अर्थनीति और राजनीति के बीच संतुलित बजट, दुनियां में बज रहा है भारत की आर्थिक तरक्की का डंका

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एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी

केंद्रीय बजट 2023-24 पर विशेष

महाराष्ट्र वैश्विक स्तरपर पूरी दुनियां की नजरें घोषित हुए भारतीय केंद्रीय बजट पर लगी हुई थी। क्योंकि भारत सबके लिए एक उम्मीद की किरण बनकर उभर रहा है भारत को दुनिया चमकता सितारा मानती है। दुनिया की रूचि भारत में विनियोग करने पर बनी हुई है और हितधारकों को हमेशा बजट से काफी उम्मीदें रहती है कि क्या अब्राड इन्वेस्टमेंट संबंधी नीतियां व स्कीम आएगी जिसके आधार पर प्रोत्साहित होकर भारत में विनियोग करें इसलिए आज घोषित बजट का विश्लेषण कर अब विनियोजक अपनी राय भारत की ओर जरूर करेंगे पूरा देश कई दिनों से आज के दिन का इंतजार कर रहा था क्योंकि हर क्षेत्र की उम्मीदों भरी नजरें 2023-24 बजट पर लगी हुई थी कि उन्हें क्या मिलेगा, क्योंकि कुछ दिनों पूर्व ही हमने देखा कि माननीय केंद्रीय वित्तमंत्री ने हर क्षेत्र के हितधारकों संस्थाओं, संघ, प्रदेश के वित्तमंत्रियों सहित अनेकों से बैठक कर उनके विचार जाने और कड़ी मेहनत के बाद वैश्विक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए हर क्षेत्र को महत्त्व देखकर आज एक 2023 का बैलेंसड बजट पेश किया गया है। बजट के लाइव प्रसारण तथा मीडिया और पीआईबी में उपलब्ध जानकारी के आधार पर आज हम 2023-24 पर दो भागों में चर्चा करेंगे, जिसका पहला भाग आर्थिक सर्वेक्षण 2023 सहित बजट 2023 पर चर्चा करेंगे। दूसरा भाग कल प्रकाशित किया जाएगा जिसमें बजट का विस्तृत विश्लेषण किया जाएगा।
साथियों बात अगर हम 31 जनवरी 2023 को वित्तमंत्री द्वारा संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण 2023 रिपोर्ट की करें, कोरोना महामारी दौर के बाद दूसरे देशों की तुलना में भारतीय अर्थव्यवस्था की रिकवरी तेज हो रही है घरेलू मांग और पूंजीगत निवेश की बढ़ोतरी की वजह से ऐसा संभव हो पाया है। आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 का अनुमान है कि जीडीपी विकास दर वित्त वर्ष 2024 के लिए वास्तविक आधार पर 6.5 प्रतिशत रहेगी। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उध्यम (एमएसएमई) क्षेत्र के लिए ऋण में तेज वृद्धि दर्ज की गई है, जो जनवरी-नवम्बर, 2022 के दौरान औसत आधार पर 30.5 प्रतिशत रही। केन्द्र सरकार का पूंजीगत व्यय (कैपेक्स), जो वित्त वर्ष 2023 के आठ महीनों के दौरान 63.4 प्रतिशत की दर से बढ़ा, यह वर्तमान वर्ष के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास को गति देने का प्रमुख कारण रहा है। आरबीआई का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2023 के लिए महंगाई दर 6.8 प्रतिशत रहेगी, जो इसके लक्ष्य सीमा से अधिक है। विश्व व्यापार संगठन का अनुमान है कि वैश्विक व्यापार में वृद्धि 2022 के 3.5 प्रतिशत के मुकाबले 2023 में 1.0 प्रतिशत के निम्न स्तर पर रहेगी, सर्वेक्षण ने इस तथ्य को रेखांकित किया है। 