(पुष्कर सिंह) सीतापुर। उपकृषि निदेशक ने बताया कि जनपद में लगातार तापमान में गिरावट देखी जा रही है, मौसम विभाग द्वारा आशंका व्यक्त की गयी है कि आगामी कुछ समय तक शीत लहर का प्रकोप बना रहेगा ऐसे मौसम में किसान भाइयों को स्वयं का ठण्ड से बचाव करते हुए स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए, साथ ही अत्यधिक ठण्ड से फसलों को होने वाले नुकसान से बचाया जाना चाहिए। तापमान में लगातार गिरावट से पाले के प्रति अति संवेदनशील फसलें जैसे अरहर, चना, मटर, मसूर, मिर्च, सरसों, धनिया टमाटर, बैगन, आलू तथा अन्य सागभाजी आदि ज्यादा प्रभावित होती है। दिसंबर माह के मध्य से फरवरी माह में पाला पड़ने की अधिक सम्भावना होती है। रात में फसलों के पेड़ व पत्तियों में जो ओस की बूंदे रात में पड़ती हैं तापमान ज्यादा गिरने से यहीं ओस की बूंदे बर्फ में बदल जाती है, जिससे पौधों एवं पत्तियों के छिद्र (स्टोमेरा) बंद हो जाते है।
पौधे और पत्तियां सांस लेना बंद कर देते हैं तथा धीरे-धीरे सूखने लगती है। इसी प्रक्रिया को पाला कहते है। समय से बोयी गयी फसलों पर अत्याधिक ठण्ड का प्रभाव गेंहू-पौधों का तना, कल्ले और पत्तियों से सम्बंधी रोग लगने की सम्भावना बढ़ जाती है। सरसों-फलियां कमजोर, क्षतिग्रस्त होकर गिरने लगती हैं। चना,अरहर मटर तथा मसूर-फूल गिरने लगते हैं जिससे उपज कम हो जाती है साथ ही पौधों की पत्तियाँ, तने और कल्लों का विकास प्रभावित होने के कारण फसलों की रोगों के प्रति सहनशीलता कम हो जाती है। आलू-झुलसा रोग लगने की सम्भावना बढ़ जाती है, कंदों का विकास कम होने के कारण आलू छोटे रह जाते है।
खड़ी फसलों को पाले ऐसे बचाए किसान
किसानों को सलाह दी कि जिस दिन कड़ाके की ठंड हो, लेकिन आकाश में बादल न हो, सायंकाल के समय हवा अचानक रुक जाए। उस दिन पाले का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। ऐसी दशा में किसान भाई सामूहिक रूप से शाम के समय खेतों की मेड़ों पर रात 10 बजे के बाद खेत के उत्तर एवं पश्चिम दिशा की मेड़ों पर धुआं कर सकते हैं। हवा में नमी अधिक होने से फसलों पर पाले का असर नहीं होता है इसलिए उपलब्ध सिंचाई साधनों से हल्की सिंचाई करने पर तापमान ज्यादा नहीं गिरता है और पाले से बचाव होता है।
ये उपाय भी कर सकते है किसान
रस्सी का उपयोग भी पाले से काफी सुरक्षा प्रदान करता है। इसके लिए सुबह- सुबह (जितनी जल्दी हो सके) एक लंबी रस्सी के दोनों सिरों को पकड़ कर एक कोने से दूसरे कोने तक खेत में फसल को हिलाते चलें। इससे रात को पौधे पर जमा पानी गिर जाता है और फसल की पाले से सुरक्षा हो जाती है। किसान भाई सल्फर 80 प्रतिशत का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव अथवा सल्फर डस्ट 08 से 10 किग्रा0 प्रति एकड़ की दर से खेत में भुरकाव कर सकते हैं। सल्फर के प्रयोग से फसलों की रासायनिक सक्रियता बढ़ जाती है साथ ही फसलों को सल्फर तत्व भी प्राप्त हो जाता है। पाले के स्थाई समाधान के लिए किसान भाइयों को खेत के उत्तर-पश्चिम दिशा में वायुरोधक वृक्षों को लगाना चाहिए जिससे जहाँ एक तरफ पाले के प्रभाव को कम किया जा सकता है साथ ही किसान भाई लगाए गए वृक्षों से अतिरिक्त आमदनी भी प्राप्त कर सकते हैं।
खड़ी फसलों को पाले ऐसे बचाए किसान -उप कृषि निदेशक
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