Kashmir Cricket Bat Industry गुजर रही है मुश्किलों के दौर से, 300 करोड़ के उद्योग पर संकट और गहराया

RAJNITIK BULLET
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Feb 21, 2023
दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में 400 से अधिक बैट निर्माण इकाइयों को अपना भविष्य अनिश्चित दिख रहा है क्योंकि उन्हें डर है कि विलो फांक की कमी भविष्य में उनके कारखानों को बंद करने के लिए मजबूर कर सकती है।

यदि आप भी क्रिकेट के शौकीन हैं तो आपको बता दें कि कश्मीर का बल्ला पूरी दुनिया में अपनी गुणवत्ता के लिए मशहूर है। देखा जाये तो कश्मीर का बल्ला उद्योग लगभग 102 साल पुराना है लेकिन आजकल यह संकट के दौर से गुजर रहा है क्योंकि बल्ला बनाने में उपयोग होने वाली इंग्लिश विलो लकड़ी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हो पा रही है। प्रभासाक्षी संवाददाता ने कश्मीर में जब इस उद्योग का हाल जाना तो पता चला कि लगभग 400 कारखाने विलो पर निर्भर हैं। विलो फांक की कमी ने बल्ला निर्माताओं को आर्थिक संकट में डाल दिया है क्योंकि उन्हें जो ऑर्डर मिले हैं वह उसे पूरा नहीं कर पा रहे हैं जिससे कारीगरों के भुगतान की समस्या भी खड़ी हो गयी है।
दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में 400 से अधिक बैट निर्माण इकाइयों को अपना भविष्य अनिश्चित दिख रहा है क्योंकि उन्हें डर है कि विलो फांक की कमी भविष्य में उनके कारखानों को बंद करने के लिए मजबूर कर सकती है। एमजे स्पोर्ट्स के मालिक जावीद अहमद पर्रे ने कहा, “हम पिछले 22 सालों से इस व्यवसाय में हैं, लेकिन विलो की कमी ने इस समय हमारे व्यवसाय को बुरी तरह प्रभावित किया है।” उन्होंने कहा कि इस मामले में सरकार भी कोई मदद नहीं कर रही है। उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि विलो पेड़ की आबादी विलुप्त होने के कगार पर पहुँच गयी है। बैट बनाने वालों को डर है कि फांकों की कमी के कारण ₹300 करोड़ के इस उद्योग को बंद करना पड़ सकता है जो 1,00,000 से अधिक लोगों को आजीविका प्रदान करता है।
वहीं, बिजबेहरा अनंतनाग के बैट निर्माता शाहिद बशीर ने कहा, “पिछले कुछ वर्षों से, कश्मीर घाटी के बैट निर्माताओं को विलो की कमी का सामना करना पड़ रहा है।” उन्होंने कहा, “विलो की आबादी क्षेत्र में घट रही है और हमने सरकार से अपील की थी कि ब्रिटेन की तरह विलो पेड़ उगाये जायें लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
हम आपको यह भी बता दें कि दुनिया भर में अधिक से अधिक क्रिकेट लीग आ रही हैं और बल्लों की मांग बढ़ती ही जा रही है। बल्लों की बढ़ती मांग के बीच युवाओं को कारीगर के रूप में काम भी मिल रहा है जिससे वह नशे आदि जैसी सामाजिक बुराइयों से दूर हुए हैं लेकिन अब जब इस उद्योग पर संकट मंडरा रहा है तो कारीगरों के समक्ष भी बड़ा संकट खड़ा होने की आशंका मंडरा रही है।

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