इजराइल-हमास युद्ध समाप्त करने अरब और यूरोपीयन देशों के नेताओं का शांति शिखर सम्मेलन बेनतीजा रहा

RAJNITIK BULLET
0 0
Read Time15 Minute, 35 Second

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
वैश्विक स्तरपर दुनियां के सभी देश किसी न किसी अंतरराष्ट्रीय मंच से जुड़े हुए हैं। प्रतिवर्ष कांक्लेव्ड, शिखर सम्मेलन इत्यादि का आयोजन करसहयोगी देशों की एकजु टता और कामन सोच पर बल देते हैं। सबसे बड़ी बात 200 से अधिक देशों का एक ही मंच संयुक्त राष्ट्र भी वर्किंग में है, उसके बाव जूद वर्तमान सामंजस्यता सहिष्णुता आपसी मिलन भाईचारे के संदेश के स्थान पर ताबड़तोड़ भयंकर भयानक युद्ध का दौर शुरू हो गया है, जिससे मानवता की सोच को क्षीण क्षीण किया जा रहा है, और तीसरे विश्व युद्ध की संभावनाओं को बल मिलते जा रहा है जिससे दुनियां तीन खेमों में बटकर अलर्ट है, जिसका ताजा उदाहरण हम पिछले 17 महीना से अधिक अवधि से शुरू रूस-यूक्रेन युद्ध और पिछले 17 दिनों से हमास- इजरायल युद्ध के रूप में देख रहे हैं। अरब्र-पश्चिमी देशों की गुटबंदी साफ नजर आ रही है, परंतु कोई भी अंतरराष्ट्रीय मंच किसी भी तरह से युद्ध शांति की पहल नहीं कर रहा है। बड़ी मुश्किल से आनंन-फानन में दिनांक 21 अक्टूबर 2023 को देर रात्रि मिस्र की राजधानी काहिरा में हमास-इजरायल युद्ध के बीच का रास्ता निकालने के लिए युद्ध शांति शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया था, परंतु दिनांक 22 अक्टूबर 2023 को मीडिया में सूचना आई कि यह शांति शिखर सम्मेलन बे नतीजा रहा। यानें असफल हो गया। इसीलिए ही अरब मुल्क और पश्चिमी देशों का कोई साझा या संयुक्त बयान जारी नहीं हुआ और युद्ध अपनें चरम सीमा पर पहुंच गया हैउधर बड़ी मुश्किल से मानवीय संकट को ध्यान में रखते हुए 21 अक्टूबर 2023 को राफा बार्डर खोला गया जिसके द्वारा अनेक ट्रैकों से राहत सामग्री फिलिस्तीन हमास जा रही है वहीं भारत ने भी एक विमान से स्वास्थ्य सामग्री दवाएं भेजी है। वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति ने राफा बार्डर खुलने की तारीफ की है। चूंकि काहिरा शिखर सम्मेलन बेनतीजा रहा है जो दुर्भाग्यपूर्ण है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्द्द जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, मानवीय संकटों को देखते हुए जल्दबाजी में बुलाए गए काहिरा शांति शिखर सम्मेलन बेनतीजा होना दुर्भाग्य पूर्ण है। मानवीय सहायता के लिए राफा बार्डर खोलना सराहनीय है।
साथियों बात अगर हम मिस्त्र की राजधानी काहिरा में शांति शिखर सम्मेलन बेनतीजा होने की करें तो, हमास और इजराइल जंग और गाजा में मानवीय संकटो को देखते हुए मिस्र ने एक शांति सम्मेलन का आयोजन किया था। इस सम्मेलन की मेजबानी मिस्र ने किया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस शांति सम्मेलन में 20 से ज्यादा मुल्कों के चीफ शामिल हुए लेकिन अरब और यूरोपीय देशोंके नेताओं की बैठक बेनतीजा रही। हमास के हमले के बाद गाजा में पिछले 17 दिनों से बमबारी को लेकर मिस्र और जार्डन ने इस्राइल की कड़े शब्दों में आलोचना की और उसकी कार्रवाई पर नाराजगी जताई। यूरोपीय देशों के नेताओं ने कहा कि नगारिकों को बचाया जाना चाहिए। जल्दबाजी में बुलाए गए काहिरा शिखर सम्मेलन में जार्डन, फ्रांस, जर्मनी, रूस, चीन, कतर और दक्षिणी अफ्रीका के प्रतिनिधि शामिल हुए। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। मेजबान मिस्र के राष्ट्रपति ने गाजा से 23 लाख फलस्ती नियों को सिनाई प्रायद्वीप में भेजे जाने को लेकर किसी भी तरह की वार्ता को खारिज किया। जार्डन के किंग ने इस्राइल की तरफ से गाजा की घेराबंदी और बमबारी को युद्ध अपराध बताया। अरब देशों के प्रतिनिधियों के भाषणों से साफ था कि इस्राइल के हमले को लेकर क्षेत्र में नाराजगी बढ़ रही है।
