अर्द्ध सैनिक बलों तथा कर्मचारियों को पुरानी पेंशन न देना महापाप है -प्रेम नारायण

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(प्रेम वर्मा) उन्नाव। जानकर आश्चर्य होगा कि 01 अप्रैल 2004 के बाद से अर्द्ध सैनिक सुरक्षा बलों तथा अन्य सरकारी कर्मचारियो की पुरानी पेंशन (व्च्ै) को तत्कालीन केंद्र की बीजेपी सरकार ने बंद कर दिया था। उस समय प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी बाजपेई थे। उन्होंने कहा था कि देश सेवा के लिए कर्मचारियों को पुरानी पेंशन नहीं ली जानी चाहिए इससे देश पर वित्तीय बोझ कम हो जायेगा और तत्काल पुरानी पेंशन योजना को बंद करा दिया।
इसी बिंदु के मद्देनजर जब हमारे संवाददाता ने भ्रमण करके लोगों की राय जानी तो लोगों ने कहा कि यह निर्णय बिल्कुल ही अनुचित एवं विरोधाभाषी है। यदि अर्ध सैनिक सुरक्षा बलों तथा अन्य सरकारी कर्मचारियों में किसी की भी सेवा में रहते हुए 5 वर्ष के बाद ही शहादत या मृत्यु हो जाती है तो उसका परिवार कैसे पलेगा, कौन पालेगा ? परिवार में वृद्ध माता पिता, दादा जी, दादी जी, पत्नी, बच्चे आदि सदस्य होते हैं। इनके भरण पोषण की जिम्मेदारी का जिम्मेदार कौन होगा ? गोल्ड मेडलिस्ट एवं वरिष्ठ समाजसेवी तथा शैक्षिक संस्था के संस्थापक प्रेम नारायण चैरसिया का कहना है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री ने पुरानी पेंशन योजना को बंद करके कर्मचारियों की बुढ़ापे की लाठी छीनने का घृणित कार्य किया। इसी से पता चल जाता है कि वह कितना देशप्रेमी थे कि सभी कर्मचारियों की तो पुरानी पेंशन बंद कर दी लेकिन राष्ट्र हित में अपनी अर्थात विधायकों और सांसदों की पुरानी पेंशन नहीं बंद की क्यों ? क्या राष्ट्रहित के लिए विधायक और सांसद को अपनी पेंशन लेना चाहिए? उन्होंने आगे कहा कि यदि पेंशन बंद ही करनी थी तो फिर सभी विधायकों और सांसदों की भी बंद करते। एक ही देश में वहां के नागरिकों के लिए अलग अलग नियम क्यों? एडवोकेट एवं युवा समाजसेवी रत्नम चैरसिया ने कहा कि पुरानी पेंशन एक संवैधानिक प्रक्रिया के तहत कर्मचारियों का अधिकार है। कोई भी कर्मचारी या अर्ध सैनिक सुरक्षा बल अब अपने परिवार को लेकर बड़ा ही सशंकित रहता है जबकि पहले ऐसा नहीं था क्योंकि उन्हें पता था कि यदि नौकरी के समय ही उन्हें कुछ हो जाता है तो पुरानी पेंशन के अंतर्गत उनके परिवार का जीवन यापन आसानी से हो जाएगा लेकिन वर्तमान में ऐसा नहीं है। अभी आरटीआई से प्राप्त जानकारी में खुलासा हुआ कि विधायक और सांसद एक नहीं दो – दो तरह से पुरानी पेंशन ले लेते हैं, जो कि अत्यंत ही गलत तरीका है। अन्य युवा ऊर्जावान पीढ़ी में जिला अध्यक्ष- चैरसिया महा सभा शिवम चैरसिया का कथन है कि अर्ध सैनिक सुरक्षा बल के अंतर्गत सीआरपीएफ, सीआई एसएफ, आईटीबीपी, बी एसएफ, एसएसबी, असम राइफल्स आदि सुरक्षा बल की टुकड़ियां आती हैं, इन सभी सैनिकों को पुरानी पेंशन न देना एक तरह से महापाप है साथ ही सरकारी कर्म चारियों को जिन्होंने अपनी युवा ऊर्जावान जीवन के 25 से 30 वर्षो का अमूल्य समय सरकार को दे दिया और जब उसका बुढ़ापा आया तो सरकार ने ही उसका साथ छोड़ दिया, ये कहां का न्याय है? सरकार को जल्द से जल्द पुरानी पेंशन लागू करनी चाहिए। पश्चिम बंगाल राज्य में मुख्यमंत्री आदरणीय ममता बनर्जी जी अपने सभी सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन दे रहीं हैं।
कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाल करने के लिए एक सराहनीय पहल की शुरुआत जनपद सीतापुर के महमूदाबाद क्षेत्र से विधायक माननीय नरेन्द्र सिंह वर्मा जी ने की है उन्होंने प्रधामंत्री जी को एक पत्र भी लिखा है, जिसमे उन्होंने कहा है कि यदि कर्मचारियों को पुरानी पेंशन नहीं है तो फिर विधायकों और सांसदों को भी नहीं मिलनी चाहिए। आम जनमानस विधायक जी के इस साहसिक कार्य के लिए उन्हें सोशल मीडिया पर साधुवाद प्रेषित का रहा है।
इस अवसर पर अन्य युवा जोश में विजय वर्मा, गौरव शर्मा, प्रेम वर्मा, अभय गुप्ता, मुकेश कुमार चैरसिया, संजय चैरसिया, सत्यम मिश्र, सुरेश चंद्र आदि सैकड़ों लोगों ने अपने अपने अपने विचारों में एक ही बात कही कि यदि पुरानी पेंशन नहीं हो तो किसी के लिए भी नहीं हो, यदि हो तो सरकारी कर्मचारियों को भी हो।

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