तालाब बनने से ग्वालियर के किसान हुए लाभान्वित

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Feb 08, 2023
मध्य प्रदेश के ग्वालियर में किसानों को राहत पहुंचाने के लिए एस एम सहगल फाउंडेशन (सहगल फाउंडेशन) ने साल 2021-22 में “भूजल विकास परियोजना” का क्रियान्वन किया। इसका उद्देश्य है कि तालाबों और कुओं का पुनर्भरण किया जा सके। इस परियोजना के जरिए घटते जल स्तर को फिर से बढ़ाने पर जोर दिया गया।
ग्वालियर मध्य प्रदेश के उत्तरी भाग में स्थित है जहाँ की जलवायु बेहद गर्म है और विशेष रूप से अप्रैल, मई और जून माह में चिलचिलाती गर्मी उच्च स्तर पर पहुंच जाती है। ग्रीष्मकाल में अधिकतम तापमान 43 से 48 डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुँच जाता है। समुदाय की आजीविका का मुख्य साधन कृषि है और किसान अपनी फसलों की सिंचाई के लिए सतही जल पर निर्भर हैं, जिससे इस क्षेत्र में जल स्तर कम होता जा रहा है जो किसानों की आजीविका के लिए खतरा है।
एस एम सहगल फाउंडेशन (सहगल फाउंडेशन) ने साल 2021-22 में मध्य प्रदेश में ग्वालियर जिले के मुरैना और घाटीगांव ब्लॉक में डीसीबी बैंक लिमिटेड के सहयोग से “भूजल विकास परियोजना” का क्रियान्वन किया जिसका मुख्य उद्देश्य तालाबों के साथ पुनर्भरण कुओं का निर्माण करके ऐसी प्रणाली विकसित करना था जिससे घटते जल स्तर को फिर से बढ़ाया जा सके। कृषक समुदाय कृषि जरूरतों के लिए पानी उपलब्ध कराने के लिए दुगनावली और भाटपुरा डांग गांवों में 38 मिलियन लीटर सतही जल भंडारण क्षमता विकसित की गई, जिससे 364 परिवारों में 1950 से अधिक की आबादी और उनके 825 पशुधन को सीधे लाभ हुआ। दुगनावली गांव में पुनर्भरण कुएं में अतिरिक्त जल भंडारण और पुनर्भरण क्षमता विकसित की गई। इस प्रकार यहाँ लंबे समय के लिए भूजल की मात्रा और गुणवत्ता में सुधार किया गया और समुदाय की जरूरतों और पशुओं के लिए अधिक जल उपलब्धता प्रदान की गई।
दुगनावली गांव के रहने वाले कमल किशोर ने कहा कि “यहाँ जल संरक्षण के लिए बनाए गए तालाब से उनकी फसलों को समय पर पर्याप्त सिंचाई मिलती है। जब से तालाब बना है, मेरे कुएँ का जलस्तर भी बढ़ गया है। पहले मोटर चलाने पर कुएं का पानी लगभग 1.5 घंटे में खत्म हो जाता था, पर अब मोटर को तीन घंटे आराम से चलाया जा सकता है।”
ऐसा ही अनुभव भाटपुरा डांग गांव के करतार सिंह गुर्जर और लोकेंद्र फुल राजेंद्र का भी रहा। तालाब बनने से पानी की उपलब्धता रहती है जिससे किसान अनेक प्रकार की फसलें उगाने लगे हैं। करतार सिंह कहते हैं कि, “तालाब के कारण अब मैं अपनी फसलों की समय पर सिंचाई कर पाता हूं। हमारे बोरवेलों और कुओं में भी पानी का स्तर बढ़ गया है; मैंने इस साल अन्य फसलों के साथ अपनी घर के लिए कुछ सब्जियों की भी खेती की है।”
लोकेंद्र फुल ने बताया कि, “मैं एक बीघा ज़मीन में सरसों की खेती करता था। इस साल तालाब में पानी की उपलब्धता के कारण मैंने अपनी फसल का क्षेत्र दुगना कर दिया और दो बीघे में सरसों की खेती की है।”
“जल विकास परियोजना” के सकारात्मक परिणामों से प्रभावित होकर समुदाय ने डीसीबी बैंक लिमिटेड और सहगल फाउंडेशन के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया।

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