कोहरा व अत्याधिक कम तापमान होने पर कृषकों को फसलों में लगने वाले रोगों से बचाव के उपाय

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(राममिलन शर्मा)
रायबरेली। जिला कृषि अधिकारी ने किसानों से कहा है कि इस समय कोहरा एवं अत्याधिक कम तापमान होने के कारण फसलों की वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है। बहुत कम तापमान हो जाने पर फसलों में फफूइँजनित रोगों के लगने की सम्भावना भी बढ़ जाती है। उन्होंने फसालों में लगने वाले रोगों से बचाव के उपाय की जानकारी देते हुए लिए बताया कि कृषकों को खेत के चारों ओर शाम के समय घास-फूस जलाकर धुआँ कर देना चाहिए। इससे कोहरे एवं ठंड का प्रकोप कम हो जाता है। साथ ही फसलों की हल्की सिंचाई भी कर देनी चाहिए। उन्होंने आलू की फसल में अगेती/पछेती झुलसा रोग लगने की संभावना है। इसके नियंत्रण हेतु कापर आक्सीक्लोराइड 50 प्रति डब्ल्यू0पी0 की 2.50-3.00 किग्रा0 मात्रा 800 -1000 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। गेहूँ की फसल में तना गेरूई, भूरी गेरूई एवं पीली गेरूई रोग के नियंत्रण हेतु प्रोपिकोनाजोल 25 प्रति0 ई0सी0 की 500 मिली0 लीटर मात्रा को 750 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। गेहूँ की फसल में संकरी पत्ती वाले खरपतवारों यथा- गेहूँसा एवं जंगली जई के नियंत्रण हेतु सल्फो- सल्फ्यूरान 75 प्रति व डब्लू0पी0 33 ग्राम (2.5 यूनिट) मात्रा प्रति हे0 की दर से 250-300 लीटर पानी में घोलकर बुवाई के 20-25 दिन बाद फ्लेटफैन नाजिल से छिड़काव करना चाहिए। चैड़ी पत्ती के खरपतवारों के नियंत्रण हेतु मेटसल्फ्यूरान इथाइल 20 प्रति0 डब्ल्यू0पी0 की 20 ग्राम मात्रा को 500- 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति0 हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए। मटर की फसल में पाउड्री मिल्डयू (चूर्णिल आसिता) रोग के प्रकोप होने पर कार्बेन्डाजिम 50 प्रति0 डब्ल्यू0पी0 की 250-300 ग्राम मात्रा को 600-700 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।

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