भारत द्वारा आतंकवादियों के वित्तपोषण व संसाधनों के रास्ते बंद करने वाले अभियान पर अमेरिका सहित पूरी दुनियां चल पड़ी है
एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
वैश्विक स्तरपर जिस तरह सृष्टि में 84 लाख योनियों को जीवित रहकर उन्नति करने में खाद्य,वित्त, शिक्षा सहित अन्य संसाधनों के पोषण की जरूरत होती है वरना इसके बिना जीव मृत प्राय हो जाता है, ठीक उसी तरह आतंकवाद और उसके समर्थित नेटवर्कों को भी फलने फूलने और भयंकर कुरुप बनाने में वित्तपोषण और संसाधनों का महत्वपूर्ण रोल होता है जिसके बिना आतंकवाद की बुनियाद ही हिल जाएगी, जिससे उसकी मृत्यु अर्थात खात्मा होना निश्चित है।
इसीलिए ही दश कों से आतंकवाद से पीड़ित भारत द्वारा अब विभिन्न एजेंसियों के सहयोग से आतंकवादियों और समर्थकों के वित्तपोषण व संसाधनों के रास्तों को बंद करने का अभियान चला रहा है जो 24ध्7 शुरू है। दिनांक 1 अगस्त 2023 को भी देर शाम कश्मीर घाटी में एक बड़ी कार्यवाही करते हुए 4 जिलों में 7 स्थानों पर सर्च ऑपरेशन कर बड़ी कार्रवाई करते हुए एनजीओ कर्मचारियों डिजि टल उपकरण और दस्तावेजों बरामद कर टेरर फंडिंग का भंडाफोड़ किया है। उसी तरह 1 अगस्त 2023 को ही अमेरिका ने भी मालदीव में आईएसआईएस और अल कायदा आतंकी गुटों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के आरोप में 20 व्यक्तियों और 29 कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया है जो आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के लिए प्रोत्साहित योग्य है। हालांकि अब अंतरराष्ट्रीय स्तरफाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) बना हुआ है जो वित्तपोषण पर नजर रखता है, जिसमें सऊ दी अरब अब पहला खाड़ी देश मिलाकर 40 वें सदस्य के रूप में सदस्य बना है। वैसे भी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को वैश्विक स्तरपर बड़ी कामयाबी मिली हुई है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र ने भी 2019 में आतंक वाद के वित्तपोषण को बंद करने की सख्त कार्रवाई करने के कदम उठाए हैं, जो देश वित्तपोषण करते हैं उनके खिलाफ कार्रवाई करें जो भारतीय प्रस्ताव पारित कर लिया गया था। चूंकि 1 अगस्त 2023 को देर शाम अमेरिका द्वारा वित्त पोषण को रोकने एक बड़ी कार्रवाई की है इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, अंतरराष्ट्रीय स्तरपर आतंक वादी समर्थित नेटवर्ककों को वित्तपोषण और संसाधनों से वंचित करने की प्रतिबद्धता जरूरी है।
साथियों बात अगर हम अमेरिका द्वारा वित्तपोषण के खिलाफ बड़े कदम की करें की करें तो, मालदीव में आई.एस.आई.एस. और अल- कायदा आतंकी गुटों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के आरोप में 20 व्यक्तियों और 29 कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया है। विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि इन लोगों का उद्देश्य मालदीव के भीतर आतंकी गतिविधियों के लिए वित्तीय सहायता पर रोक लगाना है। अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता ने सोमवार को देर शाम कहा कि जिन लोगों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं उनमें कई तो पत्रकारों और स्थानीय अधिकारियों पर हमलों की योजना बनाने में शामिल थे। अमेरिका माल दीव में आतंकवादी हमलों के लिए वित्तीय और अन्य सहायता को रोकना और बा धित करना जारी रखेगा, अमेरिका के ट्रेजरी और राज्य विभागों ने मालदीव में 18 आईएसआईएस और आईएस आईएस-खुरासान (आईएस आईएस-के) के सूत्रधार और दो अल-कायदा के गुर्गों के साथ-साथ 29 संबद्ध कंपनि यों पर भी प्रतिबंध लगाया है। नए प्रतिबंधों में मालदीव स्थित एक गिरोह में भाग लेने वाले लोगों का भी नाम शामिल है जो आईएसआईएस की गतिविधियों को वित्तपोषित करने और संभावित सदस्यों को संघर्ष वाले क्षेत्रों में भेजने के लिए तैयार करने में मदद करता था।
अमेरिका आतंक वादी समर्थन नेटवर्कों का मुकाबला करने के लिए प्रति बद्ध, आतंकवाद और वित्तीय खुफिया विभाग के अवर सचिव ने कहा कि अमेरिका इन आतंकवादी समर्थन नेटवर्कों को वित्तपोषण और संसाधनों से वंचित करने और स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनके द्वारा उत्पन्न खतरों का मुकाबला करने के लिए प्रतिबद्ध है।
