अग्रेंजी अखबार TOI में छपी एक अखबार के मुताबिक, रुद्रप्रयाग पुलिस अधीक्षक (एसपी) आयुष अग्रवाल ने कहा कि केदारनाथ जाने वाले 684 तीर्थयात्रियों को रुद्रप्रयाग पुलिस ने बिना ई-पास के यात्रा करने वाले यात्रियों को वापस भेजा दिया, जबकि 35 तीर्थयात्रियों को सोनप्रयाग पुलिस बैरियर में फर्जी ई-पास के साथ पकड़ा गया।
क्या होता है ई-पास?
स्मार्ट सिटी पोर्टल पर तीर्थयात्री के पंजीकरण के बाद चार धाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड द्वारा एक ई-पास बनाया जाता है।यह दो दिनों के लिए वैध रहता है। बता दें कि यह पास कोविड प्रोटोकॉल के गाइडलाइन का हिस्सा है जिसको उच्च न्यायालय ने यात्रा पर रोक लगाते समय अनिवार्य किया था। अग्रेंजी अखबार TOI में छपी एक अखबार के मुताबिक, रुद्रप्रयाग पुलिस अधीक्षक (एसपी) आयुष अग्रवाल ने कहा कि केदारनाथ जाने वाले 684 तीर्थयात्रियों को रुद्रप्रयाग पुलिस ने बिना ई-पास के यात्रा करने वाले यात्रियों को वापस भेजा दिया, जबकि 35 तीर्थयात्रियों को सोनप्रयाग पुलिस बैरियर में फर्जी ई-पास के साथ पकड़ा गया।एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि यह संभव है कि तीर्थयात्रियों को परमिट के फर्जी होने की जानकारी नहीं थी। अधिकारी ने कहा, “ज्यादातर मामलों में, लोगों ने कहा कि उन्होंने साइबर कैफे से पास छपवाए हैं।” राज्य पुलिस मुख्यालय ने कहा कि बद्रीनाथ मंदिर में बिना ई-पास के यात्रा करने वाले 20 तीर्थयात्रियों को वापस भेज दिया गया। उत्तरकाशी जिले के गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिरों से ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है।
पुलिस विभाग ने कहा कि कोविड प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित करने के लिए यात्रा मार्ग पर कड़ी जांच की जा रही है। केदारनाथ की यात्रा करने वालों को पांच अलग-अलग चौकियों पर जांच से गुजरना पड़ता है। उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक (DGP) अशोक कुमार ने कहा कि, हम यात्रा की आवश्यकताओं के बारे में जागरूकता फैला रहे हैं। चार धाम यात्रा के लिए उत्तराखंड आने वाले तीर्थयात्रियों को भी देहरादून स्मार्ट सिटी पोर्टल पर पंजीकरण करने और फिर देवस्थानम बोर्ड से ई-पास के लिए आवेदन करने के लिए कहा गया है।अब तक तीर्थयात्रा के लिए 69,619 ई-पास जारी किए जा चुके हैं, जबकि 9,135 तीर्थयात्री हिमालय के मंदिरों के दर्शन कर चुके हैं।