चलचित्र (सिनेमैटोग्राफ) अधिनियम 1952 में संशोधन को मंत्रिमंडल की मंजूरी – मानसून सत्र में पेश होगा

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एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
वैश्विक स्तरपर तेजी से बढ़ते वर्तमान डिजिटल प्रौद्योगिकी युग में पायरेसी की प्रैक्टिस और उसके अति विस्तार से विशाल खतरा इतना बढ़ गया है कि महीनों सालों से मेहनत करने के बाद अपनी योग्यता से बनाए गए अपने किसी भी प्रोग्राम, फिल्म, चलचित्र को पायरेसी और कॉपीराइट उल्लंघन कर इतनी आसानी से उनकी याने मूल मालक की उस भारी मेहनत को कुछ पलों में उजाड़ कर अपने फायदे के लिए उपयोग किया जाता है और उन हित धारकों, फिल्म क्षेत्रों, सरकारों को राजस्व की भारी क्षति पहुंचाई जाती है, जिसको रेखांकित करना अत्यंत जरूरी है। परंतु मीडिया में रिसर्च से मुझे ऐसा ज्ञात हुआ कि चलचित्र (सिनेमैटोग्राफ) अधिनियम 1952 में संशोधन का प्रस्ताव 2019 में भी मंत्रिमंडल द्वारा पारित पारित किया गया था परंतु उस समय में उसे राज्यसभा सदन में पेश करने के बाद राज्यसभा में जांच के लिए यह स्थाई समिति के पास भेजा गया था और अभी तक उसका कुछ नहीं हुआ है और 3 वर्ष बीत गए लेकिन पायरेसी का ग्राफ इस बीच मेरा मानना है कि कहीं और अधिक याने हद से ज्यादा बढ़ गया है, जिससे फिल्म उद्योग बुरी तरह प्रभावित और उम्मीद से अधिक पीछे हो गया है। वहीं सरकारों, शासनों के भी राजस्व को भारी चुना लगता रहा है जिसका लाभ पायरेसी करने वालों को ही मिलता रहा है। यानें हींग लगे ना फिटकरी रंग चोखा आए वाली सोच पर अब आफत आना बिल्कुल निश्चित है बशर्ते आने वाले मानसून सत्र में यह बिल पास हो जाए। चूंकि यह विधेयक मंत्रिमंडल द्वारा दिनांक 20 अप्रैल 2023 को पारित किया गया है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, प्रस्तावित चलचित्र संशोधन विधेयक 2023 को मंत्रिमंडलकी मंजूरी।
साथियों बात अगर हम इस विधेयक की करें तो, फिल्म जगत ने सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक 2023 को मंत्रिमंडल की मंजूरी का किया और कहा कि इस कदम से फिल्मों की पायरेसी रोकने में मदद मिलेगी।
केन्द्रीय मंत्रिमंडल के इस फैसले के बारे में पत्रकारों को जानकारी देते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा कि संसद के अगले सत्र में विधेयक को पेश किया जाएगा। पायरेसी रोकने, आयुसीमा के आधार पर फिल्मों का वर्गीकरण करने तथा मौजूदा कानून के पुराने पड़ चुके कई प्रावधानों में बदलाव किये जाने की विभिन्न हितधारकों द्वारा मांग की जा रही थी। यूध्ए श्रेणी के तहत बनेगी अब तीन उपश्रेणी-2019 में इसे राज्यसभा में पेश करने के बाद संसद की स्थायी समिति को भेजा गया था। सरकार ने स्थायी समिति के साथ ही इससे जुड़े सभी पक्षों की राय के बाद इस कानून का मसौदा तैयार किया है। सिनेमैटोग्राफी संशोधन बिल 2023 के तहत यूध्ए श्रेणी में अब तीन नई उपश्रेणी यू/ए 7प्लस, यू/ए 13प्लस, यू/ए16 प्लस होंगी। इसका अर्थ है कि अब सात साल, 13 साल और 16 साल से ज्यादा उम्र के दर्शकों के लिए अलग-अलग उपश्रेणी होगी। पहले यू/ए प्रमाणित किसी फिल्म को 12 साल से कम उम्र के बच्चे अपने माता-पिता के साथ ही देख सकते थे। अब नई उपश्रेणी की व्यवस्था के बाद इस क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन होगा। वर्तमान में सेंट्रल बोर्ड आफ सर्टिफिकेशन (सीबी- एफसी) फिल्म को यू, यू/ए, ए और एस श्रेणी के चार अलग-अलग प्रमाण पत्र देता है। यू श्रेणी की फिल्म को सभी वर्गों के दर्शक देख सकते हैं।
ए श्रेणी की फिल्म महज वयस्क और एस श्रेणी की फिल्म विशेष वर्ग के लिए होती है। उन्होंने कहा कि विधेयक का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पायरेसी के कारण फिल्म की सामग्री प्रभावित न हो क्योंकि इस खतरे से उद्योग को भारी नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि कानून का मसौदा तैयार करते समय दुनिया भर में सर्वोत्तम प्रथाओं को ध्यान में रखा गया है।
