सुप्रीम कोर्ट के आदेश कि प्रमाणिक जमाकर्ताओं के वैद्य बकाया के भुगतान पर रिफंड की प्रक्रिया शुरू हुई

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एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
वैश्विक स्तरपर आज भारत भले ही डिजिटल, रुतबे साख और वैश्विक मंचों परदबदबा रखने वाला देश बन गया है, परंतु हम अपने बड़े बुजुर्गों सेजानकारी लेंगे तो हम दशकों पूर्व और कुछ अभी किए गए घोटालों घपलों के बारे में विस्तार से जानकारी मिलेगी। मेरे बचपन में बोफोर्स घोटाले के बारे में बहुत सुना था परंतु अभी आज उसकाक्या हुआ? पता नहीं वैसे भी हम पूर्व के कुछ घोटालों घपलों जैसे जीप खरीदी (1948) साइकल आयात (1952) मुद्रा में (1958) तेजा रन (1960) पटनायक मामला (1961) कुओ ऑयल डील (1976) अंतुले ट्रस्ट (1981) एचडी डब्ल्यू दलाली (1987) बोफोर्स (1987) इंडिया बैंक (1992) चारा (1996) सिक्योरिटी स्कैम हर्षद मेहता (1992) मनी लांड्रिंग मधु कोड़ा (2009) तेलगी घोटाला (2006) कोयला घोटाला (2012) वक्फ बोर्ड जमीन घोटाला (2012) सहारा हाउसिंग बैंक घोटाला (2010) तहलका, स्टाक मार्केट, सत्यम मनी लांड्रिंग, एअरबस, दूरसंचार,रूयूरिया, पीएनपी, 2ळ स्पेक्ट्रम, कामन वेल्थ खेल, चावल निर्यात, झारखंड चिकित्सालय, उड़ीसा खदान, मधु कोड़ा खदान, ताज कॉरिडोर सहित करीब 200 घोटालों के नाम हमने पिछले दशकों में जरूर सुने होंगे परंतु उनका क्या हुआ पता नहीं है। इस आलेख के रिसर्च में मैंने पाया कि करीब 200 छोटे बड़े घोटाले हुए इस पर मेरा मानना है कि इतने लाख करोड़ के उपरोक्त घोटाले बिना किसी शह-मात के होना असंभव है, जिसकी शुरुआत उस कंपनी, सह कारी समिति संस्था बैंक का जन्म यानी रजिस्ट्रेशन से शुरू होता है और इनकी अनियमित ताओं को संबंधित अधिकारियों द्वारा अनदेखा कर नजरें हटाई जाती है, जिससे यह बीज अंकुरित होकर बड़े वटवृक्ष की तरह मजबूत हो जाता है, फिर सरकारों के बदलने से उनकी जड़ों तक पहुंचना शुरू हो जाता है जिसका वर्तमान उदाहरण रेल नौकरी भूमि घोटाला हम देख रहे हैं। चूंकि आज 18 जुलाई 2023 को माननीय केंद्रीय गृहमंत्री द्वारा माननीय सुप्रीम कोर्ट के सहारा केस में आदेश कि प्रमाणिक जमाकर्ताओं के वैध बकाए के भुगतान पर रिफंड प्रक्रिया की घोषणा की है जो स्वागत योग्य, सराह नीय उपलब्धि है। इसलिए आज हम पीआईबी में उपलब्द्द जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, घपलों घोटालों में फंसा पैसा निवेशकों को वापस मिलना शुरू होना सराहनीय है। परंतु इन समितियों, संस्थाओं के संदेहपस्थ जन्म और अनियमितताओं पर लगाम लगाना अति जरूरी है ताकि यह नौबत ही ना आए।
साथियों बात अगर हम दिनांक 17 जुलाई 2023 को माननीय केंद्रीयमंत्री द्वारा एक कार्यक्रम में संबोधन की करें तो उन्होंने कहा कि आज एक बहुत बड़ी शुरुआत हुई है कि देश में पहली बार पीएम के नेतृत्व में पारदर्शिता के साथ निवेशकों का घोटाले में फंसा पैसा वापस मिलना शुरू हो रहा है, ये एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। आज करोड़ों लोगों को अपने पसीने की गाढ़ी कमाई के पैसे वापस मिलने की शुरूआत हो रही है, लगभग 1.78 करोड़ ऐसे छोटे निवेशकों, जिनका 30 हजार रूपए तक का पैसा फंसा है, को अपना पैसा वापस