(धीरेन्द्र श्रीवास्तव) नैमिषारण्य, सीतापुर। 108 शक्तिपीठों में प्रमुख शक्तिपीठ नैमिषारण्य स्थित आदिशक्ति माँ ललिता देवी का मंदिर है आदिशक्ति माँ ललिता का वर्णन मुख्य रूप से देवी भाग वत पुराण में मिलता है देवी भागवत पुराण के अनुसार देवी सती के पिता दक्ष प्रजापति द्वारा आयोजित यज्ञ में भगवान शिव को छोड़कर सभी देवताओं को आमंत्रित किया गया यज्ञ में अपने पति का स्थान न पाकर देवी सती ने अपमानित होकर उसी यज्ञ में अपने प्राणों की आहूति दे दी जिस पर भगवान शिव ने क्रोधित होकर अपने गणों कालभद्र और वीरभद्र को आदेश देकर अपने ससुर दक्ष का सिर कटवा लिया एवं यज्ञ को नष्ट-भ्रष्ट करवा दिया लेकिन देवी सती के मोह में भगवान शिव (संहार कर्ता) उनके शव को लेकर उन्मत भाव से विचरण करने लगे संहारकार्य बन्द होने पर भगवान विष्णु (पालनकर्ता) ने विवश होकर सारंग धनुष से देवी सती के शव के 108 टुकड़े कर दिये जो अंग जिस -जिस स्थान पर गिरता था वह स्थान देवताओं द्वारा शक्तिपीठ के रूप में स्थापित किया गया।
नैमिषारण्य में सती जी का हृदय अंग गिरा है भगवान शिव को हृदय में धारण करने वाली ललिता लिंगधारिणी नाम से विख्यात हुई।
चैत्र नवरात्रि आज से नैमिष में आदिशक्ति मां ललिता देवी का सजा दरबार

Read Time1 Minute, 52 Second