आगामी चुनाव 2021, सीतापुर सियासत में बढ़ी हलचल

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पूर्व विधायक रामपाल यादव पुत्रा रामेंद्र यादव कार्यकर्ताओं सहित थामा भाजपा का दामन

 

(पवन कुमार सिंह) सीतापुर। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आता है वैसे वैसे पार्टी में आने जाने वालों का सिलसिला शुरू हो जाता है कोई इधर से आता है तो कोई उधर से काफी बड़ा सियासी घमासान चुनावों के पहले देखने को मिलता है इसी दौरान अब सीतापुर में सियासी चर्चाओं का दौर शुरू हो चुका है और जनपद की सियासत में बड़ी हलचल देखने को मिल रही है। बताते चलें कि बिसवां विधानसभा क्षेत्र 149 से समाजवादी पार्टी से विधायक रहे । प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव व पूर्व मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार शिवपाल सिंह यादव की बेहद खास करीबियों में से एक रामपाल यादव अपने पुत्र राजेंद्र यादव व अपने सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया अब इसमें चुनावी समीकरण को बदल दिया है।
अगर देखा जाए तो जान कारों की माने तो विधान सभाओं भाजपा उम्मीद वार को लेकर टिकट बदले जा सकते और दूसरी तरफ पूर्व विधायक रामपाल यादव के भाजपा में शामिल होने से लोग कयास लगा रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी से बिसवां वर्तमान विधायक महेंद्र सिंह यादव का भी पत्ता साफ हो सकता है इन दिनों चर्चाएं हो रही हैं की धरातल पर जो विकास कार्य विधायक के माध्यम से हुए हैं ।उनका विकास स्तर न्यूनतम रहा है और वह विकास को गति नहीं मिल पाई और काफी ऐसी बातें भी हो रही है कि पार्टी के मंडल अध्यक्ष और बूथ अध्यक्ष भी इससे कुछ खासा खुश नहीं है और अंदर ही अंदर मतभेद की स्थिति है और जिला पंचायत वार्ड संख्या 49 से भाजपा समर्थित प्रत्याशी की हार का ठीकरा भी इन्हीं के सर बता रहे है यह इसलिए चर्चाएं हो रही हैं जिला पंचायत वार्ड संख्या 49 से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मनोज यादव ने पर्चा दाखिल किया था जो भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान विधायक महेंद्र सिंह यादव के चुनाव लड़े थे लेकिन हार का सामना करना पड़ा। जिसमें जानकार बताते हैं की मनोज यादव भारतीय जनता पार्टी की से कसमंडा प्रभारी विधायक प्रतिनिधि थे और बिसवां विधायक महेंद्र सिंह यादव के काफी नजदी की माने जाते थे उसके बावजूद पार्टी से निष्कासन करने के उपरांत निर्दलीय प्रत्याशी बनकर मनोज यादव के द्वारा चुनाव लड़ा गया और इसमें यह कहा जा रहा है कि विधायक महेंद्र सिंह यादव के करीबी होने के साथ पूर्व में महेंद्र यादव भाजपा से कसमंडा प्रभारी रहे उसके बावजूद भी उनकी वह पहचान नहीं बन सकी जो बननी चाहिए थी कहीं ना कहीं इस पूरी कहानी का कहानीकार वर्तमान विधायक महेंद्र यादव को माना जा रहा है। हालांकि क्या है क्या नहीं इस पर तो कुछ कहना मुश्किल है लेकिन क्षेत्रीय चर्चाएं यही हो रही है जिससे यह भी कहा जा रहा है कि यह पूरी जानकारी पार्टी में ऊपर तक जा चुकी है जिससे बिसवां विधानसभा में उम्मी दवार को लेकर छींटा कशी हो सकती है। हालांकि काफी असमंजस की स्थिति है। लेकिन लोग इस बात के कयास लगा रहे हैं कि अग्रिम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के विधान सभा बिसवां से पूर्व विधायक रामपाल यादव उम्मीदवार के रूप में उतार सकती है यह अलग की बात है कि महेंद्र सिंह यादव विधायक बिसवां को टिकट भले ही अलग विधानसभा में दिया जाए। लेकिन पूर्व विधायक रामपाल यादव के पार्टी में शामिल होने से बिसवां विधानसभा में टिकट मिलना बिल्कुल तय माना जा रहा है। हालांकि पहले पूर्व विद्दा यक रामपाल यादव को समा जवादी का कट्टर समर्थक माना था लेकिन उनके समर्थक समाजवादी पार्टी से काफी समय से उनकी दूरियां ऐसे कयास लगा रहे थे कि अबकी बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर बिसवां से पूर्व विधायक रामपाल का आगाज हो सकता है लेकिन इन सभी को उलटफेर करते हुए बीते दिनों पूर्व विधायक रामपाल यादव भाजपा में शामिल हो गए बताते चलें समाजवादी पार्टी से पूर्व विधायक रामपाल यादव की दूरियां बनना भी एक बड़ी अजब कहानी है। इस कहानी को अगर जाना है , तो 2017 के पहले जाना होगा जब उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी और मुख्यमंत्री थे अखि लेश यादव और जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी का जनपद में समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे, शिव कुमार गुप्ता को पार्टी आलाकमान की निर्देशों को दरकिनार करते हुए अपने पुत्र को जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ाया और उसके बाद जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए निर्दलीय उम्मीदवार बनाकर चुनाव जीताया जो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को नागवार गुजरा और इसके बाद सिलसिला शुरू हुआ। तो थमने का नाम नहीं लिया पूर्व विधायक का समाजवादी पार्टी से बिल्कुल किनारा हो गया और इसके बाद पूर्व विधायक रामपाल यादव की समाजवादी पार्टी से दूरियां बढ़ी और चुनाव में टिकट कट गया जिसके बाद बगावती सुर तेज करते हुए सीतापुर की सेवता विधानसभा सीट से राष्ट्रीय लोक दल के उम्मीदवार बन मैदान में उतरे, हालांकि हार का सामना करना पड़ा जिसके बाद समा जवादी पार्टी से बिल्कुल किनारा हो गया अब सियासी जानकार बताते हैं, कि चुनाव से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी में पूर्व विधायक रामपाल यादव का शामिल होना इस बात को साबित करता है की अगला विधानसभा चुनाव वह भाजपा से लड़ सकते हैं हालांकि किस सीट से उनको उम्मीदवार बनाया जाएगा यह कहना कठिन है। लेकिन जिस तरीके से लोगों ने चर्चाओं का सिलसिला शुरू कर दिया है उससे ऐसा कहा जा रहा है कि हो सकता है वर्तमान विधायक महेंद्र यादव की बिसवां विधानसभा से छुट्टी हो सकती है और अगले चुनाव में भाजपा से पूर्व विद्दा यक रामपाल यादव उम्मी दवार के रूप में बिसवां से चुनावी दंगल में आ सकते हैं अब कौन आएगा या कौन जाएगा यह तो समय ही बता एगा लेकिन सियासत गर्म होने का सिलसिला शुरू हो चुका है, आम चर्चाओं की बात करें तो पूर्व विधायक रामपाल यादव को बिसवां विधानसभा से भाजपा टिकट मिला तो चुनाव दिलचस्प होगा।क्योंकि अगले वर्ष 2022 में विधान सभा का चुनाव होना है अब देखना यह है की कौन बाजी मारेगा और कौन पीछे रह जाएगा।

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