मणिपुर पर संसद से सड़क तक संग्राम शाब्दिक लड़ाई – बात काले कपड़ों और लाल डायरी तक आई

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मानसून सत्रा 2023 भी हंगामे की भेंट चढ़ने के आसार -ए बाबू ! जनता जनार्दन लाइव टेलीकास्ट में जीवंत लोकतंत्रा में निष्क्रिय आचरण देख रही है
एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
वैश्विक स्तरपर दुनियां के सबसे बड़े लोकतंत्र और सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश के मानसून सत्र 2023 पर दुनियां की नजरें लगी हुई है। एक तरफ दुनियां में अपनी उपलब्धियों के झंडे गाड़कर अपनी प्रतिष्ठा रुतबे औरताकत को सिद्ध कर दिया है तो दूसरी तरफ अपने एक भीषण घरेलू मामले पर संसद के मानसून सत्र 2023 जो 20 जुलाई से 11 अगस्त 2023 तक 23 दिन 17 बैठकों में 31 दिल पर चर्चा से संदर्भित है, हंगामे की भेंट चढ़ता हुआ दिखाई पड़ रहा है ? क्योंकि बीते 8 दिनों से सांसद चल नहीं पाई है। उधर अनेक बिल बिना चर्चा के केवल ध्वनिमत से पारित किए जा रहे हैं जो लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं मांनां जा सकता है, जिसकी वजह विपक्ष आई.एन.डी.आई.ए की 26 पार्टियों का मणिपुर मामले पर माननीय पीएम के संसद में बयान पर वकआउट करना है जिसका सियासी पेंच फंस गया है, जनता जनार्दन लाइव टेलीकास्ट डिबेट सुन और समझ रही है। विपक्ष की मांग भी उचित हो सकती है कि पीएम आकर बयान दे जिसमें कोई हर्ज नहीं है, वैसे भी दिनांक 27 जुलाई 2023 कोराजस्थान में लाल डायरी सहित अनेक मुद्दों पर बयान दे चुके हैं संसद शुरू होने से पहले बाहर बड़ी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बयान भी दिए हैं, तो संसद में बयान क्यों नहीं, यह बात विपक्ष के नेता ने आज बुधवार को कही, वही पक्ष का कहना है कि जब गृहमंत्री इस मुद्दे पर बयान देने को तैयार है तो फिर चर्चा क्यों नहीं अब जनता जनार्दन को दोनों की बात उचित लग रही है परंतु कोई पक्ष झुकने के लिए तैयार नहीं विपक्ष नें 27 जुलाई 2023 को विदेशमंत्री के महत्वपूर्ण बयान पर हंगामा किए तो विपक्ष के नेता के बयान पर पक्ष द्वारा भी हंगामा किया गया। 26 पार्टियों का विपक्ष की संसद में बुधवार को सभी काले कपड़ों में उपस्थिति दर्ज कराई तो पीएम द्वारा राजस्थान में लाल डायरी संबंधी बड़ा बयान याने पक्ष विपक्ष का बयान अपने राह पर तान, जनता हलकान वाली बात रही है। चूंकि कि इस सियासी लड़ाई में काली ड्रेस छाई लाल डेहरी आई है, तो हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, मणिपुर पर संसद से सड़क तक संग्राम और लड़ाई बात काले कपड़ों और लाल डेहरी पर आई, जिसमें संसद का मानसून सत्र 2023 भी हंगामे की भेंट चढ़ने के आसार हैं ? ए बाबू जनता जनार्दन लाइव टेलीकास्ट में जीवंत लोकतंत्र में निष्क्रिय आचरण देख रही है!
