पौष पूर्णिमा से शुरू हुआ कल्पवास, माघी पूर्णिमा स्नान के बाद समाप्त हो जाएगा

RAJNITIK BULLET
0 0
Read Time4 Minute, 35 Second

(मो0 रिजवान) प्रयागराज वैसे तो पूर्णिमा हर माह में आती है लेकिन माघ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली पूर्णिमा को माघ पूर्णिमा कहा जाता है।
ऐसे में प्रयागराज के संगम नगरी क्षेत्र में माघ मेला 2023 का आयोजन चल रहा इस दौरान माघ पूर्णिमा पर संगम तट पर स्नान का खास महत्व है हिंदू घर्म में माघ पूर्णिमा को काफी खास माना जाता है।
कहते हैं इस दिन गंगा में स्नान करने से व्यक्ति के शरीर में अमृत के गुण आ जाते हैं। अगर ये संभव न हो तो घर में ही गंगा, यमुना या सरस्वती नदी का जल पानी में मिला कर ब्रह्म मुहूर्त स्नान करना चाहिए। मान्यता है इससे व्यक्ति के पिछले जन्म के पाप भी धुल जाते हैं। पानी में थोड़ा सा दूध मिलाकर स्नान कर लें तो इससे चंद्र दोष दूर होता है।
माघ मास में किए गए दान और स्नान का काफी ज्यादा महत्व होता है। माघ पूर्णिमा को माघ मास का अंतिम दिन माना जाता है इसके अलावा इसे माघी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
माघ महीने की पूर्णिमा 5 फरवरी 2023 को है। पूर्णिमा तिथि के स्वामी चंद्र देवता हैं। मान्यता है कि पूर्णिमा पर इनकी पूजा से मनुष्य का समस्त संसार पर आधिपत्य होता है। खासकर संतान के उत्तम स्वास्थ के लिए पूर्णिमा का व्रत बहुत महत्वपूर्ण है।
कहते हैं जो बच्चे अक्सर सर्दी जुकाम, निमोनिया आदि रोगों से ग्रसित रहते हैं उनकी माताओं को सालभर पूर्णिमा का व्रत करना चाहिए, मान्यता है इससे संतान की सेहत को लाभ मिलता है।
पंचांग के अनुसार माघ महीने की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 4 फरवरी 2023 को रात 09.21 मिनट से हो रही है। अगले दिन 6 फरवरी 2023 को रात 11.58 तक पूर्णिमा तिथि रहेगी। माघ पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान के लिए सुबह 05ः27 से सुबह 06ः18 तक शुभ मुहूर्त है। पौष पूर्णिमा से शुरू हुआ कल्पवास माघी पूर्णिमा स्नान के बाद समाप्त हो जाएगा। माघी पूर्णिमा के अवसर पर गंगा में डुबकी लगाने के बाद दान पुण्य कर श्रद्धालु अपने घर को वापस लौट जाएंगे। वही प्रयागराज का मेला प्रशासन कल्पवासियों के मेला क्षेत्र से सुगम व सुरक्षित वापसी हेतु यातायात प्रबन्ध एसएसपी माघ मेला डा0 राजीव नारायण मिश्रा के निर्देशन में पहले से ही तैयार कर रखा है। कल्प वासियों के सुगम व सुरक्षित वापसी हेतु निम्नानुसार मार्ग निर्धारित किये गये हैं-
(1) कानपुर, लखनऊ, रीवा की तरफ जाने वाले कल्पवासी पाण्टून पुल नं0- 04 से गंगा भवन तिराहा से दारागंज होते हुये मेला क्षेत्र से बाहर जा सकेगें।
(2) वाराणसी, जौनपुर की तरफ जाने वाले कल्प वासी काली सड़क मार्ग से होते हुये टीकरमाफी से मेला क्षेत्र से बाहर जायेंगे।
(3) कल्पवासी पुल नं0- 02 से भी त्रिवेणी मार्ग होते हुये ‘फोर्ट रोड चैराहे’ से मेला से बाहर नगर क्षेत्र से होकर अपने गन्तव्य स्थल को जा सकेंगे। सुरक्षित वापसी के लिए उक्त निर्धारित मार्ग का ही प्रयोग करें जिससे आवागमन में कोई असुविधा न हो।

Next Post

पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ‘काशी साहित्य’ सम्मान से विभूषित

(नीलेश […]
👉