मिलेगा, ये एक बहुत बड़ी उपलब्धि है कि आज लॉंच हुए पोर्टल के माध्यम से पहले निवेशकों को, जिनकी जमा राशि 10, हजार रूपए या इससे अधिक है उसमें से 10, हजार रूपए तक की राशि का, भुगतान किया जाएगा। इस पोर्टल पर आवेदन करने के लिए चारों समितियों का पूरा डेटा आन लाइन उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में ऐसे सभी प्रावधान किए गए हैं जिससे कहीं भी किसी प्रकार की गड़बड़ी और किसी भी प्रामाणिक निवेशक के साथ अन्याय की गुंजाइश ना हो। भुगतान की पूरी प्रक्रिया डिजिटल और पेपरलैस है और दावे प्रस्तुत करने के लिए बनाया गया पोर्टल यूजर फ्रेंडली, कुशल औरपारदर्शी है। केवल प्रामाणिक जमा कर्ताओं की वैध राशि लौटाने को सुनिश्चित करने के लिए पोर्टल में जरूरी प्रावधान किए गए हैं। पोर्टल को सहकारिता मंत्रालय की वेबसाइट के माध्यम से एक्सेस किया जा सकता है। इन समितियों के प्रामाणिक जमाकर्ताओं को पोर्टल पर उपलब्ध ऑनलाइन आवेदन पत्र को जरूरी दस्तावेजों के साथ अपलोड कर अपने दावे प्रस्तुत करने होंगे। उनकी पहचान सुनि श्चित करने के लिए जमा कर्ताओं का आधार कार्ड के जरिए सत्यापन किया जाएगा। उनके दावों और अपलोड किए गए दस्तावेजों के सत्यापन के लिए नियुक्त सोसायटी, ऑडिटर्स, और ओएसडी द्वारा सत्यापन के बाद उपलब्धता के अनुसार धनराशि, जमाकर्ताओं द्वारा ऑनलाइन दावे पेश करने के 45 दिनों के अंदर सीधे उनके आधार से जुड़े बैंक खाते में ट्रांस्फर कर दी जाएगी और उन्हें एसएमएसध्पोर्टल के माध्यम से इसकी सूचना दे दी जाएगी। समितियों के प्रामा णिक जमाकर्ताओंको ये सुनि श्चित करना होगा कि उनके पास आधार-लिंक्ड मोबाइल नंबर और बैंक खाता है।
साथियों बात अगर हम इस घोटाले के पैसे वापस करने की सोच की करें तो, केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि कई बार घपले- घोटाले के आरोप लगते हैं और जो लोग इनमें निवेश करते हैं, उनकी पूंजी फंस जाती है, जैसे सहारा का उदाहरण सबके सामने है, कि कई सालों तक सुप्रीम कोर्ट में केस चला, ऐजेंसियों ने इनकी संपत्तियां और खाते सील कर दिए, और, ऐसा होने पर कोऑपरेटिव सोसाय टीज की विश्वसनीयता समाप्त हो जाती है। पीएम ने अलग सहकारिता मंत्रालय का गठन किया और उसके बाद इस मामले में पहल करते हुए सभी स्टेकहोल्डर्स को बिठाकर बात की गई। उन्होंने कहा कि इस बात पर विचार किया गया कि क्या कोई ऐसी व्यवस्था बनाई जा सकती है जिसमें सभी लोग अपने दावों से ऊपर उठकर छोटे निवेशकों के बारे में सोचें। सभी ऐजेंसियों ने मिलकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और उच्चतम न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसला दिया कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में समिति का गठन कर उनके निर्देशन में पारदर्शी तरीके से भुगतान की प्रक्रिया शुरू हो। उन्होंने कहा कि ट्रायल बेसिस पर पारदर्शी तरीके से आज निवेशकों को 5, हजार करोड़ रूपए की राशि लौटाने की शुरूआत हो रही है।जब 5, हजार करोड़ रूपए का भुगतान हो जाएगा तब बाकी बचे निवेशकों की राशि लौटाने के लिए एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाएगी।
