्05ध्इसवह-चवेजण्ीजउस पर सभी के सार्वजनिक प्रयोग हेतु उपलब्ध है।
प्रिंटिंग प्रेसों और अखबारों का फर्जीबाड़ा उजागर करेगा कलेक्ट्रेट लखनऊ का आरटीआई जवाब
Read Time4 Minute, 3 Second