इजरायल और हमास के बीच 17 दिनों से जारी युद्ध के अब महायुद्ध में बदलने के कई संकेत दस्तक देने लगे हैं। युद्ध की चिंगारी में महा युद्ध की तैयारी वाली आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। काहिरा में आयोजित शांति सम्मेलन में हमास और इजराल जंग के साथ-साथ गाजा में मानवीय संकट पर चर्चा हुई, यह शांति सम्मेलन ऐसे वक्त में हो रहा है, जिस समय अंतराष्ट्रीय समुदाय की तरफ से मिस्र पर गाजा पट्टी से सटे रफाह क्रॉसिंग खोलने का दबाव बनाया जा रहा था। मिस्र ने सम्मेलन का मकसद शांति बहाल करना था। इस शांति सम्मेलन में मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी, फलस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास, जार्डन के राजा अब्दुल्ला और बहरीन के शाह हमद बिन ईसा अल खलीफा शामिल थे। इसके अलावा कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी, इराकी पीएम मोहम्मद शिया अल-सूडानी, इटली के प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज, ग्रीस के प्रधान मंत्री किरियाकोस मित्सोता किस, कुवैत क्राउन प्रिंस शेख मेशाल अल-अहमद अल- सबाह, साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडोलाइड्स, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा, फ्रांस की विदेश मंत्री कैथरीन कोलोना, जापान के विदेश मंत्री योको कामिकावा, विदेश मामलों के लिए ब्रिटिश राज्य सचिव जेम्स क्लेवरली, जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक और नार्वे के विदेश मंत्री एस्पेन बार्थ ईडे के शामिल होने की बात मीडिया में आई है। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटारेस, यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल, यूरोपीय संघ की विदेश नीति के प्रमुख जोसेप बोरेल, रूस के उप विदेश मंत्री मिखाइल बोगदानोव, मध्य पूर्व मुद्दों के लिए चीन के राजदूत झाई जून भी सम्मेलन में शामिल होने की खबरें मीडिया में आई है। इस सम्मेलन में ईरान इजराइल शामिल नहीं हुए। फिलिस्तीन के भविष्य पर चर्चा करने के लिए कई अरब और यूरोपीय राष्ट्राध्यक्षों और सरकार के साथ-साथ कई देशों के विदेश मंत्रियों ने भी शिरकत की. इस समिट का मुख्य उद्देश्य एकता को बढ़ावा देना और संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान निकालना था। 7 अक्टूबर को हमास के हमले के बाद इजराइल गाजा पर जमीनी हमले की तैयारी कर रहा है, इजराइल के जवाबी हमले में 4,100 से अधिक फिलिस्तीनियों की मौत हो गई और गाजा में मानवीय संकट बढ़ गया है। अरब देशों ने 23 लाख लोगों की आबादी वाले गाजा पर इजराइल की बमबारी और घेराबंदी पर नाराजगी जताई है। यूरोपीय देश एकताई कायम करने की कोशिशों में हैं हालांकि, यूरोपीय यूनियन ने हमास की कड़े शब्दों में आलोचना की है। मिस्र राफा क्रॉसिंग के माध्यम से गाजा को मानवीय मदद भेजने की कोशिश कर रहा है, जो एकमात्र एग्जिट पाइंट है जिसपर इजराइल की पहरेदारी नहीं है। हालांकि, इजराइल यहां लगातार बम बारी कर रहा है। मिस्र के राष्ट्रपति ने कहा कि सिनाई में फिलिस्तीनियों को विस्थापित करने की किसी भी कोशिश को लाखों मिस्र वासियों द्वारा खारिज किया जाता है और वे हर तरफ से मदद के लिए तैयार हैं। जार्डन के किंग ने इस्राइल की तरफ से गाजा की घेराबंदी और बम बारी को युद्ध अपराध बताया। अरब देशों के प्रतिनिधियों के भाषणों से साफ था कि इस्राइल के हमले को लेकर क्षेत्र में नाराजगी बढ़ रही है।
