छोटे किसानों की ताकत बढ़ाने वृहद पूसा कृषि विज्ञान मेला

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एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
वैश्विक स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा में दिन दूनी चार चैगुनी ऊंचाइयों की सौगात के नए-नए आयाम जुड़ते जा रहे हैं। 2 मार्च 2023 को इटली की पीएम ने हमारे पीएम की खूब तारीफों के पुल बांधे, वहीं इसी दिन जी-20 के विदेश मंत्रियों को भी पीएम ने संबोधित किया। अब चूंकि हम 2023 को अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष मना रहे हैं इसलिए इसे जन आंदोलन बनाने के साथ भारत को वैश्विक पोषक अनाज के रूप में भी स्थापित करने के दृष्टिकोण से कार्य हो रहे हैं, क्योंकि भारत में हो रही कुल कृषि के 86 फीसदी कृषक छोटे किसान हैं, जिनकी ताकत बढ़ाना हमारा ध्येय है, जिसके लिए मार्च 2021 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा भारत की ओर से पेश एक प्रस्ताव को सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया है, जिसके तहत वर्ष 2023 को ‘अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित किया गया है। इस प्रस्ताव का 70 से अधिक देशों ने समर्थन किया था। भारत के इस प्रयास के पीछे भारत को मोटे अनाज का वैश्विक केंद्र बनाना और अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष 2023 को ‘जन आंदोलन’ बनाने की सोच थी। भारत में एशिया का लगभग 80 प्रतिशत और विश्व का 20 प्रतिशत मोटा अनाज पैदा होता है। वर्तमान में 130 से अधिक देशों में मोटे अनाज की खेती होती है, जिसे एशिया और अफ्रीका में लगभग आधे अरब से अधिक लोगों के लिए पारंपरिक भोजन माना जाता है। हालांकि, कई देशों में इसकी खेती में कमी आ रही है और जलवायु परिवर्तन और खाद्य सुरक्षा की चुनौतियों से निपटने के पर्याप्त उपाय नहीं किए जा रहे हैं, परंतु भारत में इसको बहुत तेजी से प्रोत्साहित किया जा रहा है, इसी कड़ी में छोटे किसानों की ताकत बढ़ाने के उद्देश्य से 2 से 4 मार्च 2023 को तीन दिवसीय वृहद पूसा कृषि विज्ञान मेले का आयोजन हो रहा है, जो भारतीय कृषि अनुसंधान संस्था द्वारा आयोजित है, जिसका उद्घाटन माननीय केंद्रीय कृषि मंत्री ने किया जिसमें हमारे किसानों के साथ ही वैज्ञानिक जन व स्टार्टअप के उद्यमी भी शामिल हुए।
साथियों बात अगर हम इस वृहद पूसा कृषि विज्ञान मेले में केंद्रीय कृषि मंत्री के संबोधन की करें तो उन्होंने कहा हमने ही भारत सरकार की तरफ से संयुक्त राष्ट्र को यह वर्ष घोषित करने का प्रस्ताव भेजा था। पीएम 18 मार्च 2023 को दिल्ली में होने वाले वृहद समारोह में अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष की विधिवत् लांचिंग करेंगे, जिसमें दुनिया भर के वैज्ञानिक, अन्य प्रतिनिधि व कई देशों के मंत्री शामिल होंगे। उन्होंने पूसा कृषि विज्ञान मेले की थीम श्री अन्न रखने की सराहना करते हुए कहा कि इस मेले के माध्यम से भी किसानों को काफी लाभ मिलेगा। इस बार जी- 20 की अध्यक्षता पीएम के नेतृत्व में भारत के पास है और उन्होंने इसकी थीम रखी है, पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य। पीएम की दूरदृदृष्टि से भारत, दुनिया को नेतृत्व प्रदान करने की ओर अग्रसर हो रहा है। उन्होंने कहा कि भारत कृषि प्रधान है, कृषक जितनी तरक्की करेगा, जितना समृद्ध होगा, देश उतनी तरक्की करेगा, उतना समृद्ध होगा, भारत को बढ़ाना है तो किसानों की ताकत बढ़ाना होगी। अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष के माध्यम से दुनिया भर में श्री अन्न का व्यापक रूप से प्रचार-प्रसार किया जा रहा है, जिसके पीछे पीएम का उद्देश्य है कि भारत के 86 प्रतिशत छोटे किसानों की ताकत बढ़ें। मोटा अनाज ये छोटे किसान ही उगाते आए हैं, इन्हें समृद्ध करने के लिए पीएम ने मोटे अनाज को श्री अन्न नाम से प्रतिष्ठा प्रदान कर अनेक कार्यक्रमों की आयोजना भी की है। मेले में प्रमुख तकनीकों की विषयगत प्रदर्शनियां लगाई गई है, वहीं शोध संस्थानों, स्टार्टअप व उद्यमियों के स्टाल भी लगे है, जिनका मंत्री नें अवलोकन किया व पूसा संस्थान के खेत भी देंखे। मेले में गेहूं, सरसों, चना, सब्जियों फूलों, फलों की महत्वपूर्ण किस्मों का जीवंत प्रदर्शन किया गया है। किसानों, उद्यमियों, एजेंसियों के स्टाल भी है, वहीं किसान परामर्श स्टाल किसानों की समस्याओं के समाधान में मदद कर रहे हैं। किसानों के परिश्रम, वैज्ञानिकों की कुशलता व सरकार की किसान हितैषी नीतियों के कारण हमारी