एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया। वैश्विक स्तर पर अनेक ऐसी बुराइयों या बुरी आदतें शौक या कार्यकलाप हैं, जिन्हें रोकने के लिए 195 से अधिक देशों की सदस्यता से बना संयुक्त राष्ट्र द्वारा इस आदत, वस्तु को रोकने अने क कार्यक्रम व जन जागरण दिवस मनाया जाता हैं।परंतु मेरा मानना है कि अब समय आ गया है कि दुनियां के हर देश व हर राज्य द्वारा इससे संबंधित कानूनो में अब संशो धन करने का समय आ गया है। अब तंबाकू और उससे बनी वस्तुओं पर पूरी तरह से बैन औरउल्लंघन करने वालों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई की जाए। हालांकि भारत के अनेक राज्यों में तं बाकू व उससे बने पदार्थों पर बैन लगा हुआ है, परंतु उस पर सख्ती की अत्यंत भारी कमी देखने को मिल रही है। इस संबंध में इस आर्टिकल को लिखने के पीछे मैं खुद एक हफ्ते से रिसर्च व ग्राउंड रिपोर्टिंग कर रहा थाजिसकी चर्चा हम नीचे के पैराग्राफ में करेंगे, तो मैंने पाया कि तंबाकू विक्रेताओं पर अति सुस्ती से कार्रवाई होती है, मार्केट में खुले आम तंबाकू बिकते दिखा अनेक गोदाम पैक रखे हुए, विक्रेता मलाई से लबालब शालीनता वाली जिंदगी मे मस्त दिखे। दूसरी और अभी कुछ दिन पहले हमारी राइस सिटी गोंदिया में संबंधित विभाग द्वारा स्कूलों के 100 मीटर के दायरे में तंबाकू और उससे संबंधित पदार्थ बेचने पर अनेक प्रतिष्ठानों पर कार्र वाई की गई। मेरा मानना है कि इस समस्या को जड़ से समाप्त करने के लिए यह का र्रवाई लगातार सप्ताह में दो बार शुरू रहनी चाहिए तो इस समस्या का जड़ से नि दान हो सकता है। असल में होता यह है कि हफ्ताखोरी के कारण जो रेड होता है, उसकी जानकारी संबंधित आॅनर को उस डिपार्टमेंट के भेदियों से मिल जाती है और माल ठिकाने लग जाता है या सेटिंग से कम जप्ती दिखायी जाती है, केस ढीला कर दिया जाता है, आरोपी को शीघ्र जमानत मिल जा ती है, फिर कारोबार का चक्र उसी तरह चलते रहता है, रिकाॅर्ड में रेड दिखाई जाती है पर होता जाता कुछ नहीं, यह कहानी मेरा मानना है कि शायद हर जिला प्रशासन में हो सकती है। इस प्रकार के मदिरा व्यापार में मैंनें अभी तक कोर्ट से सजा नहीं देखी या सुनी है। आरोपी छूट जाता है मामला रफादफा हो जाता है और हम केवल और केव ल जागरूकता दिवस, निषे ध दिवस मनाते रह जाते हैं, जिस पर शायद शासन प्रशा सन को गंभीरता से विचार करना जरूरी है। अभी समय आ गया है कि शासन प्रशासन को अति कानूनी सखघ््ती भी अत्यंत तात्कालिक जरूरी है, इसलिए आज हम मीडियम उपलब्ध जानकारी के सह योग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, तंबाकू सेवन स्वास्थ्य के लिए खतर नाक तंबाकू निषेध कानून का सख्त क्रियान्वयन समय की मांग तंबाकू या धूम्रपान से दूरी हमारे जीवन की गुणवत्ता को सुधारने में मददगार साबि त हो सकती है। साथियों बात अगर मेरे द्वारा विधान सभा चुनाव के बिल्कुल पीक दिवस पर तंबाकू सेवनकर्ताओं से ग्राउंड रिपोर्टिंग बातचीत की करें तो, मैं सब्जी मंडी, माॅल सिनेमाघर पेट्रोल पंप किराना बाजार सहित अन्य कई स्थानों पर दैनिक रूटिंन में जाकर देखा तो अनेकों के हाथ में झिल्ली में लपेटा हु आ या पाउच में डाला हुआ गुटका तंबाकू दिखा। मैंनें जब उनसे बात की तो उन्होंने कहा हमें मालूम है कि पाउच के ऊपर लिखा रहता है तंबाकू सेवन से कैंसर जैसी घातक बीमारी हो सकती है, परंतु फिर भी हम खा रहे हैं।
