मासिक काव्य गोष्ठी में बही काव्य रसधार

RAJNITIK BULLET
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(अरविन्द कुमार) उरई (जालौन)। तिलक नगर स्थित सुप्रसिद्ध गुप्तेश्वर महादेव मंदिर में वागीश्वरी साहित्य परिषद की मासिक गोष्ठी संपन्न हुई जिसमें ऐसी काव्य रसधार बही कि श्रोता झूम उठे। गोष्ठी की अध्यक्षता संस्था अध्यक्ष अरुण कुमार वाजपेयी ने की जबकि मुख्य अतिथि डाॅ. प्रदीप अग्रवाल व विशिष्ट अतिथि चित्तर सिंह निरंजन रहे। मुन्ना यादव विजय ने वाणी वंदना के माध्यम से मां सरस्वती का आह्वान कर कार्यक्रम को गति प्रदान की। राजेंद्र सिंह गहलोत ने अपनी रचना पाठ किया, श्रंजोगम कितना भी हो मुस्कुराना चाहिए, फूल मुरझाएं भले पर खुशबू आना चाहिए, कैक्टस की पौध ने रिश्तों में कांटे बो दिए, रात रानी प्यार की घर में लगाना चाहिए।श् अंतरराज्यीय मंचों के अभिनंदित कवि नरेंद्र मोहन मित्र ने रचना पाठ करते हुए कहा, श्कितनी बार पढ़ा है फिर भी पढ़ पाया इतिहास नहीं, अपना घर है अपने पर है मिल पाता आकाश नहीं।श् अरुण कुमार वाजपेयी ने रचना बांची, श्मुस्कानों को छलनी कर दे सिर पे जिनके अभियान रहे।श् मुन्ना यादव विजय ने रचना पाठ किया, श्कभी तो सोचा होता कि हम तुम्हारे हैं, सारे रिश्ते नाते और अहसान भुला डाले हैं।श् डाॅ. प्रदीप अग्रवाल ने कहा, श्सफलता एक दिन में नहीं मिलती, लेकिन एक दिन जरूर मिलती है।श् संतोष तिवारी सरल ने कहा, श्चिड़ियों से चहकना मत छीनो, फूलों से महकना मत छीनो, खूब बोझ बढ़ाकर बस्ते का बच्चों से हंसना मत छीनो।श् भास्कर सिंह माणिक्य ने रचना पढी, श्टर्र टर्र दादुर करें घन बरसे घनघोर, काले बादल देखकर नाच उठे मनमोर।श् आशाराम मिश्रा, कृष्ण स्वरूप अग्रवाल, नंदराम भावुक, चित्तर सिंह निरंजन आदि ने भी रचनाएं पढ़ीं। संचालन मयंकमोहन गुप्ता ने किया। शीमारू टीवी पर प्रसारित श्वाह भई वाहश् कार्यक्रम में कविता पढ़ने के लिए ऋतु चतुर्वेदी को बधाई दी गई इस दौरान चंद्रशेखर नगाइच, कृष्ण कुमार बिलैया, रामबिहारी सोहाने, कैलाश मिश्रा, अशोक राजौरिया, विनोद अग्रवाल, रामप्रकाश सोनी, नारायण दास बाबूजी, राजू रेजा आदि मौजूद रहे।

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