पूर्ति निरीक्षक महोली मयंक श्रीवास्तव की कार्यशैली सवालों के घेरे में

RAJNITIK BULLET
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(बीके सिंह) सीतापुर। पूर्ति निरीक्षक कार्यालय महोली आखिर क्यों शक के घेरे में यह अब तक समझ से बाहर होता जा रहा है उधर चर्चाएं भ्रष्टाचार का ग्राफ बना रही है तो इधर नई-नई बातें निकल कर सामने आ रही हैं कहीं कोटेदारों से वसूली को लेकर चर्चा हो रही थी तो कहीं अब निकल कर यह भी सामने आ रहा है, राशन कार्ड धारकों से भी वसूली की जा रही है बताते चलें कि राशन कार्ड धारक नाम बढ़वाने को लेकर या फिर कट जाने पर नवीन राशन कार्ड बनाने को लेकर पूर्ति विभाग महोली के चक्कर लगाते रहते हैं कहीं न कहीं एक या दो मिलते ही रहते हैं और यह तो पाठक समझते ही हैं कि एक और एक कभी-कभी ग्यारह भी हो जाता है। और यही चर्चा का केंद्र बिंदु बन चुके हैं कि आखिरकार इनको दौड़ाया क्यों जा रहा है क्या एक ही बार में कार्य नहीं हो सकता तो इसका जवाब ढूंढने की कोशिश की गई तो सूत्र बताते हैं की जो आसानी से प्राइवेट कर्मियों को मिल जाता है तो उससे 200 से 500 तक वसूल लिए जाते हैं और फिर चक्कर लगाना बंद हो जाता है और अगले क्रम में कहीं न कहीं उसको सेट कर दिया जाता है। संबंधित ग्राम पंचायत की राशन कार्ड की सूची से, जिसको यह नहीं पता या फिर सीधे तौर पर बनवाने की कोशिश करता है तो वह चक्कर पर चक्कर लगाता है यूं तो सीधे तौर पर फार्म जमा हो जाता है लेकिन फार्म कहां चले जाते हैं यह तो राम जाने लेकिन अगर सुविधा शुल्क देकर फार्म जमा होता है तो फार्म फीड हो जाता है और वैसे व्यक्ति को जांच होगी उसके बाद ही होगा। जांच के नाम पर महीनों लाभार्थी पूर्ति निरीक्षक महोली कार्यालय के चक्कर लगाता है। लेकिन मिलता है सिर्फ इंतजार! तो क्या यह जो बातें हो रही हैं की पूर्ति विभाग महोली में कोटेदारों से अवैध वसूली हो रही है तो राशन कार्ड धारकों को भी प्राइवेट कर्मी के सहारे ठगा जा रहा है क्या यह सही है? क्योंकि शासन की वितरण प्रणाली में तो जो भी व्यक्ति आता है वहां से निःशुल्क सुविधा प्राप्त होनी चाहिए लेकिन क्या पैसा वसूली हो रही है यह तो अन्याय है अगर इस तरह से बातें सामने आ रही हैं तो क्या इन बातों में अवैध वसूली के नाम पर कुछ भी सत्यता है यह सिर्फ बातें हैं की अवैध वसूली का जरिया बन गया है पूर्ति निरीक्षक महकमा महोली यह तो कहना कि अवैध वसूली हो रही है गलत होगा क्योंकि शासन से जो स्वीकृत है वहीं होना चाहिए निःशुल्क राशन कार्ड बनाने की प्रक्रिया परंतु जिस तरह से चर्चाएं हो रही हैं आखिर क्या सत्य माना जाए। तो कहीं यह भी बातें हो रही हैं कि जब से पूर्ति निरीक्षक महोली के पद पर मयंक श्रीवास्तव की तैनाती हुई है, तब से प्राइवेट कर्मीयों का दौर शुरू हो गया और यह सीधे तौर पर पूर्ति निरीक्षक महोली की मौन सहमति से कार्य कर रहे हैं क्या यह सही है की पूर्ति निरीक्षक महोली के कार्यालय में प्राइवेट कर्मी हैं इसका खुलासा तो तब होगा जब जांच होगी क्योंकि बिना जांच के कुछ भी कहना संभव नहीं है देखना यह है कि अगर पूर्ति महकमे महोली में इस तरह से प्राइवेट कर्मी जबरन धन उगाही कर रहे हैं तो बड़े भ्रष्टाचार की ओर इशारा है लेकिन यह तब कहां जा सकता है पुख्ता तौर पर जब जांच हो और जांच गुप्त तरह से हो तभी ऐसे कर्मचारी पकड़ में आएंगे या किसके संरक्षण में काम कर रहे हैं यह तो तभी कहा जा सकता है की अवैध वसूली हो रही है की नहीं अगर हो रही है तो कौन कर रहा है, प्राइवेट कर्मी या आफिस का कोई बाबू?अगर अवैध वसूली हो रही है तो इसपर जांच के बाद ही कुछ कहना संभव है की इसके पीछे कौन है कोई आफिस का कर्मचारी या फिर पूर्ति निरीक्षक महोली मयंक श्रीवास्तव?फिलहाल जो बातें चल रहीं हैं उससे यहीं संकेत मिल रहे हैं की कुछ तो है,जो छिपा है नजर नहीं आ रहा। जिससे पूर्ति महकमे महोली पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है।

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