आओ हम अपनी लेखन शैली के जरिए ज्ञान का दीपक जलाकर मानव जीवन में छिपी बुराइयों, अच्छाइयों को उजगार करें

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एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया। वैश्विक स्तर पर नोबेल पुरस्कार दुनियाँ में अति प्रमुख पुरस्कारों में से एक है, जो भारत सहित दुनियाँ के हर देश के लोगों को आकर्षित करता है। खास करके उन 6 क्षेत्रों से जुड़े लोग अधिक आकर्षित होते हैं जिनकी महत्वाकांक्षा इन क्षेत्रों से जुड़ी होती है। हम गद्य पद्द सहित लेखन क्षेत्र से जुड़ी हर कला की भी बहुत अधिक महत्वा कांक्षा है कि हमारा नाम भी इस विश्व प्रसिद्ध प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार के लिए चयन हो, इसलिए हमें चाहिए कि अपने इस साहित्य क्षेत्र में इस प्रकार समर्पित रहें व ऐसी धार लगाएं कि नोबेल पुरस्कार 2025 को चलकर भारत आना पड़े। भारत में साहित्य को बहुत अधिक म हत्व दिया जाता है, उससे भी बढ़कर बात यह है कि भारतीय संविधान में दी गई 22 मान्यता प्राप्त भाषाओं जि नकी केंद्र व राज्यों में साहित्य अकादमी भी बनी हुई है जो प्रोत्साहन के लिए काबिले तारीफ है। परंतु आज कल के डिजिटल युग में सोशल मीडिया में अनेक वाट्सअप ग्रुप काम करते हैं जिनमें कई असंवैधानिक या केंद्र व राज्य सरकारों के दिशा निर्देशों का पालन नहीं करते,उसमें अगर साहित्यकार कोई पोस्ट करता है तो अज्ञानी खुदगर्ज व खुद को बहुत तुर्रम खान समझने वाले एडमिन जो किसी पंचायत के अध्यक्ष भी हैं, उन्हें रिमूव कर देते हैं लेकिन फिर साहित्य कार की कलम चलती है तो ऐसे लोगों की हेकड़ी निकल जाती है इसीलिए व्हाट्स एप ग्रुप एडमिन को चाहिए कि साहित्यकार पत्रकार के जज्बातों का संज्ञान ले।
आज हम इस विषय पर बात इसलिए कर रहे हैं क्यों कि बीती दिनांक 10 अक्टूबर 2024 को गहन कलात्मक गद्य के लिए लेखिका हान कांग को साहित्य नोबेल पुरस्का र 2024 से नवाजा गया है, जिसे अति शाबाश! इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे आओ साहित्य में ऐसी धार लगाएं कि नोबेल पुरस्कार 2024 को चलकर भारत आ ना पड़े। अपनी लेखन छैली के जरिए ज्ञान का दिया जला कर मानव जीवन में छिपी बु राइयों अच्छाइयों को उजगार करें।
साथियों बात अगर हम दक्षिण कोरिया की लेखिका व साहित्य नोबेल पुरस्कार 2024 पाने वाली हान कांग के बारे में जानने की करें तो, साहित्य में नोबेल पुरस्कार 20 24 के लिए दक्षिण कोरियाई लेखिका हान कांग के नाम का ऐलान हुआ है। नोबेल पुरस्कार के इतिहास में कांग 18वीं महिला हैं, जिन्हें यह पुरस्कार दिया जाएगा। राॅयल स्वीडिश एकेडमी आॅफ साइं सेज के अनुसार, 2024 का यह सम्मान दक्षिण कोरियाई लेखिका हान कांग को दिया जाएगा। कांग को उनके गहन काव्यात्मक गद्य के लिए इस सम्मान से नवाजा जाएगा। कांग का गद्य ऐतिहासिक आ घातों और मानव जीवन की नाजुकता को उजागर करता है। 