आईडीए अभियान को लेकर विभिन्न विद्यालयों में आयोजित हुए जागरुकता कार्यक्रम

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-फाइलेरिया प्लेटफार्म के सदस्य कर रहे फाइलेरियारोधी दवा खाने के लिए प्रेरित
-केंद्रीय विद्यालय ने फाइलेरिया को खत्म करने की ली शपथ
(राममिलन शर्मा)
अमेठी। ाष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत 10 से 28 फरवरी तक सर्वजन दवा सेवन (आईडीए) अभियान चलेगा जिसके तहत लोगों को फाइलेरियारोधी दवा आइवरमेक्टिन, डाईइथाइल कार्बामजीन और एल्बेन्डाजोल खिलाई जाएगी। इसी क्रम में स्वास्थ्य विभाग के तत्वाव धान में स्वयंसेवी संस्था सेंटर फार एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के सहयोग से बुधद्दवार को सात विद्यालयों में लगभग 1965 बच्चो के बीच जागरूकता कार्यक्रम आयोजित हुआ।
जिला मलेरिया अधिकारी शेषधर द्विवेदी ने बताया कि सीफॉर संस्था ने फाइलेरिया मरीजों का प्लेटफार्म बनाया है और यह मरीज अपने अपने क्षेत्रों में लोगों को फाइलेरिया रोधी दवा खाने के लिए प्रेरित कर रहे है। वह अपना खुद का उदाहरण देते हुए लोगों को जागरूक कर रहे हैं।
इस मौके पर फाइलेरिया मरीज हनुमान प्रसाद ने बताया कि वह पिछले 05 साल से फाइलेरिया से पीड़ित हैं और दैनिक जीवन में इस बीमारी की वजह से उन्हें कई समस् याओं का सामना करना पड़ रहा है। वह नहीं चाहते हैं कि उनकी तरह अन्य लोग भी इन समस्याओं का सामना करें। उन्होंने दवा न खाकर गलती की है लेकिन अब लोग ऐसा न करें और फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन जरूर करें।
इसी क्रम में जगदीशपुर स्थित केंद्रीय विद्यालय में स्वयंसेवी संस्था प्रोजेक्ट कंसर्न इंटेरनेश्नल (पीसीआई) के सहयोग से जागरूकता कार्यक्रम आयोजित हुआ जिसमें विद्यालय के सभी विद्यार्थियों और अध्यापकों ने इस अभियान में अपना सहयोग करने एवं फाइलेरिया से बचाव की दवा खाने की शपथ ली।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा0 अंशुमान सिंह ने जनपद वासियों से यह अपील करते हुए बताया कि आईडीए के तहत आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाएंगी। यह दवा पूरी तरह सुरक्षित और कार गर है। दो साल से छोटे बच्चों, गर्भवती और गंभीर रूप से बीमार को छोड़कर सभी को यह दवा जरूर खानी है। आशा आपके घर पहुंचें और उस वक्त आपकी मुलाकात न हो, तो बाद में उनसे सम्पर्क कर दवा जरूर खाएं। यह आपके और आपके परिवार के लिए बेहद जरूरी है। मच्छर के काटने से होने वाली फाइलेरिया लाइलाज और गंभीर बीमारी है। किसी को हो जाए तो जीवन भर ठीक नहीं होती है और व्यक्ति को दिव्यंग बना देती है। इस बात का विशेष ध्यान रखना है कि दवा खाली पेट नहीं खानी है। संक्रमण के बाद बीमारी का पता चलने में पांच से 15 साल लग सकते हैं, इसलिए कोई भी जोखिम न लें और न ही कोई बहाना करें, क्योंकि आज का यही बहाना आपको जीवनभर के लिए मुसीबत में डाल सकता है।
इसलिए दवाओं का सेवन कर समाज को फाइलेरिया मुक्त बनाएं। दवा खाने के बाद जी मिच लाना, चक्कर आना या उल्टी लगे, तो घबराने की जरूरत नहीं है। ऐसा शरीर में फाइ लेरिया के परजीवी होने के कारण हो सकता है, जो दवा खाने के बाद मरते हैं, जिससे इस तरह की प्रतिक्रिया हो सकती है, जो कुछ देर में स्वतः ठीक हो जाती है।
आईडीए अभियान के तहत लगातार तीन साल तक साल में एक बार फाइलेरियारोधी दवा का सेवन करने से इस बीमारी से बचा जा सकता है। जिसमें विद्यालय प्रधा नाचार्य एके गुप्ता व लगभग 250 विद्यार्थी मौजूद रही।

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