मौनी अमावस्या के दिन धर्म कर्म के कार्यों को करने से जीवन में सुख-समृद्धि की होती है प्राप्ति

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(मो0 रिजवान) प्रयाग राज। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र संगम में देवताओं का निवास होता है, इसलिए इस दिन गंगा स्नान और पवित्र तीर्थस्थलों पर स्नान का विशेष महत्व माना गया है। ऐसे में संगम नगरी में आयोजित माघ मेले में तीसरे मुख्य स्नान मौनी अमावस्या का दिन बहुत पवित्र होता है।
माघ माह में आने वाली अमावस्या को मौनी अथवा माघी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। अतः इस दिन उपवास रखकर मौन व्रत धारण करने का बहुत महत्व है। प्राचीन धर्मग्रंथों में भगवान श्रीहरि को पाने का सरल मार्ग माघ मास के पुण्य स्नान को बतलाया गया है। मौनी अमावस्या स्नान पर्व को ध्यान में रखते हुए आपदा जोखिम और नियुनीकरण हेतु कमान्डेंट मनोज कुमार शर्मा के दिशा- निर्देशन में 11 एन डीआरएफ वाराणसी की दो टीमें निरीक्षक इंद्रदेव कुमार और निरीक्षक दीपक मंडल के नेतृत्व मे निरीक्षक अनिल कुमार, उप निरीक्षक चंदन सिंह, उप निरीक्षक प्रेम सिंह, सहायक उप निरीक्षक ब्रजेश पांडेय, इंद्रजीत यादव, रतन मौर्या, मनवीर सिंह, मुख्य आरक्षी के के पांडेय, मनीष आदि की माघ मेला प्रयाग राज में तैनात की गयी हैं।
कड़ाके की ठंड मंे भी एनडीआरएफ के जवान 24 घंटे संगम तट पर सक्रिय हैं। माघ मेला प्रयाग राज मंे स्नान पर्व को सकुशल /सौहार्द पूर्ण वातावरण मंे संपन्न कराने हेतु 11 वीं बटालियन एनडीआरएफ की टीमे शास्त्री घाट, वीआईपी घाट से लेकर संगम तक, वीआईपी घाट, पीपा पुल नंबर दो और अरैल घाट क्षेत्र पर मुस्तैदी से तैनात हैं।
संगम तट के किनारे स्नान से पूर्व एनडीआरएफ की टीमें तैनात रहती हंै और स्नान शुरू होते ही टीमंे सक्रिय हो जाती हैं और जरूरी उपकरणों लाइफ बाय, लाइफ जैकेट और डीप ड्रिवर सेट आदि के साथ मोटर वोट से संगम तट के किनारे भ्रमण करती रहती है और स्नान पर्व को सौहार्द पूर्ण संपन्न करा रही हैं।

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