2016 में हान कांग को मैन बुकर पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। यह पुरस्कार उनकी कृति दि वेजेटेरियन के लिए प्रदान किया गया था। कांग का उपन्यास एक महिला की मानसिक बीमारी और बीमारी के दौरान उसके मान-अपमान से संबंधित है। कांग का यह पहला उपन्यास था,जिसका अनुवाद अंग्रेजी में भी किया गया है। इसी उपन्यास ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने का काम किया था। कांग एशिया की पहली महिला लेखिका हैं, जिन्हें साहित्य के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार ने नवाजा गया है। हान कांग का जन्म 1970 में दक्षिण कोरिया के ग्वांगजू में हुआ था। उनके पिता हान मशहूर कोरियन उपन्यासका र हैं। उनका नाम हान सेउंग है। कांग ने 1993 में मुन्हाक ग्वा-साहो (साहित्य और स माज) के शीतकालीन अंक में विंटर इन सियोल सहित पांच कविताओं को प्रकाशि त करके एक कवि के रूप में अपनी साहित्यिक शुरुआ त की थी। 1995 में उन्होंने कहानियां लिखना शुरू कर दिया। नोबेल कमेटी ने हान कांग के एक उपन्यास ग्रीक लेसन की खासतौर पर चर्चा की। ये एक लड़की की कहानी है जो अपने जीवन के कष्टों की वजह से आवा ज खो चुकी होती है। उसकी मुलाकात एक ग्रीक पढ़ाने वाले टीचर से होती है जो अपनी आंखों की रोशनी खो रहा है। ये उपन्यास दो इंसानों के बीच संवाद में बाधाएं होने के बावजूद पनपे रिश्ते को खूबसूरती से बयां करती है। हान कांग की बहुत सारी कृ तियां हैं, जो अब तक प्रका शित हो चुकी हैं। इसमें एक लघु कहानी संग्रह, फ्रूट्स आॅफ माई वूमन (2000), फायर म मसैलामैंडर (2012) य ब्लैक डियर (1998), योर कोल्ड हैंड्स (2002), द वेजिटेरियन (2007) ब्रीथ फाइटिंग (2010), औरग्रीक लेसन्स (2011), ह्यूम न एक्ट्स (2014), द व्हाइट बुक (2016) आई डू नाॅट बिड फेयरवेल (2021) जैसे उप न्यास शामिल हैं। एक कविता संग्रह, आई पुट द इवनिंग इन द ड्रॉअर (2013) भी प्रकाशि त हुआ। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित हेन कांग का जन्म दक्षिण कोरिया के शहर ग्वां गजू में साल 1970 में हुए था, जब वह 9 साल की थीं तब अपने परिवार के साथ सियोल चली गईं,उनके पिता भी एक प्रतिष्ठित उपन्यासकार हैं, अपने लेखन के साथ-साथ, हान कांग ने खुद को कला और संगीत के लिए भी सम र्पित कर दिया। इस वर्ष के साहित्य के नोबेल पुरस्कार विजेता हान कांग ने 1993 में कोरियन पत्रिका साहित्य और समाज में कई कविताओं के प्रकाशन के साथ अपना करियर शुरू किया था. उनकी गद्य की शुरुआत 1995 में लघु कहानी संग्रह लव आॅफ येओसु (कोरियन भाषा) के साथ हुई इसके तुरंत बाद उपन्यास और लघु कथाएं दोनों आईं। हान कांग की अंतरराष्ट्रीय उपन्यास हान कांग की प्रमुख अंतरराष्ट्रीय उपन्यास में द वेजिटेरिय न का नाम शामिल है। यह किताब तीन भागों में लिखी गईं, जिसमें हिंसक परिणामों का जिक्र किया गया है, इस कहानी का हीरो मांस न खाने का फैसला लेता है और इसके बाद उसे अलग-अलग प्रति