साथियों बात अगर हम संसद में विपक्ष काले कपड़ेपहनकर अपना विरोध प्रदर्शन की करें तो यह संवैधानिक अधिकार है, परंतु सत्ताधारी पक्ष और सांसदों के द्वारा तंटिंग करने की करें तो, मणिपुर पर संसद से सड़क तक जबरदस्त तरीके से सियासी संग्राम छिड़ा हुआ है। विपक्षी दल केंद्र की सरकार पर हमलावर है। संसद के दोनों सदनों में इस मुद्दे को लेकर विपक्षी दल सरकार से चर्चा की मांग कर रहे हैं। विपक्षी दल पीएम के बयान की भी मांग कर रहे हैं।
इसी कड़ी में केंद्र सरकार के खिलाफ विपक्ष की ओर से अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है। वहीं,आज विपक्षी दलोंके नेता संसद में काले कपड़े पहनकर पहुंचे थे। उनकी ओर से सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जा रहा था इसको लेकर पक्ष ने जबरदस्त तरीके से पलटवार किया है। विपक्षी दलों के सदस्यों पर तीखा प्रहार करते हुए सदन के नेता ने आरोपलगाया कि उनके द्वारा विदेश नीति जैसे गंभीर विषय पर राजनीति करना दुर्भाग्यपूर्ण है तथा उनका विगत और वर्तमान ही नहीं भविष्य भी काला है। उन्होंने एक लिखा हुआ पर्चा पढ़ते हुए कहा, जिनके मन में काला है, जिनके तन पर भी आज काला है, क्या छिपा है इनके दिल में, क्या इनके दिल में भी काला है, क्या शब्दों के बोल में काला है। क्या कारनामे हैं इनके, जो दिखाना नहीं चाहते और छिपाना चाहते हैं, वैसे तो आजकल काले कौवे भी इन पर आकर्षित होने लगे हैं। हरियाणा के मंत्री ने तो यह तक कह दिया कि मातम में ही काले कपड़े पहने जाते हैं। ऐसा लग रहा है कि नई पार्टी का कोई स्वर्ग सिधार गया होगा। उनका नई पार्टी से संदर्भ आई.एन.डी.आई.ए गठबंधन से था जो विपक्षी दलों की एकता का मंच है। उन्होंने अपने बयान में कहा कि काले कपड़े तो मातम में ही पहने जाते हैं। यह जो नई पार्टी बनी है उसके जन्म के साथ ही कोई स्वर्ग सिधार गया होगा इसलिए ये काले कपड़े पहनकर आए हैं। सरकार के लिए सभी धर्मों के लोग एक समान है, इसके लिए कानून बनाने की आवश्यकता है। कुछ लोग तो पैदा ही विरोध करने के लिए हुए हैं। इसमें किसी को क्या ऐतराज है कि सरकार सबको समान नजर से देखे? विपक्षी नेता का पीएम पर वार, कि एक ओर जहां संसद में मणिपुर को लेकर विपक्षी दल पीएम के बयान की मांग कर रहे हैं। वहीं, पीएम आज राजस्थान दौके पर हैं जहां से उन्होंने इंडिया को लेकर कड़ा प्रहार किया है। इसी पर विपक्ष अध्यक्ष ने पलटवार किया है, कहा कि सदन चल रहा है, हम मांग कर रहे हैं कि पीएम वहां आएं और बयान दें लेकिन वे राजस्थान में राजनीतिक भाषण दे रहे हैं और चुनाव की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब वे वहां जा सकते हैं तो क्या आधे घंटे के लिए सदन में आकर बयान नहीं दे सकते? इसका मतलब है कि लोकतंत्र में उनकी कोई रुचि नहीं है, कोई विश्वास नहीं है। वे लोकतंत्र और संविधान की रक्षा नहीं करना चाहते, वे संसद का अपमान कर रहे हैं।
साथियों बात अगर हम संसद में अविश्वास प्रस्ताव की करें तो, सत्ताधारी पक्ष के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने के एक दिन बादउन्होंने मणिपुर पर चर्चा की अनुमति नहीं देने और उनके अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा शुरू नहीं करने के लिए ट्रेजरी बेंच के विरोध में काला कपड़ा पहनने का फैसला किया।प्रस्ताव को सदन के कम से कम 50 सदस्यों का समर्थन होना चाहिए।
जबकि लोकसभा की कुल सदस्य संख्या 543 है, प्रभावी सीटें 537 हैं और खाली सीटें केवल 6 हैं। अविश्वास प्रस्ताव को लेकर भी सरकार बेफिक्र है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अविश्वास प्रस्ताव का भविष्य पहले से तय है।संख्याबल के आधार पर भाजपा मजबूत है। लोक सभा में विपक्ष के 150 से भी कम सांसद हैं। 272 बहुमत का आंकड़ा होता है। भाजपा अपने दम पर 303 है। जबकि भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन के पास 331 सदस्य हैं।
