जुल्म सहकर भी इन्सानियत की बका को जिन्दा ओ जावेद बना दिया इमाम हुसैन ने -मौलाना सै0 अली अब्बास

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(मो0 रिजवान) प्रयाग राज। कोविड 19 का पालन करते हुए हुसैनी इमामबाड़ा काजीपूर भोपतपुर मे करबला के बहत्तर शहीदों की याद मे पैगामे हुसैनी मजलिस का आयोजन कर इमाम हुसैन की राहे हक मे दी गई कुरबानी का मार्मिक वर्णन किया गया। मौलान सैय्यद अली अब्बास ने मजलिस को सम्बोधित करते हुए कहा की नाना रसूल की उम्मत और आलमे इन्सानियत को बचाने के लिए हजरत इमाम हुसैन ने अपने बहत्तर लोगों के साथ करबला की सरजमी पर ऐसी इबारत लिखी जो आज भी इन्सानियत की मिसाल है। यही वजह है की इमाम हुसैन के चाहने वालो मे सिर्फ शिया समुदाय नहीं बल्की मुसलमानो मे सुन्नी समुदाय के साथ बड़ी संख्या मे हिन्दू भी इमाम हुसैन से मोहब्बत रखते हुए अय्यामे मोहर्रम मे ताजिया रखते हैं और दुलदुल घोड़े को दूध जलेबी व भीगी चने की दाल खिला कर अकीदत का इजहार करते हैं। मौलाना ने गमगीन मसाएब पढ़े तो हर आँखों मे आंसू की धारा बहने लगी। मजलिस के बाद नौहाख्वान राजा सैफी कुमैल जमन मोईयावी मासूम इरफान मुन्ना प्रधान ने गमगीन नौहा पढ़ा तो हर तरफ से सदा ए हुसैन की गूँज होने लगी मरसिया ख्वानी जीशान आफाक रुखसार ने की मजलिस के बाद हजरत अली अकबर का ताबूत निकाला गया।
इस मौके पर मौलाना मशरकेन सैय्यद, अमीर हसन, अबुजर सलमान, जावेद नफीस, हिद्दन तस्सन, औसाफ, लखते हसन, फजले हसन, मौलाना कैफी नक्कन, अली असफाद काजिम, मौलाना सादिक, मोहम्मद अली, सौजब अब्बास, काजिम नौशाद आदि लोग उपस्थित रहे।

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