2023-24 के लिए अनुमान के विवरण में समीक्षा में बताया गया है कि महामारी से भारत की भरपाई अपेक्षाकृत तीव्र थी और ठोस घरेलू मांग के समर्थन और पूंजीगत निवेश में वृद्धि से आगामी वर्षों में प्रगति होगी। इसमें बताया गया है कि सशक्त वित्तीय घटकों के बल पर निजी क्षेत्र में पूंजी निर्माण प्रक्रिया का अंतर्निहित लक्षण परिलक्षित है और पूंजीगत व्यय में निजी क्षेत्र की सावधानी के लिए भरपाई करना और सरकार द्वारा पर्याप्त पूंजीगत व्यय जुटाना इससे भी अधिक महत्वपूर्ण बात है। सर्वेक्षण उम्मीद करता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था महामारी के प्रभावों से मुक्त हो चुकी है और वित्त वर्ष 2022 में दूसरे देशों की अपेक्षा तेजी से पहले की स्थिति में आ चुकी है। भारतीय अर्थ- व्यवस्था अब वित्त वर्ष 2023 में महामारी-पूर्व के विकास मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए तैयार है। हालांकि, रुपए में मूल्यहास की चुनौती अधिकांश अन्य मुद्राओं की तुलना में हमारी मुद्रा बेहतर निष्पादन कर रही है, यूएस फेड द्वारा नीतिगत दरों में और वृद्धि किए जाने की संभावना बनी हुई है। 2023-24 के लिए अनुमान के विवरण में समीक्षा में बताया गया है कि महामारी से भारत की भरपाई अपेक्षाकृत तीव्र थी और ठोस घरेलू मांग के समर्थन और पूंजीगत निवेश में वृद्धि से आगामी वर्षों में प्रगति होगी।
इसमें बताया गया है कि सशक्त वित्तीय घटकों के बल पर निजी क्षेत्र में पूंजी निर्माण प्रक्रिया का अंतर्निहित लक्षण परिलक्षित है और पूंजीगत व्यय में निजी क्षेत्र की सावधानी के लिए भरपाई करना और सरकार द्वारा पर्याप्त पूंजीगत व्यय जुटाना इससे भी अधिक महत्वपूर्ण बात है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष के वर्ल्ड इकनामिक आउट लुक, अक्टूबर 2022 के अनुसार, वैश्विक विकास का वर्ष 2023 में 3.2 प्रतिशत से धीमा होकर वर्ष 2023 में 2.7 प्रतिशत होने का अनुमान है। आर्थिक उत्पादन में धीमी वृद्धि के साथ बढ़ती अनिश्चितता व्यापार वृद्धि को कम कर देगी। आईएमएफ का अनुमान है कि भारत 2022 में तेजी से बढ़ती शीर्ष दो महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगा। मजबूत वैश्विक विपरीत परिस्थितियों और कड़ी घरेलू मौद्रिक नीति के बावजूद, यदि भारत अभी भी 6.5 और 7.0 प्रतिशत के बीच बढ़ने की उम्मीद करता है और वह भी आधार प्रभाव के लाभ के बिना, तो यह भारत के अंतर्निहित आर्थिक लचीले पन का प्रतिबिंब है, और अर्थव्य वस्था के विकास चालकों को पुनः प्राप्त करने, नवीनीकृत करने और फिर से सक्रिय करने की इसकी क्षमता है। भारतीय अर्थव्यवस्था में समस्त क्षेत्रों में उल्लेखनीय बेहतरी देखने को मिल रही है, वित्त वर्ष 2023 में यह महामारी पूर्व विकास पथ पर अग्रसर हो रही है। खुदरा महंगाई नवम्बर 2022 में घटकर आरबीआई के लक्षित दायरे में आ गई है। प्रत्यक्ष कर संग्रह अप्रैल-नवम्बर 2022 में भी दमदार रहा। घटती शहरी बेरोजगारी दर और कर्मचारी भविष्य निधि में तेजी से हो रहे कुल पंजीकरण में बेहतर रोजगार सृजन नजर आ रहा है। सरकार द्वारा लागू किए जा रहे सुधारों का फोकस अवसर, जीवन यापन में दक्षता एवं सुगमता, विश्वास आधारित गवर्नेंस बढ़ाने के लिए सार्वजनिक वस्तुएं तैयार करने, कृषि उत्पादकता बढ़ाने और विकास में एक सह- भागीदार के रूप में निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करने पर है। बैलेंस शीट को दुरुस्त करने से वित्तीय संस्थानों के ऋणों में वृद्धि दर्ज की गई है। ऋणों के उठाव में वृद्धि होने, निजी पूंजीगत खर्च बढ़ने से लाभदायक निवेश चक्र शुरू होगा।
