जिले में 17 लाख 95 हजार लोग खा चुके हैं फाइलेरिया रोधी दवा

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(राममिलन शर्मा) अमेठी। फाइलेरिया रोधी दवा स्वास्थ्य टीम के सामने ही खानी है। साथ ही यह भी ध्यान रखना है कि यह दवा किसी को भी खाली पेट न खिलाई जाए। यह दवा दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और गंभीर रूप से बीमार को छोड़कर सभी को खानी है। यह कहना है मुख्य चिकित्साधिकारी डा. अंशुमान सिंह का।
सीएमओ डा. अंशुमान ने गुरुवार को एक बैठक के बाद बताया कि फाइलेरिया उन्मूलन के लिए चलने वाला सर्वजन दवा सेवन अभियान की प्रगति काफी अच्छी है। पांच मार्च तक चलने वाले इस अभियान में 2216041 लोगों की लक्षित आबादी के सापेक्ष 1795443 लोगों यानि 81 प्रतिशत आबादी ने दवा का सेवन कर लिया है। अभि यान को सफल बनाने के लिए 3566 स्वास्थ्यकर्मी, 1783 टीम और 304 पर्यवेक्षक अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं। सीएमओ ने बताया कि फाइलेरिया संक्रमित शरीर में कुछ प्रभाव देखने को मिलते हैं।
जैसे सिरदर्द, मतली व चक्कर जैसी दिक्कत फाइले रिया रोकथाम दवाएं खाने के बाद के सकारात्मक संकेत हैं। यह संकेत बताते हैं कि दवा असरदार है और माइक्रो फाइलेरिया को नष्ट कर रही है। जैसे कि टीकाकरण में हम बुखार के लक्षणों को एंटीबाडी के आक्रमण होने के लक्षण के रूप मे देखते हैं। फाइलेरिया के मामले में भी ऐसा होता है। इन प्रभावों से घबराने की आवश्यकता नहीं है। बल्कि खुश होना चाहिए कि आप करीब 15 वर्ष बाद पता चलने वाली एक घातक बीमारी से मुक्त हो रहे हैं। यह प्रभाव सिर्फ कुछ देर में स्वतः समाप्त हो जाते हैं।
जिला मलेरिया अधिकारी शेषधर द्विवेदी ने बताया कि करीब 15 वर्ष बाद पता चलने वाली फाइलेरिया बीमारी व्यक्ति के साथ परिवार को भी दुर्बल बनाती है। यह बीमारी अगर परिवार के ऐसे व्यक्ति को हो जाए जिसकी आमदनी पर पूरा परिवार पल रहा है और आय का कोई अतिरिक्त स्रोत नहीं है तो धीरे-धीरे पूरा परिवार का दुर्बल हो जाना स्वाभाविक है। ध्यान नहीं देने पर यह बीमारी पहले और फिर चैथे चरण पहुंचकर पूर्ण रूप से विकलांग बना देती है। इस अवस्था में व्यक्ति को कई और बीमारियां होने लगती हैं। दुनिया में विकलां गता पैदा करने में फाइलेरिया बीमारी दूसरे नंबर पर है।

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