हालांकि तंबाकू पर यहां बैन लगा हुआ है फिर भी खुले आम विक्रेता ओं बीच सेवन कर्ता सेवन कर रहे हैं। जब मैं उनके दांतों के सड़न के बारे में बात की तो उन्होंने कहा तंबाकू से ही सब गए हैं। मैंनें कैंसर की बात की तो उन्होंने कहा आगे चलकर हमें कैंसर हो सकता है, फिर भी बेफिक्र होकर तंबाकू खाते दिखे तो मुझे लगा अब जन जागरण फैलाने के साथ- साथ अत्यंत सख्त कार्रवाई करना लाजमी है और संबंधित विभाग को ऊपर से टारगेटेड कार्रवाई केस देने का दबाव बनाना जरूरी हो गया है परंतु या फिर निक्कमे अधिकारियों का निलंबन करना समय की मांग है, क्योंकि ऐसा हो ही नहीं सकता कि तंबाकू सेवन या विक्रेता के केस ना हो, अधिकारी एक ढूंढेंगे तो हजा रों केस मिल जाएंगे, इसका स्वतःसंज्ञान मंत्रालय स्तर से लेना जरूरी है।
साथियों बात अगर हम तंबाकू खाने से भयंकर बीमा रियां और सेहत को नुकसा न की करें तो, हर कोई जान ता है कि तंबाकू खाना उन की सेहत को कितना नुक सान पहुंचा सकता है, लेकिन इसके बावजूद लोग इसके सेवन से कभी परहेज नहीं करते। परंतु अभी इसे रोकने के लिए उपलब्ध कानूनों का शक्ति से क्रियान्वयन करना जरूरी है ताकि भविष्य की पीढ़ियों की रक्षा की जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि तंबाकू के इस्तेमा ल में गिरावट जारी रहे। इस साल, तंबाकू उद्योग के युवा ओं को टारगेट कर बनाए गए मार्केटिंग के तरीकों की चिंता बढ़ाने वाली प्रवृत्ति की ओर ध्यान दिया जाना जरूरी है। सोशल मीडिया और लाइव स्ट्रीमिंग प्लेटफाॅर्म वगैरह के जरिए दुनियां भर में युवा तेजी से तंबाकू प्रोडक्ट्स के आकर्षण और संपर्क में आ रहे हैं।
यह उनके स्वास्थ्य और समाज के कल्याण के लिए एक बड़ा खतरा है। दुनियां भर के सर्वेक्षण लगातार दिखा रहे हैं कि ज्यादातर देशों में 13-15 वर्ष की आयु के बच्चे तंबाकू और निकोटीन प्रो डक्ट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। 13 से 15 वर्ष की उम्र के बच्चों पर बढ़ रहा खतरा युवाओं में धूम्रपान का प्रचलन बना हुआ है और कई देशों में यह बढ़ रहा है। 13 से 15 वर्ष की आयु के 38 मिलियन से अधिक बच्चे किसी न किसी रूप में तंबाकू का इस्ते माल कर रहे हैं। साल 2022 में, 15 से 24 साल के बच्चों के बीच पॉपुलर टीवी और वेब शो में तंबाकू वाले विजु अल्स में 110 फीसदी की वृद्धि हुई, जो अक्सर धूम्रपान को ग्लैमरस और कूल के रूप में दिखाते हैं। ट्रुथ इनिशिएटिव के अनुसार, स्क्रीन पर धूम्रपान की तस्वीरें देखने पर युवाओं में स्मोकिंग शुरू करने की संभावना तीन गुना तक बढ़ जाती है।
साथियों बात अगर हम तंबाकू सेवन में विभिन्न प्रकार का कैंसर होने का प्रमुख का रण बनने की करेंतो, तम्बाकू विभिन्न प्रकार के कैंसरों के लिए प्रमुख कारण है, तथा अकेले धूम्रपान ही फेफड़े के कैंसर से होने वाली 90 प्रति शत मौतों के लिए जिम्मेदार है। तम्बाकू उपयोग कर्ताओं की संख्या घटकर 1.25 बि लियन रह जाने के बावजूद, तम्बाकू का उपयोग, विशेष रूप से 13 से 15 वर्ष के बच्चों में, एक बड़ी चुनौती प्रस्तुत करता है। युवाओं के प्रति तम्बाकू उद्योग की लक्षित रणनीति में ई-सिगरेट, धूम्र रहित तम्बाकू, स्नस, पाउच जैसे नए उत्पादों का विपणन करना तथा पारंपरिक विज्ञा पन प्रतिबंधों को दरकिनार करने के लिए डिजिटल प्लेट फार्मों का उपयोग करना शा मिल है। युवाओं की सुरक्षा के विषय पर 31 मई को मना ए जाने वाले विश्व तंबाकू निषेध दिवस से पहले युवा उपभोक्ताओं को लक्षित करने के लिए करों में वृद्धि, अधिक धूम्रपान मुक्त क्षेत्रों, तंबाकू उत्पादों की बिक्री और विप णन पर सख्त नियमों और डिजिटल प्लेटफार्मों के दोहन की वकालत की जा रही है। युवाओं में तम्बाकू का उपयोग चिंताजनक रूप से बढ़ रहा है, जो उन्हें सीधे कैंसर के बढ़ते जोखिम के प्रति उजागर करता है। यह कैंसर से पीड़ित और इससे मरने वाले लोगों की संख्या को कम करने के प्रयासों को कमजोर करता है। अगली पीढ़ी को तम्बाकू उत्पादों और भ्रामक आॅनला इन विज्ञापनों से बचाना और ग्राहक आधार को नवीनीकृत करने के उद्देश्य से उद्योग की आक्रामक रणनीति का मुकाब ला करना हमारा कर्तव्य है।