साथियों बात अगर हम अमेरिकी राष्ट्रपति के इजरा यल अमेरिका के संकट मोचक और दोस्त होने की करें तो, ओपन सीक्रेट्स डेटाबेस के अनुसार, सीनेट में अपने 36 वर्षों के दौरान, बाइडन इजरायल समर्थक समूहों से दान के इतिहास में चैंबर के सबसे बड़े प्राप्तकर्ता थे, जिन्होंने 4.2 मिलियन डालर लिए थे। उपराष्ट्रपति के रूप में, बाइडन ने अक्सर ओबामा और नेतन्याहू के बीच तनाव पूर्ण संबंधों में मध्यस्थता की। ओबामा के पहले कार्यकाल के दौरान मध्य पूर्व के सलाह कार डेनिस रॉस ने 2010 की यात्रा के दौरान एक राज नयिक अपमान के लिए नेत न्याहू के खिलाफ प्रतिशोध को रोकने के लिए बाइडन के हस्तक्षेप को याद किया। रास ने कहा, ओबामा, पूर्वी येरुशलम में यहूदियों के लिए आवास के एक बड़े विस्तार की इजरायल की घोषणा पर कड़ा रुख अपनाना चाहते थे, जो कि 1967 के युद्ध में शहर के ज्यादातर अरब हिस्से पर कब्जा कर लिया गया था। नेतन्याहू को दोस्त मानते हैं बाइडन वाशिंगटन इंस्टी ट्यूट फार नियर ईस्ट पालिसी में कार्यरत रास ने कहाजब भी इजरायल के साथ चीजें हाथ से बाहर जा रही थीं, तब बाइडन ही पुल थे।
इजरायल के प्रति उनकी प्रतिबद्धता बहुत मजबूत थी और यह वह प्रवृत्ति है जिसे हम अब देख रहे हैं।जबकि बाइडन और नेतन्याहू लंबे समय से दोस्त होने का दावा करते हैं, हाल के महीनों में उनके रिश्ते में खटास आ गई थी, क्योंकि व्हाइट हाउस ने इजरायल के सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों पर अंकुश लगाने की नेतन्याहू की योजना के खिलाफ इजरायली विरोध का समर्थन किया था।
साथियों बात अगर हम राफा बार्डर के मानवीय सहा यता के लिए खुलने की करें तो, इजरायल और हमास के दरमियान जारी जंग को 17 दिन हो गए हैं। इस जंग में अब तक साढ़े 5 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। फिलिस्तीनी सिक्योरिटी जराए के मुताबिक, मानवीय सहायता से भरे ट्रकों का पहला काफिला शनिवार को राफा क्रॉसिंग के जरिए गाजा में दाखिल हुआ, जो हमास- नियंत्रित क्षेत्र और मिस्र के बीच एकमात्र क्रॉसिंग सेंटर है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, यह साफ नहीं है कि क्रॉसिंग कब तक खुली रहेगी, लेकिन इजरायल अब तक गाजा में 20 ट्रकों को आने की इजाजत देने के लिए राजी हो गया है इज राइल हमास के बीच बढ़ते संघर्ष के बीच गाजा में मंडराते मानवीय संकट की वजह से मिस्र में कई दिनों से मानवीय सहायता पर रोक है। संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय (ओसीएचए) के मुताबिक, गाजा में खाना, पानी, ईंधन और मेडिकल से संबंधित सप्लाई तेजी से खत्म हो रही है, जबकि बिजली कटौती और ईंधन आयात पर पाबंदी की वजह से स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली और पानी भी लोगों को नसीब नहीं हो रहा है। इसमें कहा गया है कि गाजा में तकरीबन 1.4 मिलियन लोग विस्थापित हुए हैं, जो पूरी गाजा पट्टी की 2 मिलियन की आबादी का 60 फीसद से ज्यादा है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि इजराइल-हमास युद्ध – काहिरा शांति शिखर सम्मेलन बेनतीजा। इजराइल – हमास युद्ध समाप्त करने अरब और यूरोपीयन देशों के नेताओं का शांति शिखर सम्मेलन बेनतीजा रहा। मान वीय संकटों को देखते हुए जल्दबाजी में बुलाए गए काहिरा शांति शिखर सम्मेलन बेनतीजा होना दुर्भाग्यपूर्ण है।

Next Post

’महर्षि वाल्मीकी का जीवन दर्शन बुरे कार्यो को त्यागकर सच्चाई पर चलने की प्रेरणा है - इं. वीरेन्द्र यादव’

(राममिलन […]
👉