साथियों बात अगर हम इस रिफंड मामले के न्यायिक पहलू को देखे तो, माननीय उच्चतम न्यायालय ने 29 मार्च, 2023 के अपने आदेश में निर्देश दिया था कि सहारा समूह की सहकारी समितियों के प्रामाणिक जमाकर्ताओं के वैध बकाए के भुगतान के लिए सहारा-सेबी रिफंड खाते से 5 हजार करोड़ रुपये सहकारी समितियों के केन्द्रीय रजिस्ट्रार (सीआरसीएस) को हस्तांतरित किए जाएं।
भुगतान की पूरी प्रक्रिया की निगरानी और इसका पर्य वेक्षण माननीयसर्वोच्च न्याया लय के निर्देशानुसार माननीय सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति कर रहे हैं जिसमें उनकी सहायता के लिए वकील को नियुक्त किया गया है। इन चारों समितियों से संबंधित रिफंड प्रक्रिया में सहायता के लिए चार वरिष्ठ अधिकारियों को आफिसर आन स्पेशल ड्यूटी के रूप में नियुक्त किया गया है। साथियों बात अगर हम इस रिफंड की प्रक्रिया और अवधि की करें तो (1) सहारा के डिपाजिटर्स को वापस पाने के लिए माय गव इस वेबसाइट पर क्लिक करे। (2) सबसे पहले निवेशकों को सहारा रिफंड पोर्टल पर रिजस्ट्रेशन करना होगा (3) सहारा में पैसा जमा करने का दावा करने वालों डिपॉजिटर्स की सही पहचान सुनिश्चित करने के लिए आईएफसीआई की एक सहायक कंपनी ने पोर्टल विकसित किया है।(4)सहारा रिफंड पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन और रिफंड वापस पाने के लिए निवेशक के पास मोबा इल फोन नंबर और आधार होना जरुरी है। इस रिफंड पोर्टल के जरिए उन निवेशकों के रकम वापस मिलेगी, जिनके निवेश की मैच्योरिटी पूरी हो चुकी है।इस पोर्टल पर निवेशक अपना नाम दर्ज कराएंगे वेरिफिकेशन के बाद उनके रकम वापसी की प्रक्रिया शुरू होगी। निवेशकों के दस्तावेज सहारा समूह की समितियों द्वारा 30 दिन के भीतर वेरिफाई किए जाएंगे। इसके बाद ऑनलाइन क्लेम दर्ज करने के 15 दिन के भीतर एसएमएस के जरिए निवेशकों को सूचित कर दिया जाएगा। इसके बाद बैंक खाते में निवेश की रकम आ जाएगी, याने इस प्रोसेस में कम से कम 45 दिन लगेंगे, इसके बाद ही निवेशकों के पैसे वापस मिलेंगे।
साथियों रिफंड पोर्टल के लॉन्च होने से सहारा में निवेश करने वाले 10 करोड़ निवेशकों बड़ी खुशी मिली है। जिन निवेशकों ने सहारा में पैसा निवेश किया है, उन्हें सबसे पहले ये चेक करना होगा कि उनका पैसा किस को-आ परेटिव में लगा है, फिर उससे जुड़े अपने सारे दस्तावेज जुटाने होंगे। सरकार ने 29 मार्च 2023 को घोषणा की थी कि चारों सहकारी समि तियों में जमा 10 करोड़ निवे शकों का पैसा 9 महीने के अंदर वापस किया जाएगा। गृहमंत्री ने कहा कि पांच हजार करोड़ रुपये जमा कर्ताओं को दिए जाने के बाद हम उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे और उनसे अधिक धनराशि जारी करने का अनुरोध करेंगे, ताकि बड़ी राशि वाले अन्य जमाकर्ताओं का पूरा धन वापस किया जा सके।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि देश में पहली बार घोटालों घपलों में फंसा पैसा लौटाना शुरू हुआ।सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रमाणिक जमाकर्ताओं के वैद्य बकाया के भुगतान पर रिफंड की प्रक्रिया शुरू हुई।घोटालों घपलों में फंसा निवेशकों का पैसा वापस मिलना शुरू होना सराहनीय उपलब्धि है परंतु इन समितियों के जन्म, अनियमितताओं पर लगाम लगाना अति जरूरी है।

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