साथियों बात अगर हम 1 फरवरी 2023 को घोषित बजट की करें तो, केंद्रीय वित्त मंत्री ने आज अपना छठवां और मोदी सरकार 2.0 का अंतिम बजट पेश किया जिसमें शिक्षा कृषि एमएस एमई महिलाओं, बुजुर्गों, युवाओं सहकारिता क्षेत्र स्टार्टअप बुनियादी ढांचा के द्वार खोले गए और सबसे महत्वपूर्ण, मिडिल क्लास को राहत मिली। पुरानी टैक्स व्यवस्था समाप्त कर नई टैक्स व्यवस्था शुरू की गई है। नए टैक्स रेजीम में 6 सिलेब बनाए गए हैं प्राथमिक छूट ढाई लाख से बढ़ाकर तीन लाख की गई है याने जीरो से तीन लाख तक टैक्स निल तीन से छह लाख 5 प्रतिशत 6 से 9 10 प्रतिशत 9 से 12 15 प्रतिशत 12 से 15 लाभ 20 प्रतिशत 15 से अधिक 30 प्रतिशत 9 लाख की कमाई पर सिर्फ 45 हजार और 15 लाख की कमाई पर 1.5 लाख टैक्स देना होगा। मीडियम सैलरी क्लास को इत्यादि 15.5 लाख पर छूट बढ़ाकर 52500 की गई है। नई टैक्स रिजीम में 5 लाख से बढ़ाकर 7 लाख कर दिया गया है याने 7 लाख की आय पर जो अबतक 33800 रुपए टैक्स देते थे अब वह टैक्स जीरो होगी याने बचत होगी।
अन्य सुविधाओं में, मासिक आय खाता स्कीम में पैसा जमा कराने की सीमा 4.5 लाख से बढ़ाकर 9 लाख रुपये की जा रही है। अगर इस स्कीम के तहत संयुक्त खाता है तो हर महीने पैसा जमा कराने की सीमा 9 लाख से बढ़ाकर 15 लाख रुपये की जा रही है। खेती किसानी के लिए नई योजना नहीं पर कर्ज का दायरा बढ़ाने की बात कही- खेती से जुड़े नवाचार और स्टार्ट अप को विशेष प्रोत्साहन मिलेगा। एग्रीकल्चर एक्सीलेटर फंड का गठन होगा। मोटे अनाज को प्रोत्साहन श्री अन्न कहा गया 22 लाख करोड़ प्रधानमंत्री ऋण योजना के तहत आवंटित किए जाएंगे। 157 नए नर्सिंग कालेज खुलेंगे आईसीएमआर की लैब में निजी भागीदारी के साथ अनुसंधान को बढ़ावा कृषि वर्धन निधि स्थापित की जाएगी देखो अपना देश के तहत स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा। खास तौर पर सीमावर्ती क्षेत्रों में एक जिला एक उत्पाद के विपणन के लिए हर राज्य में यूनिटी माल बनाया जाए। केवायसी को आसान बनाया जाएगा, पैन कार्ड ही पर्याप्त होगा, कृत्रिम हीरे के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा- रोजगार निर्माण के लिए 10 लाख करोड़ का निवेश किया जाएगा रेलवे पर 2 लाख 40 हजार करोड़ का बजट, पिछली बार एक लाख 40 हजार करोड़ था, 50 हवाई अड्डों और हेलीपैड का पुनर्निर्माण किया जाएगा। कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानि एआई को बढ़ावा देने के लिए 3 केन्द्रों के जरिए काम होगा, मेक एआई फार इंडिया, मेक एआई इन इंडिया पुराने प्रदूषण फैलाने वाले सरकारी वाहनों को चालान से बाहर किया जाएगा एमएसएमई को सरकारी ठेकों में हुए नुकसान की भरपाई के लिए योजना 5जी को बढ़ावा देने और अनुसंधान के लिए देशभर में 100 लैब स्थापित किए जाएंगे।
अतः अगर हम उपरोक्त प्रकरण का अध्ययन कर उस का विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि केंद्रीय बजट 2023-24 पर विशेष (भाग -1) है अर्थनीति और राज नीति के बीच संतुलित बजट। दुनिया में बज रहा है भारत की आर्थिक तरक्की का डंका। बजट 2023-24 से आम आदमी के जीवन में सकारात्मक नतीजे देखने को मिलेंगे जो राहत की बात है।

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