कृषि दुनिया में अव्वल है। देश में खाद्यान्न व बागवानी एवं सम्बद्ध क्षेत्रों में भरपूर उत्पादन हो रहा है और भारत हर क्षेत्र में अग्रणी अवस्था में आ रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि हमारे देश की खेती और उन्नत हो, इस दिशा में आगे भी सभी मिलकर काम करेंगे। कृषि क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों का सामना व समाधान करना सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कृषि क्षेत्र की प्रगति के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, इसके संस्थान व कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिकों के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि किसानों ने इनके अनुसंधान को खेती में अपनाया, जिसके कारण कृषि उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ी है और इसका फायदा देश की अर्थव्यवस्था को भी मिल रहा है। दुनिया के राजनीतिक मंच पर भारत की साख बढ़ रही है, हमसे अपेक्षा भी बढ़ी है, ऐसे में हम सबकी जवाबदारी और बढ़ जाती है। आज भारत का परिदृष्य बदल गया है, अब भारत मांगने वाला देश नहीं है, बल्कि दुनिया हमसे सहयोग की अपेक्षा करती है। खेती को उन्नत बनाने एवं किसानों के कल्याण के लिए पीएम किसान सम्मान निधि, पीएम फसल बीमा योजना, 10 हजार नए कृषक उत्पादक संगठनों का गठन, 1 लाख करोड़ रु. का कृषि इंफ्रा- स्ट्रक्चर फंड जैसी अनेक महत्वपूर्ण योजनाएं प्रारंभ की है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का भी मिलकर सामना व समाधान करने पर जोर दिया।
साथियों बात अगर हम पोषक मोटे अनाज से किसानों व्यापारियों और निर्यातकों की खुशहाली की करें तो, भारत ने भी पूरी दुनिया को मोटे अनाजों की अहमियत समझाने के लिए पूरी रणनीति तैयार कर ली है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने एपीड़ा (एपीईडीए) के माध्यम से पूरी दुनिया में मोटे अनाजों के निर्यात को बढ़ावा देने का प्लान तैयार किया है। वैसे तो अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष 2023 में मोटे अनाजों की खेती से लेकर इसके निर्यात और देश में इसकी उपयोगिता को बढ़ाने के लिए सभी मंत्रालय का संयुक्त योगदान रहेगा, लेकिन खाद्य और कृषि आधारित देश की बड़ी संस्थाएं भी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मोटे अनाजों और उनके मूल्यवर्धित उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए सहयोग देंगी, इनमें आईसीएआर, भारतीय बाजरा संस्थान आईसीएमआर राष्ट्रीय पोषण संस्थान, हैदराबाद सीएस आईआर-केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान, मैसूर और किसान उत्पादक संगठनों का सहयोग रहेगा, जिसके लिए 5 वर्षीय रणनीतिक योजना तैयार हैं। मोटे अनाजों की खेती से लेकर इसके निर्यात और प्रमोशन के लिए केंद्र ने भी खास प्लान बनाया है। सरकार ने मोटे अनाज और इनके मूल्यवर्धित उत्पादों को प्रोत्साहित करने के लिए हर एक लक्षित देश के लिए 30 ई-कैटलाग विकसित किए हैं, जिनमें भारतीय मोटे अनाजों तक पहुंच बनाने के लिए मूल्य वर्धित उत्पादों की श्रृंखला से लेकर सक्रिय निर्यातकों, स्टार्टअप, एफपीओ और आयातक/खुदरा श्रृंखला/ हाइपर मार्केट्स की जानकारी दी जाएगी। विदेश में देसी मोटा अनाज पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने 16 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार एक्सपो और क्रेता- विक्रेता बैठकों के माध्यम से किसान, व्यापारी और निर्यातकों की भागीदारी में मदद करने की योजना बनाई है।
विदेश में मोटे अनाजों के प्रचार के लिए भारतीय मिशनों को जोड़ा जाएगा। मोटे अनाजों से इंटनेशनल शेफ्स (रसोईयों) के साथ-साथ डिपार्टमेंटल स्टोर, सुपर मार्केट और हाइपर मार्केट में भी जागरूकता फैलाई जाएगी, ताकि उपभोक्ता तक इसकी आपूर्ति सुनिश्चित हो सके। भारत में मौजूद विदेशी मिशनों, राजदूतों और आयातकों को मोटे अनाजों के रेडी टू ईट उत्पाद दिखाए जाएंगे, जिसका विशाल रूप से फायदा हितधारकों को होगा।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरी विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि आओ श्री अन्न को प्रतिष्ठा प्रदान करें। छोटे किसानों की ताकत बढ़ाने वृहत पूसा कृषि विज्ञान मेले का आयोजन। अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष 2023 के माध्यम से भारतीय कृषि में 86 फीसदी छोटे किसानों की ताकत बढ़ाने प्राथमिक लक्ष्य सराहनीय है।

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