सबसे अधिक आबादी वाला देश होने के बावजूद प्रति व्यक्ति उत्सर्जन कम होना भारत की बड़ी उपलब्धि दर्शाता है

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एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया। वैश्विक स्तरपर दुनियां का हर देश जलवायु परिवर्तन के भीषण परिणाम से पीड़ित है, जिसका निदान करना और प्राकृतिक संसाधनों का दोहन रोकना, पर्यावरण की रक्षा करना हर देश ही नहीं बल्कि हर मानवीय जीव का कर्तव्य है। पिछले कई दिनों से हम देख रहे हैं ठंड का मौसम होने के बावजूद भारत के अनेक भागों में झमा झम बारिश हो रही है दक्षिण में तूफान कहर बरपा रहा है जो जलवायु परिवर्तन के दुष्ट परिणामों का ही असर है। पर्यावरण की रक्षा, जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपट ने के लिए ही वैश्विक 28वां काॅप वैश्विक शिखर सम्मेलन संयुक्त अरब अमीरात के दुबई में 30 नवंबर से 12 दिसंबर 2023 तक विचार विमर्श, मंथन कर सर्वसम्मति अनुमति से योजनाएं बनाकर वैश्विक स्तरपर क्रियान्वयन करने के लिए प्रस्ताव पारित किया जा एगा, जिसमें भारतीय पीएम भी शरीक हुए। चूंकि जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणाम से आज पूरी मानव जाति पीड़ि त है, परंतु दुनियां की सबसे अधिक आबादी वाला देश होने के बावजूद प्रति व्यक्ति उत्सर्जन कम होना भारत की उपलब्धि दर्शाता है, इसलिए हम मीडिया में उपलब्ध जा नकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, काॅप 28 शिखर सम्मेलन दुबई 2023 में भारत का शौर्य पूर्ण डंका बजा ! भारत जल वायु परिवर्तन प्रदर्शन सूच कांक की उच्च रैंकिंग सातवें स्थान पर आया।
साथियों बात अगर हम भारत के जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक की उच्च रैंकिंग सातवें नंबर पर आने की करें तो, सम्मेलन में जारी हुई रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सूची में सातवें स्थान पर है। भारत पिछली बार जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक में आठवें स्थान पर था। ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में कटौती होने के वजह से भारत को उच्च रैंकिंग मिली है। भारत दुनियां का सबसे अधिक आ बादी वाला देश है। दुबई में आयोजित वैश्विक जलवायु वार्ता के दौरान जलवायु परि वर्तन प्रदर्शन सूची जारी हुई। सूची में भारत ने एक पायदान की बढ़ोत्तरी की है। सूची के अनुसार, भारत जलवायु परि वर्तन को लेकर गंभीर है और अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। बता दें, वैश्विक जलवायु शि खर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए थे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती होने के वजह से भारत को उच्च रैंकिंग मिली है। भारत दुनियां का सबसे अ धिक आबादी वाला देश है। बावजूद इसके यहां प्रति व्यक्ति उत्सर्जन अपेक्षाकृत कम है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हमारे डाटा से साफ होता है कि प्रति व्यक्ति जीएचजी श्रेणी में भारत दो डिग्री सेल्सियस से नीचे के बेंचमार्क को छूने वाला है। यह आंकड़ा सका रात्मक रुझानों को दर्शाता है। हालांकि, इसकी गति बहुत धीमी है। जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक तैयार करने के लिए 63 देशों और यूरोपीय संघ के जलवायु शमन प्रयासों की निगरानी की गई, जो दुनियां भर में 90 प्रतिशत से अधिक ग्रीनहाउस गैस उत्स र्जन करते हैं। सूचकांक में भारत को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और ऊर्जा उपयोग श्रेणियों में उच्च रैंकिंग प्राप्त हुई है, लेकिन जलवायु नीति और नवीकरणीय ऊर्जा में पि छले वर्ष की तरह मध्यम रैंकिंग मिली है। सूचकांक में कहा गया है कि भारत, दुनियां का सबसे अधिक आबादी वा ला देश है, लेकिन यहां प्रति व्यक्ति उत्सर्जन अपेक्षाकृत कम है।
सूचकांक पर आधारित रिपोर्ट में कहा गया है कि हमारा डेटा दिखाता है कि प्रति व्यक्ति ग्रीनहाउस गैस श्रेणी में देश 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे के मानक को पूरा क रने की राह पर है। हालांकि भारत में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी में थोड़ा सका रात्मक रुझान दिखता है, लेकिन यह रुझान बहुत धी मी गति से आगे बढ़ रहा है।
