जनपद में चल रहा संभव अभियान, गर्भवती, धात्री और बच्चों को सुपोषित करने के लिए की जा रही विभिन्न गतिविधियां

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(राममिलन शर्मा) उन्नाव। जनपद में जून से संभव अभियान शुरू हो गया है जो कि सितंबर माह तक चलेगा द्य इस अभियान की थीम है “’पोषण 500” जिसमें गर्भवती और छह माह से कम आयु के बच्चों पर विशेष ध्यान देना। यह जानकारी जिला कार्यक्रम अधिकारी राकेश कुमार मिश्रा ने दी। उन्होंने बताया कि इसके अलावा हर माह की भी अलग-अलग थीम तय की गई है। इसके तहत जुलाई में मातृ पोषण, अगस्त में शिशु पोषण और सितम्बर में ऊपरी आहार और पोषण माह की गतिविधियों का आयोजन होगा। इस संबंद्द में जिला एवं ब्लाक स्तरीय अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है।
जिला कार्यक्रम अधि कारी ने बताया कि शुरू के छह माह के दौरान बच्चों में कुपोषण का मुख्य कारण माँ का कुपोषित होना और बच्चे को केवल स्तनपान प्राप्त न होना होता है। यदि शुरुआत के छह माह में बच्चा कुपोषित होता है तो भविष्य में भी उसके कुपोषित होने की संभावना बनी रहती है। इस लिए गर्भवती का शीघ्र पंजी करण, वजन माप, पोषण संबंद्दी परामर्श, आयरन फोलिक एसिड (आईएफए) और कैल्शियम की गोलियों का सेवन सुनिश्चित कराकर हम मातृ कुपोषण में कमी ला सकते हैं। इसी तरह छह माह तक की आयु के बच्चे को केवल स्तनपान कराकर कुपोषण की श्रेणी में आने से बचा सकते हैं।
संभव अभियान के तहत जून माह में शून्य से छह साल तक के सभी बच्चों का वजन और लंबाई लेकर कम वजन और अति कुपोषित (सैम) बच्चों को चिन्हित करने के साथ ही प्रबंधन किया जा रहा है। इन सभी का विवरण पोषण ट्रैकर और ई-कवच पर अपडेट किया जा रहा है। इसी क्रम में जून से शुरू हुए “एक कदम सुपोषण की ओर” अभियान के तहत पहली तिमाही की गर्भवती का वजन और लंबाई मापी जा रही है और कुपोषित गर्भवती चिन्हित की जा रही हैं व उनका प्रबंधन किया जा रहा है। गर्भवती का वजन 45 किलोग्राम और लंबाई 145 सेंटीमीटर से कम है तो गर्भवती कुपोषित की श्रेणी में आएगी। इसके अलावा यदि गर्भवती के मातृ- शिशु सुरक्षा (एमसीपी) कार्ड में हीमोग्लोबिन 11 ग्राम प्रति डेसीलीटर से कम है तो वह एनीमिक है। इस स्थिति में भी गर्भवती कुपोषित होती है। दूसरी और तीसरी तिमाही की गर्भवती का हर माह वजन कर उसमें हो रही बढ़त का आँकलन किया जाएगा और आवश्यकतानुसार प्रबंधन किया जाएगा। यह दोनों अभियान, आई.सी.डी.एस व स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त प्रयास से चलाए जा रहे हैं।
जिला कार्यक्रम अधि कारी ने बताया कि कुपोषित बच्चों की स्वास्थ्य देखभाल के लिए दुलार कार्यक्रम के तहत टोल फ्री नंबर 8086971703 के माध्यम से जानकारी प्रदान की जा रही है और उनका फालो अप किया जा रहा है।

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