(प्रेम वर्मा) पुरवा- उन्नाव।हमारे संवाददाता ने जब लोगों के विचार जानने के लिए उनसे पूछा कि नेताओं के लिए भी चुनाव लड़ने की अधिकतम आयु निश्चित होनी चाहिए या नहीं, तो पता चला कि सभी आम जन मानस की राय है कि जिस तरह से सरकारी नौकरी करने वाले लोगों की अधिकतम आयु 60/62 वर्ष है उसी तरह से विधायकों और सांसदों की भी अधिकतम आयु सुनिश्चित होनी चाहिए। इससे लोकतंत्र में नवीन क्रांति आ जाएगी। लोगों को यह शिकायत भी नही होगी कि एक ही देश में राजनेता और सरकारी कर्मचारी की अधिकतम आयु में समानता नहीं है।
जनता को भी ये शिकायत नहीं रहेगी कि उनके जन प्रतिनिधि बूढ़े हो गए हैं, और जनता के हितों की रक्षा करने में भी वह असफल साबित हो रहे हैं। लेकिन सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि देश में कौन सी विधान सभा इसकी पहल करेगी ? या फिर वर्तमान की केंद्र सरकार इसकी पहल करेगी या नहीं ?
लोगों का कहना है कि साधारणतया जब एक सर कारी कर्मचारी 60/62 वर्षों में सेवा निवृत्त हो जाता है अर्थात उसके कार्य करने की क्षमता में कमी आ जाती है तो फिर एक राजनेता में इतनी क्षमता कहां से आ जाती है कि वह अपनी जनता का खयाल ठीक से रख सके ?
वरिष्ठ समाजसेवियों में जिला अध्यक्ष चैरसिया महा सभा शिवम चैरसिया ने कहा कि निश्चित रूप से ये सका रात्मक पहल होगी और इससे भारतीय राजनीति में एक क्रांतिकारी परिवर्तन आएगा , जो देश की दिशा और दशा दोनो ही बदल कर रख देगा। गोल्ड मेडलिस्ट, वरिष्ठ विचारक, संस्कृत के प्रकांड विद्वान , सेवा निवृत्त उप प्रद्दा नाचार्य एवं श्रीमती राम रानी देवी चैरसिया पब्लिक स्कूल के संस्थापक प्रेम नारायण चैरसिया का कहना है कि समयानुसार एवं देशकाल की परिस्थिति के अनुसार समय- समय पर परिवर्तन होना चाहिए। प्रकृति भी परिवर्तन करती रहती है और परिवर्तन ही सृष्टि का नियम है, इसलिए हमारे द्वारा बनाए गए नियम ऐसे हों जो सभी के लिए एक समान हों उनमें भिन्नता कतई नहीं होनी चाहिए!
एडवोकेट रत्नम चैरसिया जी ने एक प्रश्न के जवाब में कहा कि भारतीय राजनीति में यह पहल एक मील का पत्थर साबित होगी , जब नए नए युवा ऊर्जावान लोग विधायक और सांसद बनेंगे तो राजनीति का परिदृश्य ही बदल जाएगा ।अन्य युवा ऊर्जावान पीढ़ी में प्रेम वर्मा, मुकेश कुमार चैरसिया, गौरव शर्मा, शुभ चैरसिया आदि सैकड़ों प्रबुद्ध जनों ने एक स्वर में कहा कि यदि भारतीय राजनीति में क्रांतिकारी परिवर्तन करना है तो अब वह समय आ गया है कि जब यहां भी शोधन की प्रक्रिया लागू हो।
बेटियों को अभिशाप नहीं अभिमान के रूप में समझे -सचिव
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