साथियों बात अगर हम दिनांक 27 जुलाई 2023 को लाल डायरी पर पक्ष-विपक्ष के बयान की करें तो पीएम द्वारा एक जनसभा में अपने संबोधन में लाल लहरी की चर्चा उठाई तो इस मुद्दे पर विश्व का ध्यान आकर्षित होना ही था, उन्होंने राज्य सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा, कहते हैं इस लाल डायरी में सरकार के काले कारनामे दर्ज हैं। लोग कह रहे हैं कि लाल डायरी के पन्ने खुले तो अच्छे-अच्छे निपट जाएंगे। उन्होंने आगे कहा कि उनके बड़े से बड़े नेताओं की इस लाल डायरी का नाम सुनते ही बोलती बंद हो रही है। पीएम इतने पर ही नहीं रुके, उन्होंने कहा कि ये लोग भले ही मुंह पर ताला लगा लें, लेकिन ये लाल डायरी इस चुनाव में पार्टी का डिब्बा गोल करने जा रही है।
साथियों बात अगर हम लाल डायरी के रहस्य की करें तो, पिछले शुक्रवार को राजस्थान सरकार के मंत्री ने विधानसभा में अपनी ही सरकार को घेरना शुरू कर दिया था। राजस्थान में न्यूनतम आय गारंटी विधेयक 2023 पर चर्चा हो रही थी। इस बीच, पार्टी के विधायकों ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए मणिपुर हिंसा की तख्तियां लहराने लगे। मंत्री भी सदन में मौजूद थे। इस दौरान उन्होंने अपनी ही सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा, सच्चाई ये है कि हम महिलाओं की सुरक्षा में असफल हो गए और राजस्थान में जिस तरह से महिलाओं पर अत्याचार बढ़े हैं, ऐसे में हमें मणिपुर की बजाय अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। उनके तीखे हमलों से राज्य पार्टी की सरकार असहज हो गई। आनन-फानन में सीएम ने मंत्री को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया। मंत्री पद से हटाए जाने के बाद मंत्री रोते हुए मीडिया के सामने आए। उन्होंने कहा कि मुझे सच बोलने की सजा मिली है। महिलाओं के खिलाफ अपराध में राज्य नंबर वन है। मैंने क्या गलत कहा? जनता मेरे साथ रहेगी और मैं उनके लिए काम करता रहूंगा। चाहे वह मुझे कैबिनेट से हटाएं या जेल भेज दें। मैं जब तक जिंदा रहूंगा, बोलता रहूंगा। इसके बाद सोमवार को जब फिर विधानसभा में पहुंचे तो जमकर हंगामा हुआ। पहले उन्हें विधानसभा में घुसने नहीं दिया गया, बाद में किसी तरह अंदर पहुंचे तो स्पीकर के सामने उन्होंने लाल रंग की एक डायरी लहराना शुरू कर दी। इसके बाद स्पीकर सीपी जोशी ने मार्शलों को बुलाकर उन्हें बाहर करवा दिया।उन्होंने दावा किया कि इस डायरी में पार्टी के नेताओं के काले कारनामे की पूरी जानकारी है?। केंद्रीय मंत्री ने सत्ता धारी पार्टी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मैं राज्य के सीएम से पूछना चाहता हूं कि यह लाल डायरीश् क्या है? इसे लेकर सरकार में बेचैनी क्यों है? पार्टी का पलटवार, सीएम ने भी पीएम पर निशाना साद्दा। उन्होंने कहा, पीएम को लाल डायरी की बजाय लाल टमाटर और लाल सिलेंडर पर बात करनी चाहिए। लाल डायरी जैसा कुछ भी नहीं है। आने वाले समय में उनको लाल डायरी दिखा दी जाएगी।
अतः अगर हम उपरोक्त विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि सियासी संग्राम – काली ड्रेस छाई लाल डायरी आई।मणिपुर पर संसद से सड़क तक संग्राम शाब्दिक लड़ाई – बात काले कपड़ों और लाल डायरी तक आई। संसद का मानसून सत्र 2023 भी हंगामे की भेंट चढ़ने के आसार ?- ए बाबू! जनता जना र्दन लाइव टेली कास्ट में जीवंत लोकतंत्र में निष्क्रिय आचरण देख रही है।

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