नगर निगम के गाड़ी पर पिसता बचपन

RAJNITIK BULLET
0 0
Read Time3 Minute, 43 Second

(मो0 रिजवान) प्रयागराज हमारे देश में बच्चों के लिए काफी सारे अधिनियम हैं, हर एक्ट में बच्चे की उम्र का पैमाना अलग-अलग है, इससे कंपनी को या उन लोगों को फायदा हो जाता है जो मजदूरों को रखते हैं। जैसे चाइल्ड लेबर एक्ट में 14 साल से कम उम्र के बच्चे को काम पर रखना गैरकानूनी है। जबकि शादी के लिए कम से कम उम्र की सीमा 21 साल है तो वोटिंग के लिए 18। 15 साल का बच्चा भी बड़ा नहीं होता। दूसरा मुद्दा यह है कि भारत में बच्चों के लिए काम करने वाली स्वास्थ्य, श्रम जैसे अलग अलग विभागों के बीच आपस में कोई सामंजस्य नहीं है। दुनिया के कई देशों में आज भी बच्चों को बचपन नसीब नहीं है। गौरतलब है अंतर राष्ट्रीय स्तर पर 12 जून बाल मजदूरी के विरोध का दिन है लेकिन यह सिर्फ कागजों पर दिखाई देता है। वही अंतरराष्ट्रीय मजदूर संगठन आईएलओ 2002 से हर साल इसे मना रहा है। लेकिन तस्वीरें तो बहुत सी हैं, आंकड़े भी बहुत से हैं। बात करें अगर हम संगम नगरी प्रयाग राज की तो यहां के नगर निगम विभाग के अधिकारियों की आंखों पर बंधी हुई है पट्टी। जनपद के हर एक कोने में नगर निगम की गाड़ियां साफ-सफाई व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन का काम कर रही है लेकिन नगर निगम की गाड़ियों पर क्यों नजर आ रहे हैं बाल मजदूर। तस्वीरों से आप साफ अंदाजा लगा सकते हैं कि किस तरीके से निगम की गाड़ियों पर इन बच्चों का बचपन पीस रहा है। शायद इन तस्वीरों या खबर को पढ़ने के बाद लोग यह सोच रहे होंगे कि यह शहर के बच्चे तो है नहीं जैसे आम भाषाओं में कहा जाता है या तो बिहारी के बच्चे हैं। हमारे देश और प्रदेश के अन्य जनपदों की बात करें तो हर जगह कूड़ा बीनने वाले नजर आते हैं आखिर इसका कारण क्या है? भेदभाव से पैदा होने वाली सामाजिक असमानताओं के परिणाम हैं। बच्चों का काम स्कूल जाना है न कि मजदूरी करना। बाल मजदूरी के कुछ कारण- जैसे माता-पिता की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण बच्चों की परवरिश ठीक से नहीं हो पाती जिसकी वजह से बच्चे अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए या घर की परिस्थितियों को देखने के बाद वह यह कार्य करते हैं।
माता-पिता ना होने अभाव में बच्चे अपने पेट की भूख को मिटाने के साथ- साथ अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए मजदूरी करते हैं।
सरकार की ऐसी बहुत सी योजनाएं हैं लेकिन कहीं ना कहीं जानकारी के अभाव में बहुत से ऐसे परिवार सरकार की उन योजनाओं से वंचित रह जाते हैं। आखिर कब होगा ऐसे बच्चों का उद्धार जिन्हें बेहतर शिक्षा और भोजन मिले ताकि इनका भविष्य उज्जवल हो सके।

Next Post

अपर पुलिस अधीक्षक की अध्यक्षता में समीक्षा गोष्ठी आयोजित की गई

(तौहीद […]
👉