साथियों बात अगर हम काॅप 28 शिखर सम्मेलन में जारी रिपोर्ट को विस्तृत रूप से जानने की करें तो, जल वायु परिवर्तन प्रदर्शन सूच कांक (सीसीपीआई) विशेष ज्ञों ने बताया कि भारत स्पष्ट दीर्घकालिक नीतियों के साथ अपने राष्ट्रीय स्तरपर निर्धारित योगदान (एनडीसी) को पूरा करने की कोशिश कर रहा है, जो नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने और नवीकरणीय ऊर्जा घटकों के घरेलू विनि र्माण के लिए वित्तीय सहाय ता प्रदान करने पर केंद्रित है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि इसके बावजूद भारत की बढ़ती ऊर्जा जरूरतें अभी भी तेल और गैस के साथ-साथ कोयले पर भारी निर्भरता से पूरी हो रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार यह निर्भरता ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन का एक प्रमुख स्रोत है और विशेष रूप से शहरों में गंभीर वायु प्रदूषण का कारण बनती है। भारत अब भी तेल-गैस और पेट्रोल पर हैं
हमारे, सीसीपीआई के विशेषज्ञों का कहना है कि भारत दीर्घ कालिक नीतियों के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान को पूरा करने की कोशिश कर रहा है, जो नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना है। हालांकि, भारत की जरूरतें अब भी तेल और गैस के साथ-साथ कोयले पर पूरी तरह से निर्भर करती है। तेल-गैस और कोय ला ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का प्रमुख स्रोत है। यह वायु प्रदूषण का भी अहम कारण है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में पेट्रोल-डीजल पर अपेक्षाकृत अधिक कर है। इस कर की कुछ विशेषज्ञ सराहना करते हैं, उनका क हना है कि इससे पेट्रोल- डीजल की खपत में कटौती हो सकती है। वहीं कुछ जान कार इसे राजस्व को बढ़ाने का तरीका बताते हैं। एक अधिकारी का कहना है कि जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूच कांक-2024 में भारत को इस पायदान से ऊपर देखने में खुशी होगी। भारत के साथ -साथ अन्य देशों ने भी जल वायु परिवर्तन से निपटने के लिए ठोस कार्रवाई की है।
साथिया बातें अगर हम काॅप 28 को जानने की करे तो, काॅप (सीओपी) का मतलब पार्टियों का सम्मेलन है। अभी तक इसकी कुल 27 बैठकें हो चुकीं हैं, बता दें कि पिछले काॅप 27 का आयोजन नवंबर 2022 में मिस्त्र के श्रम अल शेख में किया गया था। काॅप के तहत हर साल एक बैठक आयोजित की जाती है, जिस में दुनियां भर के राष्ट्राध्यक्ष ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने के लिए योजनाएं बनाते हैं इसके अंतर्गत संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश जलवायु परिवर्तन से निपटने में कारगर उपाय का आकलन करने और यूए नएफसीसीसी के दिशानिर्दे श के तहत जलवायु परिवर्तन कार्रवाई करते हैं। बैठक का औपचारिक नाम जलवायु परि वर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेम वर्क कन्वेंशन या संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के दलों का काॅन्फ्रेंस है। पहला काॅप 1995 में बर्लिन में आयो जित किया गया था। जल वायु कार्रवाई की गंभीरता को देखते हुए, वैश्विक उपभो ग पैटर्न को सही करने की आह्वान किया गया है। बता दें 2021 में ग्लासगो में आ योजित जलवायु वार्ता में भी हमारे पीएम ने शिरकत की थी, जहां उन्होंने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भारत की रणनीति तो उजा गर किया था। पीएम ने पर्या वरण के अनुकूल जीवन शै ली को अपनाने के लिए जोर दिया था। 30 नवंबर से 12 दिसंबर तक विश्व जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन में तमाम देशों के नेता और प्रमुख संस्थानों के अध्यक्ष शामिल हुए।
इस बैठक में जलवायु कार्रवाई को सुदृढ़ रूप से लागू करने के लिए उद्देश्य से कार्यों और योजनाओं पर चर्चा की गई है। इसमें जीवाश्म ईंधन के उपयोग मीथेन उत्सर्जन समेत विभिन्न मुद्दों पर गहन चर्चा शामिल थी। जलवायु परिवर्तन के संकट से निपटने के लिए अमीर देशों की तरफ से विकासशील देशों को मुआ वजे के तौर पर वित्तीय सहा यता दिए जाने के मुद्दे पर भी चर्चा को बल मिला है। इसमें जीवाश्म ईंधन के उपयोग, मीथेन उत्सर्जन, और ग्लोबल वार्मिंग उत्सर्जन को कम करने समेत विभिन्न मुद्दों पर गहन चर्चा की है। जलवायु परि वर्तन के संकट से निपटने के लिए अमीर देशों की तरफ से विकासशील देशों को मुआवजे के तौर पर वित्तीय सहायता दिए जाने के मुद्दे पर भी चर्चा है। और सभी देशों में उत्स र्जन कम करने पर आम सह मति बनी है जिसका क्रिया न्वयन तेजी से किया जाएगा।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि काॅप-28 शिखर सम्मेलन दुबई 2023 में भारत का शौर्यपूर्ण डंका बजा।
भारत फिर जलवायु परि वर्तन प्रदर्शन के सूचकांक की उच्च रैंकिंग 7 वें में स्थान पर आया। दुनियां का सब से अधिक आबादी वाला देश होने के बावजूद प्रति व्यक्ति उत्सर्जन कम होना भारत की बड़ी उपलब्धि दर्शाता है।

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