युवाओं को आकर्षित कर ने के लिए विशेष रूप से डि जाइन किए गए नए उत्पादों -जैसेई-सिगरेट, विशेष रूप से स्वाद वाले उत्पाद धुआं रहित तंबाकू, स्नस और पा उच-के लिए विपणन रणनी तियों पर कड़े नियंत्रण की व कालत की है, जिनका सोशल मीडिया के माध्यम से आक्रा मक रूप से प्रचार किया जा ता है। तम्बाकू का उपयोग और उसका सेवन कई प्रकार के कैंसर जैसे फेफड़े, स्वरयंत्र, मुंह, ग्रासनली, गला, मूत्राशय, गुर्दे, यकृत, पेट, अग्न्याशय, बृह दान्त्र और गर्भाशय ग्रीवा के साथ-साथ तीव्र माइलाॅयड ल्यूकेमिया के प्रमुख कारणों में से एक है। ऐसा अनुमान है कि तम्बाकू के सेवन के कारण हर साल 1 करोड़ से अधिक लोग मारे जाते हैं। तम्बाकू न केवल स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि पर्यावरण पर भी कई तरह से बुरा प्रभाव डालता है।
साथियों बात अगर हम एक अध्ययन की करें तो सात राज्यों (असम, बिहार, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश,महाराष्ट्र और उड़ीसा) तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में किए गए अध्ययन से पता चला कि इन क्षेत्रों में गुटखा प्रतिबंध के लिए समर्थन बहुत अधिक (92पर्सेंट) है तथा इस बात पर लगभग सर्वव्यापी सहम ति (99पर्सेंट) है कि गुटखा प्रतिबंध भारत के युवाओं के स्वास्थ्य के लिए अच्छा है अभी बीती 8 नवंबर 2024 को कर्नाटक सरकार ने एक सर्कुलर जारी कर कहा गया, कर्मचारियों के हेल्थ के फायदे के लिए, साथ ही जनता और अन्य सरकारी कर्मचारियों को धूम्रपान से बचाने के लिए, किसी भी सरकारी कर्मचारी द्वारा सार्वजनिक कार्यालय और उसके परिसर में तंबाकू उत्पादों का उपयोग और धूम्र पान पूरी तरह से बैन है।
साथियों बात अगर हम तंबाकू सेवन से विभिन्न प्रकार की बीमारियां होने की करें तो, धूम्रपान और तम्बाकू का सेवन स्वास्थ्य पर कैसे प्रभाव डालता है?
तम्बाकू का सेवन और धूम्रपान हमारे स्वास्थ्य को कई तरह से प्रभावित करता है, यह निम्नलिखित घातक बीमारियों का कारण हो सक ता है पाचन तंत्रका कैंसर जैसे जीईआरडी अचलासिया कार्डिया (अग्न्याशय,पेट,मुंह यकृत मलाशय, बृहदान्त्र और ग्रासनली) न्यूरोवैस्कुलर ज टिलताएं और तंत्रिका संबंधी विकार के साथ-साथ अन्य न्यूरो संबंधी रोग जैसे स्ट्रोक, मस्तिष्क की छोटी वाहिका इस्केमिक बीमारी (एसवीआ ईडी) और संवहनी मनोभ्रंश दिल की बीमारी फेफड़े की बीमारी मधुमेह क्राॅनिक आॅब्स ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सी ओपीडी) तपेदिक कुछ नेत्र रोग तम्बाकू पर्यावरण को कैसे प्रभावित कर रहा है? विश्व भर में हर साल तम्बाकू उगा ने के लिए लगभग 35 लाख हेक्टेयर भूमि नष्ट कर दी जाती हैतम्बाकू की खेती से हर साल 2, लाख हेक्टेयर वनों की कटाई होती है और मिट्टी का क्षरण होता है। दुनि यां भर में हर साल लगभग 4.5 लाख करोड़ सिगरेट बट का उचित तरीके से निपटान नहीं किया जाताहर साल 80 करोड़ किलोग्राम जहरीला कचरा पैदा होता है और हवा पानी और मिट्टी में हजारों रसायन छोड़े जाते हैंतम्बाकू की खेती के लिए बड़ी मात्रा में पानी का उपयोग, ग्रह से पानी की कमी होती है। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका वि श्लेषण करें तो हम पाएंगे कि तंबाकू सेवन स्वास्थ्य के लिए खतरनाक-तंबाकू निषेध कानून का सख्त क्रियान्वयन समय की मांग। तंबाकू या धूम्रपान से दूरी हमारे जीवन की गुणवत्ता को सुधारने में मददगार सा बित हो सकती है। तंबाकू निषेध जन जाग रण के दिन अब लद गए, अब तंबाकू विक्रेता व सेवनकर्ता दोनों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्यवाही पर विचार करना समय की मांग।
तंबाकू निषेध जनजागरण के दिन अब लद गए, अब तंबाकू विक्रेता व सेवनकर्ता दोनों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्यवाही पर विचार करना समय की मांग
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