क्रियाओं का सामना करना पड़ता है। सबसे हालिया उप न्यास को मिले कई पुरस्कार उनके सबसे हालिया उपन्या स आई डू नाॅट बिड फेयरवेल को 2023 में फ्रांस में मेडि सिस पुरस्कार, 2024 में एमिल गुइमेट पुरस्कार से सम्मानित किया गया। समिति ने कहा कि हान कांग के काम की विशेषता दर्द के इस दोहरे प्रदर्शन से है,मानसिक और शारीरिक पीड़ा के बीच एक पत्राचार जो पूर्वी सोच से घनिष्ठ संबंध रखता है।
बता दें उनका उपन्यास ह्यूमन एक्ट्स 2018 में अंतर राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के लिए फाइनलिस्ट था। गौरतलब है कि साहित्य पुरस्कारों की लंबे समय से आलोचना की जाती रही है। यह यूरोपीय और उत्तरी अमेरिकी लेखकों की शैली पर बहुत अधिक केंद्रित है। इस पर पुरुष प्र धान होने के भी आरोप लगते रहे हैं। इसके 119 विजेता ओं में से अब तक कुल 17 महिलाएं हैं। जीतने वाली आखिरी महिला सन 2022 में फ्रांस की एनी एरनाॅक्स थीं। साथियों बात अगर हम साहित्य में नोबेल पुरस्कार मिलने के इतिहास की करें तो, 2023 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार नाॅर्वे के लेखक जाॅन फॉसे को दिया गया था। उन्हें उनके अभिनव नाटकों और गद्य के लिए इस सम्मान से नवाजा गया था, जो अनकही की आवाज बनते हैं। फाॅस ने अपने पहला उपन्यास रेड एंड ब्लैक में आत्महत्या जैसे संवेदनशील मुद्दे पर लिखा था।
फाॅस साहित्य का नोबेल पुरस्कार पाने वाले चैथे नाॅर्वे जियन लेखक थेब्योर्नस्टज र्न ब्योर्नसन को 1903 में, नट हैम्सन को 1920 में और सि ग्रिड अनडसेट को 1928 में यह पुरस्कार दिया गया था। साहित्य के क्षेत्र में अब तक 121 लोगों को नोबेल साहित्य के क्षेत्र में अब तक 121 लोगों को नोबेल मिला है। इसमें केवल 18 महिलाएं हैं। रबींद्र नाथ टैगोर अकेले भारतीय हैं, जो साहित्य के नोबेल से सम्मानित हुए हैं। उन्हें यह पुरस्कार 1913 में मिला था। 2022 में फ्रेंच लेखिका एनी अर्नो को मिला था सम्मान 2022 के लिए साहित्य का नोबेल पुरस्कार फ्रेंच लेखिका एनी अर्नो को दिया गया था। एनी का जन्म एक सितंबर 1940 को हुआ था।
वे एक फ्रांसीसी लेखक और साहित्य की प्रोफेसर हैं। उनका साहित्यिक कार्य ज्या दातर आत्मकथात्मक समाज शास्त्र पर आधारित होता है। नोबेल समिति ने कहा था कि अर्नो (82) को यह सम्मान साहस और लाक्षणिक तीक्ष्ण ता के साथ व्यक्तिगत स्मृति के अंतस, व्यवस्थाओं और सा मूहिक बाधाओं को उजागर करने वाली उनकी लेखनी के लिए दिया गया।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि शाबाश! गद्य लेखिका हान कांग-गहन का व्यात्मक गद्य के लिए साहित्य में नोबेल पुरस्कार 2024 स म्मान से नावाजा जाएगा। आओ साहित्य में ऐसी धार लगाएँ कि नोबेल पुरस्कार 2025 को चलकर भारत आना पड़े। आओ हम अपनी लेखन शैली के जरिए ज्ञान का दीपक जलाकर मानव जीवन में छिपी बुराइयों, अच्छाइयों को उजगार करें।

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