एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
वैश्विक स्तरपर हर क्षेत्र में चुनौतियों का दायरा बढ़ता जा रहा है क्योंकि इसकी वजह रूस यूक्रेन युद्ध की बढ़ती लंबी अवधि हमास- इजरायल युद्ध में अरब देशों और पश्चिमी देशों की बढ़ती खाई, बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग, बढ़ती वैश्विक गुटबंदी, बिगड़ी वैश्विक अर्थव्य वस्था, बढ़ती महंगाई इत्यादि अनेक चुनौतियां बढ़ती जा रही है। जहां एक और कोरोना महा मारी ने वैश्विक अर्थव्य वस्थाओं की कमर तोड़ी वहीं अब दूसरी ओर बढ़ते युद्ध के ट्रेड से तैलीय पदार्थ और आयात निर्यात में बाधा, बढ़ती महंगाई के डंक उन पीड़ित देश के नागरिक झेल रहे हैं, परंतु युद्ध पर नकेल कसकर शांति की नींव डालने कोई देश सामने नहीं आ रहा है, मिस्त्र की राजधानी काहिरा में परसों युद्ध शांति सम्मेलन भी बेनतीजा रहा। इधर भारत अमेरिका की बढ़ती गहरी साझेदारी से किसी न किसी रूप में बैठक शुरू है, जिससे दुनियां को उम्मीद जगी है कि भारत अमेरिका दोनों मिल कर ही वैश्विक समस्याओं का समाधान निकाल सकते हैं,क्योंकि अनेक क्षेत्रों में भारत अमेरिका रणनीतिक साझेदार हैं और अभी 22 अक्टूबर 2023 को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2023-24 की पहली छमाही में अमेरिका भारत का सबसे बड़ा भागीदार बनकर उभरा है तो वहीं 9 10 नवंबर 2023 को दोनों देशों के बीच टू प्लस टू मीटिंग होने की संभा वना जताई जा रही है, हालांकि अभी आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि की घोषणा नहीं हुई है। चूंकि भारत अमेरिका की नजदी कियां तेजी के साथ प्रगाड़य होते जा रही है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जान कारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, वैश्विक चुनौतियों के बावजूद अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बना रहेगा।
साथियों बात अगर हम चालू वित्त वर्ष 2023-24 कीपहली छमाही में अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार होने की करें तो, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और घटते निर्यात एवं आयात के बावजूद अमेरिका चालू वित्त वर्ष 2023-24 की पहली छमाही में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बनकर उभरा है। सरकारी आंकड़ों में यह बात सामने आई है। वाणिज्य मंत्रालय के शुरुआती आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल- सितंबर, 2023 में भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार 11.3 फीसदी घटकर 59.67 अरब डालर रह गया है। यह पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 67.28 अरब डॉलर था। अप्रैल-सितंबर, 2023 में अमेरिका को निर्यात घटकर 38.28 अरब डालर हो गया, जो इससे पिछले साल समान अवधि में 41.49 अरब डालर था। अमेरिका से आयात भी घटकर 21.39 अरब डालर रह गया, जो पिछले साल की समान अवद्दि में 25.79 अरब डालर थाएक्स पर्ट्स का मानना है कि वैश्विक मांग में कमजोरी के कारण भारत और अमेरिका के बीच निर्यात तथा आयात में गिरावट आ रही है, लेकिन व्यापार वृद्धि जल्द सकारात्मक हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि इसके बावजूद आने वाले वर्षों में अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने का रुझान जारी रहेगा, क्योंकि भारत और अमेरिका आर्थिक संबद्दों को और मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। इसी तरह, भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार भी 3.56 फीसदी घटकर 58.11 अरब डॉलर रह गया। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में चीन को निर्यात मामूली रूप से घटकर 7.74 अरब डालर रह गया, जो एक साल पहले समान अवधि में 7.84 अरब डॉलर था। चीन से आयात भी घटकर 50.47 अरब डालर पर आ गया, जो पिछले साल समान अवधि में 52.42 अरब डालर था। अमेरिका ने व्यापार में चीन को छोड़ा पीछे, पहली छमाही में बना भारत का पार्टनर नंबर-वन। भारतीय उद्योग परिसंघ की निर्यात व आयात (एक्जिम) पर राष्ट्रीय समिति के अध्यक्श ने पहले कहा था भार तीय निर्यातकों को अमेरिका द्वारा सामान्य तरजीह प्रणाली (जीएसपी) लाभ की बहाली के लिए शीघ्र समाधान समय की मांग है।
क्योंकि इससे द्विपक्षीय व्यापार को और बढ़ावा मिलने में मदद मिलेगी। मुंबई स्थित एक निर्यातक ने कहा कि रुझान के अनुसार वैश्विक चुनौतियों के बावजूद अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा व्या पारिक भागीदार बना रहेगा। लुधियाना के एक निर्यातक ने कहा कि आने वाले वर्षों में भारत और अमेरिका के बीच व्यापार लगातार बढ़ेगा।
सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि भारत और अमेरिका के बीच निर्यात और आयात की संख्या में गिरावट आई है। हालाँकि, इसी अवद्दि के दौरान भारत और चीन के बीच व्यापार में गिरावट आई। अंतिम डेटा से पता चलता है कि इस अवधि के दौरान अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
साथियों बात अगर हम भारत अमेरिका टू प्लस टू बैठक आयोजित होने की करें तो भारत और अमेरिका 9 -10 नवंबर के आसपास नई दिल्ली में 2़2 बैठक आयोजित करने वाले हैं। सरकारी सूत्रों ने समाचार एजेंसी को बताया कि अमेरिकी रक्षा सचिव और विदेश मंत्री, राष्ट्रीय राजद्दानी में विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री से मुलाकात करने वाले हैं। 2़2 मंत्रिस्तरीय संवाद एक राजनयिक शिखर सम्मेलन है जो 2018 में शुरू हुई थी। मीडिया सूत्रों ने बताया कि बैठक के दौरान नेताओं के इजरायल हमास युद्ध के कारण मध्य पूर्व में उभरती स्थिति सहित वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा करने की उम्मीद है। 22 मंत्रि स्तरीय संवाद एक राजनयिक शिखर सम्मेलन है, जो 2018 में शुरू हुई थी और हर साल शुरू में विदेश मंत्री और भारत के रक्षा मंत्री के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका के राज्य सचिव और रक्षा सचिव के बीच चर्चा के लिए आयोजित किया जाता है। सूत्रों ने कहा कि भारत और अमेरिका अपने रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करने के लिए ये वार्ताएं कर रही हैं और यह इन वार्ताओं का पांचवां संस्करण होगा। बैठक में यूरोप में चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध के साथ- साथ क्षेत्र पर इसके असर पर भी चर्चा होने की उम्मीद है।
सूत्रों के मुताबिक बैठक में भारतीय-अमेरिकी नेताओं के बीच इस्राइल-हमास युद्ध के कारण सामने आए हालातों पर चर्चा की जाएगी। इसके अलावा युद्ध के चलते पश्चिम एशिया में पैदा हुए हालातों के साथ-साथ वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर भी चर्चा की जाएगी।
साथियों बात अगर हम विशेषज्ञों द्वारा,भारत अमेरिका की दोस्ती 100 सालों से अद्दिक समय तक टिकी रहने के कयासों की करें तो, अमेरि कन फाइनेंसर और इन्वेस्टमेंट बैंकर ने भारत के सरकारी बान्ड्स को अपने बेंचमार्क इमर्जिंग-मार्केट इंडेक्स में शामिल किया है।
इससे भारत के लिए उद्दार लेने की लागत घटेगी और घरेलू डेट मार्केट में करीब 30 अरब डालर का निवेश आने की संभावना है। इस बीच कंपनी के चेयरमैन और चीफ का कहना है कि भारत और अमेरिका बेस्ट नेचुरल पार्टनर हैं और उनकी दोस्ती अगले 100 साल तक टिकी रहने वाली है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। ऐसे में अमेरिका और भारत के पास अपनी दोस्ती को अगले लेवल पर ले जाने का बेहतरीन मौका है।
उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि सप्लाई कारणों से कई कंपनियां चीन से हट रही हैं। यह भारत के लिए अच्छा मौका है। साथ ही भारत ने भी कई मोर्चों पर अच्छा काम किया है। इनमें आधार, जीएसटी सुधार और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च शामिल है। इसके साथ ही भारत एक लोकतांत्रिक देश है। यहां के लोग गजब के उद्यमी हैं और साथ ही यहां टेक्नोलाजी भी है। चीन के पास डेमो क्रेसी नहीं थी, इसलिए वहां तेज काम हुआ। लेकिन वहां की अपनी समस्याएं हैं। आज भारत जहां है, वहां चीन 15 -20 साल पहले था। उन्होंने शुरुआत करने में ही लंबा रास्ता तय करना पड़ा था। उन्होंने कहा कि अमेरिका की इकॉनमी अभी ठीक चल रही है और भारत दुनियां में सबसे तेजी से बढ़ रही इकानमी है। अमेरिका पर पहले ही बहुत कर्ज चढ़ चुका है। यूक्रेन युद्ध की वजह से महंगाई बेतहाशा बढ़ गई है। साथ ही अमेरिका और चीन के बीच भी तनाव बढ़ रहा है। यह भारत और अमेरिका के लिए बहुत बड़ा मौका है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि अमेरिका ने व्यापार में चीन को पीछे छोड़, पहली छमाही में बना भारत का पार्टनर नंबर-वन।चालू वित्त वर्ष 2023-24 की पहली छमाही में अमेरिका भारतका सबसे बड़ाभागीदार बनकर उभरादुनियां में हो रही वैश्विक उथल-पुथलकेबीच भारत अमेरिका 9-10 नवंबर 2023 को टू प्लस टू मीटिंग होने की संभावनावैश्विक चुनौतियों के बावजूद अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापा रिक भागीदार बना रहेगा।
दुनियां में हो रही वैश्विक उथल-पुथल के बीच भारत अमेरिका 9-10 नवंबर 2023 को टू प्लस टू मीटिंग होने की संभावना
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