(राजेश कुमार वर्मा) लखनऊ। सोन आदिवासी शिल्पकला ग्रामोद्योग समिति के अध्यक्ष जगदीश साहनी जी की पत्रिका स्मारिका के एक संस्करण में गाजीपुर सदर विधायक डॉ संगीता बलवंत जी का लेख और मेरा लेख निकला था कभी मुलाकात होगी ऐसी कल्पना नहीं थी।
सरल गंभीर और दूरदर्शी प्रतिभा के धनी राज्य मंत्री जी से हमारा गाजीपुर के नाते का पुराना नाता है पर मुलाकात का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
जगदीश साहनी जी और सहकारिता राज्यमंत्री आदरणीय संगीता बलवंत जी से मुलाकात हुई चर्चा और परिचर्चा के क्रम में भारतीय नागरिक परिषद के कार्यक्रमों तथा गरीबों और महिलाओं की स्थिति सुधार के लिए योजनाओं का लाभ कैसे पहुंचा जाए इस पर चर्चा हुई। नए दायित्वों के लिए डॉक्टर संगीता बलवंत जी को पुष्प कुछ देकर बधाई दी गई और महिला नेतृत्व के आगे आने के लिए सरकार के कार्य की प्रशंसा की ।
डॉक्टर संगीता बलवंत राज्यमंत्री सहकारिता के आवास पर मिलकर सोन आदिवासी शिल्पकला ग्रामोद्योग समिति के अध्यक्ष जगदीश साहनी ने पुष्पगुच्छ देकर किया सम्मानित । मंत्री को सोनभद्र के आदिवासियों के उत्थान व विकास की बात कही है ताकि आदिवासी समाज मुख्य धारा से जुड़ सकें।
सोनभद्र नक्सल प्रभावित जिला है पड़ोसी राज्य बिहार, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, है पहाड़ी घाटी है कभी नक्सलियों की गोली से घाटी गूंजने लगती थी आज उत्तर प्रदेश की उत्तर प्रदेश पुलिस के सिपाही से दरोगा व एस पी स्तर के अधिकारियों की कड़ी मेहनत के बाद सोनभद्र नक्सलियों के आतंक से मुक्त है नक्सली अब उत्तर प्रदेश की सीमा को छोड़कर अन्यत्र प्रदेश भाग गये है।
सोनभद्र में मल्लाह जाति को बेरोजगारी से रोजगार देने पर चर्चा हुई। राजनाथ सिंह जी की उत्तर प्रदेश में सरकार थी उन्होंने मल्लाह समाज को नदी घाट का ठेका, मत्स्य आखेट का ठेका, नदी तल से बालू उत्त खनन का ठेका दिया गया था। राजनाथ सिंह जी की सरकार जाते ही नई बीएसपी की सरकार बनी वह पट्टा नई सरकार ने निरस्त कर दिया था।
स्मारिका आदिवासियों के जीवन उनके उन्नयन और उनके द्वारा किए गए कार्यों को दर्शाने की एक सराहनीय पत्रिका है।
आज एक और जहां देश की बढ़ती हुई आबादी में आदिवासियों के उत्थान की बातें तो बस की जाती है पर यदि देखा जाए तो सामान्य जनजीवन से कटी हुई अनेक आदिवासी जनजातियां आज भी हमारे बीच हैं जिनके बारे में हम कुछ नहीं जानते ….स्मारिका पत्रिका के माध्यम से जगदीश साहनी जी आदिवासियों के उन विभिन्न पहलुओं को समाज के सामने लाने का प्रयास करते हैं जो आदिवासी जनजातियों के उत्थान के लिए आवश्यक है।
समय समय पर स्मारिका पत्रिका में डॉक्टर संगीता बलवंत राज मंत्री जी सामाजिक चिंतन पर लिखे हुए अपने लेखों और कविताओं के द्वारा आदिवासी चिंतन पर अपने विचार व्यक्त करती रहती हैं।
महिलाओं के स्वास्थ्य और उन को स्वावलंबी बनाने के लिए विभिन्न योजनाओं में सरकार द्वारा क्या-क्या सुविधाएं आदिवासी महिलाओं को दी गई हैं इस पर भी खुलकर चर्चा हुई और भविष्य में पत्रिका के माध्यम से आदिवासी के जनजीवन को पूरे देश में पहुंचाने की बात पर गंभीरता से चर्चा हुई।
जगदीश साहनी जी के साथ सोनभद्र और जहुराबाद के प्रतिनिधि शामिल थे। लखनऊ से शिक्षक प्रतिनिधि के तौर पर रीना त्रिपाठी और रेनू त्रिपाठी इस परिचर्चा में सम्मिलित हुई।
सरलता और प्रतिभा के धनी सहकारिता राज्यमंत्री डाक्टर संगीता बलवंत जी से एक यादगार मुलाकात’
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