(अरविंद कुमार) उरई (जालौन) भारत गांवो का देश है वहीं सरकारी सुविधाओं से विहीन भारत के गांव में सबसे बड़ी समस्या स्वास्थ्य की है। जिसके लिए आज भी गांवो की स्थिति सबसे खराब मानी जाती है इस समय डायरिया सहित कई बीमारियों का प्रभाव गांव मे हो रहा है। गांवांे में न तो जांच की कोई व्यवस्था है न ही उपचार के कोई साधन हैं सरकार का पूरा ध्यान शहरों की तरफ रहने से वहां की छोटी से छोटी घटना को भी मीडिया में प्रमुखता से स्थान मिलता है जबकि गांव में बड़ी से बड़ी घटना घट जाए तो भी मीडिया का ध्यान नहीं जाता है। बीमारी से सबसे अधिक ग्रसित लोग ग्रामीण क्षेत्र के ही हैं क्षेत्र के कुछ गावों मे बीमारी से उपचार के लिए छोटे-छोटे चिकित्सालय हैं जहां एक डाक्टर कंपाउन्डर व नर्स तैनात हैं। परन्तु उनके पास समुचित साधन व दवाइयों का अभाव रहता है। जिस कारण वो गांव वालों का समुचित उपचार नहीं कर पाते हैं। यदि गांव के सभी माध्यमिक व सामुदायिक चिकित्सा केन्द्रों पर उपचार की व्यवस्था करवा दी जाए और अतिरिक्त चिकित्सकों को रख दिया जाए तो बहुत से मरीजों का गांव मे्र ही उपचार होने लगे जिससे शहरों मे अनावश्यक दबाव नहीं पडे़गा। परन्तु जाने क्यों सरकार ऐसा नहीं कर पा रही है बताते चले कि पिछले वर्ष कोरोना महामारी आने के बाद केन्द्र व राज्य सरकारों नें अपने बजट में चिकित्सा के क्षेत्र में ऐसी कोई नयी योजना शुरू नहीं की थी जो आगे चलकर देश प्रदेश के लोगों का ऐसी महामारी से बचाव करने में सहायक सिद्ध हो पाती। इस वर्ष के बजट में भी सरकारों ने सड़क पुल भवन बिजली के क्षेत्रों के कामों को ही प्राथमिकता मे रखा है। चिकित्सा के क्षेत्र के लिए तो बजट में बहुत कम राशि का प्रावधान किया गया है देश में एम्स जैसे बडे़ चिकित्सा संस्थान मेडिकल कालेज बडे़ चिकित्सा रिसर्च केन्द्रों की संख्या बहुत कम है। जो है वहां भी मरीजों का दबाव इतना अधिक रहता है कि और अधिक मरीजों की भरती करने की स्थिति में नहीं रहते। ऐसी स्थिति में सरकार को हर जिले में बडे़ चिकित्सा संस्थान बनवाने चाहिए ताकि लोगों को अपने जिले में ही समुचित उपचार मिल सके लोगों को उपचार के लिए महानगरों में न जाना पडे़ अभी भी समय है सरकार को जिला उपखण्ड और तहसील स्तरीय स्वास्थ केन्द्रों को पर्याप्त संसाधन उपलब्ध करवाने चाहिए। प्रदेशों में जहां भी मेडिकल कालेज स्वीकृत हैं उनका निर्माण कार्य तुरंत प्रारम्भ करवाना चाहिए। केन्द्र व राज्य सरकारें आपने पिछले बजट में विकास योजनाओं में कटौती कर स्वास्थ्य सम्बन्धी योजनाओं पर ही अधिकांश पैसा खर्च करें ताकि आने वाले समय में देश इससे भी बडी़ महामारी का मुकाबला करने में खुद को सक्षम बना पाए। लोगों को भी अपने नेताओं से पुल सड़क भवन बनवाने के स्थान पर सबसे पहले अस्पताल बनवाने की मांग करनी होगी। तभी आये दिन होने वाली विभिन्न प्रकार की बीमारियों से होने वाली अकाल मौतों को रोका जा सकेगा।
कहते हैं गांव में बसता है भारत, फिर क्यों है गांवों की इतनी दुर्दशा
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