बाद में ट्वीट्स की एक श्रृंखला में, कहा कि बिल भारतीय फिल्मों को बढ़ावा देने और स्थानीय सामग्री को वैश्विक बनाने में मदद करने के लिए एक क्रांतिकारी कदम भी साबित होगा। भारतीय फिल्म उद्योग हमारी सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन पाइरेसी इसके लिए लगातार खतरा रही है। कैबिनेट की मंजूरी, फिल्म उद्योग की सुरक्षा और प्रचार की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह भारतीय फिल्मों को बढ़ावा देने और स्थानीय सामग्री को वैश्विक बनाने में मदद करने के लिए एक क्रांतिकारी कदम भी साबित होगा। पाइरेसी के खिलाफ लड़ाई एक वैश्विक है, लेकिन हम कानूनों को सरल बनाकर और भारत में व्यापार करने में आसानी से अपने रचनात्मक उद्योग की रक्षा करने के लिए दृदृढ़ हैं। हमारे प्रयासों के परिणाम स्वरूप हमारी रैंकिंग में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है, जिससे नागरिकों और व्यवसायों को समान रूप से लाभ हुआ है। इस संबंध में 4 फरवरी 2013 को मुद्गगलल समिति और 1 जनवरी 2016 को श्याम बेनेगल समिति का गठन भी किया जा चुका था।
साथियों बात अगर हम इस विधेयक को 2019 में मंत्रिमंडल में पारित होने की करें तो, पीएम की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने सिनेमेटोग्राफ अधिनियम, 1952 में संशोधन के लिए सिनेमेटोग्राफ संशोधन विधेयक, 2019 को प्रस्तुत करने से संबंधित सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
विधेयक का उद्देश्य फिल्म पायरेसी को रोकना है और इसमें गैर-अधिकृत कैम्का- र्डिंग और फिल्मों की कापी बनाने के खिलाफ दंडात्मक प्रावधानों को शामिल करना है। ब्यौरा फिल्म पायरेसी को रोकने के लिए संशोधन में निम्न को शामिल किया गया है, गैर-अधिकृत रिकार्डिंग को रोकने के लिए नई धारा 6एए को जोड़ना सिनेमेटोग्राफ अधिनियम, 1952 की धारा 6ए के बाद निम्न धारा जोड़ी जाएगी।6एए/अन्य कोई लागू कानून के बावजूद किसी व्यक्ति को लेखक की लिखित अनुमति के बिना किसी आडियो विजुअल रिकार्ड उपकरण के उपयोग करके किसी फिल्घ्म या उसके किसी हिस्से को प्रसारित करने या प्रसारित करने का प्रयास करने या प्रसारित करने में सहायता पहुंचाने की अनुमति नहीं होगी। लेखक का अर्थ सिनेमेटोग्राफ अधिनियम, 1957 की धारा 2 उपधारा- डी में दी गई व्याख्या के समान है। धारा-7 में संशोधन का उद्देश्य धारा-6एए के प्रावधानों के उल्लंघन के मामले में दंडात्मक प्रावधानों को पेश करना है, मुख्य अधिनियम की धारा-7 में उपधारा-1 के बाद निम्न उपधारा-1ए जोड़ी जाएगी। यदि कोई व्यक्ति धारा-6एए के प्रावधानों का उल्लंघन करता है, तो उसे 3 साल तक का कारावास या 10 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों की सजा दी जा सकती है। प्रस्तावित संशोधनों से उद्योग के राजस्व में वृद्धि होगी, रोजगार का सृजन होगा, भारत के राष्ट्रीय आईपी नीति के प्रमुख उद्देश्यों की पूर्ति होगी और पायरेसी तथा आनलाइन विषय वस्तु की कापी राइट उल्लंघन के मामले में राहत मिलेगी। पृष्ठभूमि समय के साथ एक माध्यम के रूप में सिनेमा, इसकी प्रौद्योगिकी, इसके उपकरण और यहां तक कि दर्शकों में भी महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। पूरे देश में टीवी चैनलों और केबल नेटवर्क के विस्तार से मीडिया और एंटरटेंटमेंट के क्षेत्र में कई परिवर्तन हुए हैं। नई डिजिटल तकनीक का आगमन हुआ है और विशेष कर इंटरनेट पर पायरेटेड फिल्मों के प्रदर्शन से पायरेसी के खतरे बढ़े हैं। इससे फिल्म उद्योग और सरकार को राजस्व की अत्यधिक हानि होती है। फिल्म उद्योग की लम्बे समय से मांग रही है कि सरकार कैमकोर्डिंग और पायरेसी रोकने के लिए कानून संशोधन पर विचार करे। पीएम ने 10 जनवरी, 2019 को राष्ट्रीय भारतीय सिनेमा म्यूजियम के उद्धाटन अवसर पर घोषणा की थी कि कैमकोर्डिंग और पायरेसी निषेध की व्यवस्था की जाएगी। सूचना व प्रसारण मंत्रालय ने तीन हफ्तों के अंदर केन्द्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष विचार के लिए प्रस्ताव रखा था।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि प्रस्तावित चलचित्र (सिनेमैटोग्राफ) संशोधन विधेयक 2023। चलचित्र (सिनेमैटोग्राफ) अधिनियम 1952 में संशोधन को मंत्रिमंडल की मंजूरी -मानसून सत्र में पेश होगा। वर्तमान डिजिटल प्रौद्यो- गिकी युग में फिल्म उद्योग, सरकार के राजस्व को हानि से उबारने और पायरेसी के रिकार्ड ब्रेक मामलों पर नियंत्रण में सहायता होगी।

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