साथियों बात अगर हम 29 मार्च 2019 को आतंकवाद के लिए लड़ाई में भारत के प्रयासों को बल मिलने की करें तो, आतंकवाद के खिला फ लड़ाई में भारत के प्रयास रंग लाते नजर आ रहे है। संयुक्त राष्ट्र संध में आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका द्दारा लाये गये एक प्रस्ताव को स्वी कार कर लिया गया है जिसके बाद आतंवाद को वित्तीय समेत किसी भी प्रकार की मदद करने बाले भी अब कानून के घेरे में लाये जा सकेगें। आतंकवाद के खिला फ लड़ाई में भारत को वैश्विक स्तर पर बड़ी कामयाबी मिली है। संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा समिति में एक अमेरिकी प्रस्ताव को सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया है जिसमें सभी सदस्य देशों से आग्रह किया गया है था कि वे आतंकियों को मिलने वाली वित्तीय मदद के रास्ते बंद करने के लिये कदम उठाएं। साथ ही जो देश आतंकवादियों की आर्थि क मदद करते हुए पाए जाएंगे, उनके खिलाफ संयुक्त राष्ट्र की ओर से कार्रवाई भी की जा सकेगी।
भारत ने प्रस्ताव स्वीकार किए जाने का स्वागत करते हुए इसे आतंक वाद के वित्त पोषण के अपरा धीकरण के लिए प्रमाणिक ढांचा बनाने के वैश्विक प्रयास में ‘मील का पत्थर बताया। इस प्रस्ताव को स्वीकार किए जाने से पहले भारत ने पड़ोसी मुल्क का नाम लिए बिना उस पर निशाना साद्दते हए उसे लगातार अपराध करने वाला बताया।
आतंकवाद के वित्त पोषण को रोकने और उससे निपटने पर सुरक्षा परिषद की खुली चर्चा में भाग लेते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि आतंकवादियों का समर्थन करने वाले देश अपनी कार्रवाई और निष्क्रियता को उचित ठहराते हुए उन्हें, पनाह देते रहेंगे।भारत ने सुरक्षा परिषद से संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबं द्दित आतंकवादियों और संस्था ओं के खिलाफ अहम प्रतिबं धों को सख्ती से लागू करने का आह्वान भी किया। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आतंकवाद के खिलाफ सख्ती से कदम उठाने को भी कहा। गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र में जैश-ए -मोहम्मद के सरगना मौला ना मसूद अजहर को घेरने के लिए भारत लगातार दवाब बना रहा है। भारत की पहल पर ही अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस संयुक्त राष्ट्र में उसपर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव फिर से लेकर लाए हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में आतंकवाद के मसले पर पाकिस्तान पर दबाव बढ़ता जा रहा है। अमेरिका और बाकी देश भी पाकिस्तान पर लगातार दबाव बनाए हुए हैं।
साथियों बात अगर हम वित्तपोषण के खिलाफ बने एफएटीएफ की करें तो, फाइनें शियल एक्शन टास्क फोर्सफा इनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स का गठन जुलाई 1989 में पेरिस में हुए जी 7 समिट में किया गया था जिसका मुख्य उद्देश्य मनी लांड्रिंग से निपटने हेतु उपाय करना था । इस लिए इसे ग्लोबल फाइनेंशि यल वाचडाग भी कहते हैं। वर्तमान में इसका मुख्यालय पेरिस में है और इसमें कुल 39 सदस्य देश हैं। सऊदी अरब 39 वें सदस्य के रूप में पहला खाड़ी देश है जिसे पिछले वर्ष इस संगठन का सदस्य बनाया गया था। ग्रे लिस्टएफएटीएफ की ‘इन्क्री ज्ड माॅनिटरिंग लिस्ट‘ को ही ग्रे लिस्ट कहा जाता है। एफएटीएफ द्वारा ग्रे लिस्ट में उन देशों को शामिल किया जाता है जो कि अपने देश के फाइनेंसियल सिस्टम को टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए उपयोग होने देते हैं। इन्हें ग्रे लिस्ट में शामिल कर यह संकेत दिया जाता है कि इन गतिविधियों को ना रोकने पर वे ब्लैक लिस्ट हो सकते हैं।जब कोई देश ग्रे लिस्ट में शामिल कर लिया जाता है तो उसे निम्न समस्याओं का सामना करना पड़ता हैरूअंतर्राष्ट्रीय संस्थानों (विश्व बैंक, आईएमएफ, एशि याई विकास बैंक इत्यादि) और देशों के आर्थिक प्रतिबं धों का सामना करना पड़ता है। अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों और देशों से ऋण प्राप्त करने में समस्या आती है। इसके अंत र्राष्ट्रीय व्यापार में कमी आती है और अर्थव्यवस्था कमजोर होती है। पूर्णरूप से अंतर्राष्ट्रीय बहिष्कार कासामना करना पड़ सकता है। ब्लैक लिस्ट जो देश आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों का पूर्ण और प्रत्यक्ष रूप से समर्थन करते हैं उन्हें ब्लैक लिस्ट में सूचीबद्ध किया जाता है। अर्थात इन देशों में मौजूद फाइनेंसियल सिस्टम की मद द से आतंकी गतिविधियों के लिए फंडिंग और मनी लान्ड्रिंग को बढ़ावा मिलता है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि अमेरिका द्वारा आतं कवाद के वित्तपोषण को रोकने बड़ा कदम। अंतर राष्ट्रीय स्तरपर आतंकवादी समर्थित नेटवर्ककों को वित्त पोषण और संसाधनों से वंचित करने की प्रतिबद्धता जरूरी है। भारत द्वारा आतंकवादियों के वित्तपोषण व संसाधनों के रास्ते बंद करने वाले अभियान पर अमेरिका सहित पूरी दुनियां चल पड़ी है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवादी समर्थित नेटवर्ककों को वित्तपोषण और संसाधनों से वंचित करने की प्रतिबद्धता जरूरी
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